वन नेशन वन इलेक्शन: बैठक में पक्ष-विपक्ष ने रखी अपनी बात, सरकार गिरती है या विधायक इस्तीफा देते हैं तो क्या होगा?

- हिमाचल प्रदेश में एक राष्ट्र एक चुनाव पर बैठक
- संयुक्त संसदीय समिति ने दलों की जानी राय
- खुले मन के साथ विचार कर रही है सरकार- अनुराग ठाकुर
डिजिटल डेस्क, शिमला। हिमाचल प्रदेश में एक राष्ट्र एक चुनाव पर आज संयुक्त संसदीय समिति की बैठक हुई। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसे लेकर कहा संसद सदस्य पी.पी. चौधरी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई जिसमें उन्होंने 'एक देश एक चुनाव' के संदर्भ में पार्टी और सरकार के विचार मांगें। हमने अपना दायित्व समझा और हमने अपने विचार साझा किए हालांकि पार्टी की ओर से हम 'वन नेशन वन इलेक्शन' का विरोध कर रहे हैं लेकिन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए हमने इस पर अपने कुछ विचार रखे हैं। सभी संसद सदस्यों ने हमें अपने ड्राफ्ट बिल के बारे में जानकारी दी और यह पाया गया कि 'वन नेशन वन इलेक्शन' के दायरे को कुछ बढ़ाया गया है। वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर हमारी कुछ आपत्तियां हैं कि यदि सरकार गिरती है या विधायक इस्तीफा देते हैं तो क्या होगा? इन सब चीजों पर विस्तृत चर्चा की जानी है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता जयराम ठाकुर ने कहा, स्वाभाविक रूप से इस बात को लेकर पूरे देश और प्रदेश में बड़े रूप में एकजुटता है। पार्टियों का अलग-अलग मत हो सकता है लेकिन देश की जनता की भावना यही है कि चुनाव बार-बार ना हो, चुनाव का खर्च बार-बार ना हो, ताकि प्रदेश और देश में काम करने के लिए एक स्थिर वातावरण मिल सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वभाव है कठिन और जटिल काम करना। यह भी वह कठिन काम है जिसके बारे में देश सोचता था लेकिन आगे कदम बढ़ाने के लिए कोई सरकार तैयार नहीं थी... संयुक्त संसदीय समिति ने आज हिमाचल प्रदेश में हमारी राय लेने आई थी... हमारी पार्टी साफ तौर पर इस पक्ष में हैं और हमने इस बिल का अभिनंदन किया है
हिमाचल प्रदेश में एक राष्ट्र एक चुनाव पर बैठक करने पर भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, "1952 से लेकर 1967 तक देश में एक साथ चुनाव होते रहे। यानी लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ होते थे। लेकिन कई कारणों से उस समय की कांग्रेस सरकारों ने जो राज्य सरकारों को गिराया वो सबके सामने हैं। आज देश के सामने एक बार फिर वो स्थिति आई है कि बहुत सारा समय जो चुनावों में लगता है और बहुत सारा पैसा जो चुनाव में लगता है। और देश के विकास में भी रुकावटें आती है जिससे आम जन लोगों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, अगर चुनाव एक साथ होते है इससे देश की भलाई है लेकिन भारत सरकार चाहती है कि 'एक राष्ट्र एक चुनाव' में सभी की राय जानना चाहती है, इसके लाभ क्या होगा, इसमें अगर संशोधन करने है तो क्या करने हैं, क्या सुधार कर सकते हैं सरकार इस पर बड़े खुले मन के साथ विचार कर रही है। सभी इस पर अपनी बात रख रहे हैं।
#WATCH शिमला (हिमाचल प्रदेश): हिमाचल प्रदेश में एक राष्ट्र एक चुनाव पर बैठक करने पर भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, "1952 से लेकर 1967 तक देश में एक साथ चुनाव होते रहे। यानी लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ होते थे। लेकिन कई कारणों से उस समय की कांग्रेस सरकारों ने जो राज्य… pic.twitter.com/78zV5xflak
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 19, 2025
Created On : 19 Jun 2025 12:40 PM