विधानसभा चुनाव 2025: बिहार की दरभंगा ग्रामीण विधानसभा सीट, आरजेडी के अभेद किले को ढहाने की कोशिश में बीजेपी-जेडीयू

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार की दरभंगा ग्रामीण विधानसभा सीट नगरपालिका सीमा से सटे होने के चलते चुनाव में महत्वपूर्ण है। यहां कि विधानसभा सीट में ग्रामीण और उभरते शहरी स्वरूप का मिला-जुला रंग साफ नजर आता है। विधानसभा क्षेत्र के शहर से निकट होने के चलते यहां शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापारिक गतिविधियों तक पहुंच कुछ हदतकआसान है। सीट के सियासी समीकरण और मुद्दों की बात की जाए तो यहां कि सामाजिक और राजनीतिक संरचना अब भी दलित वोट बैंक और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था से प्रभावित होती है। चुनावी जीत में दलित मतदाताओं की संख्या निर्णायक भूमिका में होती है।
1977 में गठित हुई दरभंगा ग्रामीण विधानसभा सीट शुरुआत में अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित थी। 2008 में हुए परिसीमन आयोग की सिफारिश पर सीट सामान्य हो गई। 2010 से यह परिवर्तन प्रभावी हो गया। सीट भले ही एससी आरक्षित से होकर सामान्य हो गई, लेकिन सीट के राजनीतिक वर्चस्व पर खास असर नहीं पड़ा।
चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के मुताबिक कुल वोटर्स 2,98,481 हैं, जिनमें 1,57,135 पुरुष, 1,41,344 महिलाएं और 2 थर्ड जेंडर शामिल हैं। आरजेडी अपने परंपरागत और दलित वोट में मजबूत पकड़ होने से मजबूत स्थिति में है, लेकिन पिछले चुनाव में हार -जीत वोटों का अंतर आरजेडी की टेंशन को बढ़ा रहा है, साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि विधानसभा में बीजेपी की शहरी और युवा वर्ग में और जेडीयू ग्रामीण विकास योजनाओं के सहारे मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ बढ़ा रहे है। दररभंगा ग्रामीण विधानसभा सीट में अबकी चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है। क्योंकि बीजेपी -जेडीयू मिलकर आरजेडी के मजबूत किले को ढहाने की कोशिश में है। अब देखना है अबकी बार कौन बाजी मारता है?
वैसे आपको बता दें 2000 के विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक यहां से आरजेडी ने लगातार 6 चुनावों में जीत दर्ज की है। 2000 और 2005 में पिताम्बर पासवान ने आरजेडी के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता। 2010, 2015 और 2020 में लालित कुमार यादव आरजेडी से लगातार तीन बार निर्वाचित हुए। इससे पहले जनता पार्टी और जनता दल ने 1977, 1980, 1990 और 1995 में दो-दो बार जीत दर्ज की थी। इस सीट पर कांग्रेस को 1985 में जीत नसीब हुई थी
कई गांवों की आज भी सड़क संपर्क से दूरी है, सिंचाई, बिजली और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। बढ़ती बेरोजगारी , पलायन के साथ सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व बिजली की दयनीय स्थिति चुनाव के मुद्दे है। काम की तलाश में हर साल बड़ी संख्या में लोग बाहर जाते हैं, यानि पलायन करते है। यही मुद्दे चुनाव में जोर शोर से सुनाई दे रहे है। सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का बेहतर क्रियान्वयन वोटर्स की प्राथमिकता में है।
Created On :   8 Oct 2025 3:58 PM IST