कमलनाथ की चुनावी रणनीति: मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी से दो कदम आगे निकली कांग्रेस, रणनीति सही साबित हुआ तो बढे़गा हार-जीत का फासला

मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी से दो कदम आगे निकली कांग्रेस, रणनीति सही साबित हुआ तो बढे़गा हार-जीत का फासला
  • मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी से दो कदम आगे निकली कांग्रेस
  • रणनीति सही साबित हुआ तो विधानसभा चुनाव में बढेगा हार-जीत का फासला

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक है। कांग्रेस पार्टी लगातार राज्य में चुनावी रैली और जनसभाएं कर रही हैं। साथ ही, पार्टी इस बार बीजेपी की रणनीति पर भी काम कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी से झटका खाने के बाद कांग्रेस यहां फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। जहां एक तरफ सत्ताधारी पार्टी बीजेपी नई योजनाओं और महिला वोटर्स के दम पर चुनाव जीतने का दम भर रही है, तो वहीं दूसरी ओर से कांग्रेस ने शिवराज सरकार को मात देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फॉर्मूला अपना लिया है। जिसे लेकर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी बिल्कुल आश्वस्त नजर आ रहे हैं। कमलनाथ ने इस चुनाव में फर्स्ट वोटर प्लान तैयार किया है। इसके तहत पार्टी युवा वोटर्स पर फोकस कर रही है।

गौरतलब है कि 25 सितंबर को पीएम मोदी मध्य प्रदेश पहुंचे थे। यहां उन्होंने संबोधन के दौरान पहली बार वोट करने वाले युवाओं का जिक्र किया था। इसके अगले ही दिन कांग्रेस ने 'फर्स्ट वोट फॉर कांग्रेस' अभियान शुरू कर दिया। अभियान के जरिए पार्टी ने उन वोटर्स पर फोकस करना शुरू किया जो 2023 के विधानसभा चुनाव में पहली बार मतदान करने जा रहे हैं। भले ही बीजेपी प्रदेश में पहली बार मतदान करने युवा वोटर्स को समझ नहीं पाई हो, लेकिन कांग्रेस ने इस पर समय रहते काम करना शुरू कर दिया है। आइए समझते हैं कि कांग्रेस पहली बार वोट करने वाले मतदाता पर इतना जोर क्यों दे रही है? साथ ही, मध्य प्रदेश की सियासी समीकरण में इसका क्या असर पड़ सकता है?

कांग्रेस की चुनावी रणनीति

बता दें कि, कांग्रेस महासचिव और मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने प्रदेश कांग्रेस कार्यलय में 26 सितंबर को एनएसयूआई का 'फर्स्ट वोट फॉर कांग्रेस' कैंपेन लॉन्च किया। इस दौरान युवा वोटर्स पर विशेष जोर दिया गया। कांग्रेस की रणनीति है कि पार्टी कार्यकर्ता प्रदेश में उन युवाओं से मिले जो पहली बार मतदान करने जा रहे हैं। साथ ही, उन्हें पार्टी कार्यकर्ता शिवराज सरकार की नाकामी के बारे में बताएं। सुरजेवाला कहना है कि इस अभियान के जरिए युवाओं को यह बताया जाएगा कि अगर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो युवाओं के लिए क्या-क्या किया जाएगा। सुरजेवाला का कहना है कि कांग्रेस की सरकार बनी तो भर्ती में पारदर्शिता और युवाओं के लिए तरह-तरह की योजनाएं लाई जाएगी।

फर्स्ट वोटर युवाओं का सियासी समीकरण समझें

जानकारी के मुताबिक, प्रदेश में पहली बार वोट करने वाले युवाओं की संख्या 18 लाख 86 हजार हैं। हालांकि, अभी फाइनल मतदाता लिस्ट में यह आंकड़ा 19 लाख के पार जा सकता है। 230 विधानसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश के हर सीट पर नए मतदातों की कुल औसत संख्या 8200 हैं। कांग्रेस ने 'फर्स्ट वोट फ़ॉर कांग्रेस' अभियान इन्हीं नए वोटर्स को देखते हुए लॉन्च किया गया है। कांग्रेस की रणनीति को समझने के लिए आप साल 2018 के चुनावी समीकरण पर नजर डाल सकते हैं। पिछले चुनाव में 85 विधानसभा सीटें ऐसी थीं, जिसमें हार-जीत का अंतर महज 8 से 9 हजार के बीच था। साथ ही, 8 विधानसभा सीटें ऐसी थीं, जहां पर जीत मार्जिन केवल 1517 से 511 तक था। इसके अलावा 35 से अधिक सीटें ऐसी थीं, जहां 8 हजार से कम मतों के नीचे हार जीत तय हुआ था। इसी के चलते कांग्रेस युवा मतदाताओं पर फोकस कर रही है।

भाजपा से नाराज हैं प्रदेश के युवा

बीते 18 सालों से मध्य प्रदेश की सरकार में बीजेपी का डंका बजा है। ऐसे में जो युवा वोटर्स पहली बार मतदान करने जा रहे हैं, वे पूरे समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बतौर सीएम देखे हैं। सीएम शिवराज भले ही अपने कार्यकाल के दौरान लाखों की संख्या में सरकारी भर्तियां करवाये हों। लेकिन इस बार वे चुनाव से पहले युवा वोटर्स को आकर्षित करने में असफल रहें। हाल ही में हुए 9000 पदों के लिए पटवारी भर्ती में प्रदेश के करीब 18 लाख युवा छात्र परीक्षा के लिए बैठे थे। इसके बाद शिवराज सरकार भर्ती घोटालों को लेकर विपक्ष से घिरती नजर आई। पहले तो विपक्ष आरोप लगाती रही कि यह सब चुनाव के लिए किया जा रहा है। लेकिन पेपर लीक मामले ने इसी और ज्यादा तूल दी। इसके बाद सरकार ने तेजी दिखाई और मामले में 60 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई। लेकिन कर्रवाई करने में सरकार ने देर कर दी। इधर, मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग भी बीते कई सालों से चयनित युवाओं को नौकरी देने में विफल रही है। जिसके चलते बीजेपी और शिवराज सरकार से युवा वर्ग का एक बड़ा कुनबा नाराज है। जिसे आचार संहिता से पहले बीजेपी अगर निपटाने में कामयाब नहीं रहती है तो चुनावी समीकरण बदल सकता है।

Created On :   29 Sept 2023 8:40 PM IST

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