मोदी सरकार के अध्यादेश पर कांग्रेस का YES/NO दिलाएगा 'आप' को विपक्षी गठबंधन पर एंट्री, केजरीवाल की बड़ी शर्त

मोदी सरकार के अध्यादेश पर कांग्रेस का YES/NO दिलाएगा आप को विपक्षी गठबंधन पर एंट्री, केजरीवाल की बड़ी शर्त
  • अरविंद केजरीवाल देश भर की विपक्षी पार्टियों से समर्थन मांग रहे हैं।
  • कोई विवाद होता है तो अंतिम फैसला दिल्ली के एलजी का ही होगा।

डिजिटल डेस्क,पटना। पटना में चल रही विपक्षी दलों की महाबैठक समाप्त होने के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली के सीएम अरविंद शामिल नहीं हुए। जिसके बाद से ही केजरीवाल को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। वहीं आम आदमी पार्टी की तरफ से एक बयान सामने आया है। जिसमें पार्टी ने कहा है कि कांग्रेस जब तक अध्यादेश को लेकर अपना स्टैंड साफ नहीं करेगी तब तक आम आदमी पार्टी विपक्ष की किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं होगी।

आप ने आगे कहा, "कांग्रेस, एक राष्ट्रीय पार्टी जो करीब सभी मुद्दों पर एक स्टैंड लेती है, उसने अभी तक काले अध्यादेश पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। वहीं कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब इकाइयों ने घोषणा की है कि पार्टी को इस मुद्दे पर मोदी सरकार का समर्थन करना चाहिए। आज पटना में एक समान विचारधारा वाली पार्टी की बैठक के दौरान कई दलों ने कांग्रेस से काले अध्यादेश की सार्वजनिक रूप से निंदा करने का आग्रह किया। हालांकि, कांग्रेस ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।"

क्या है 'अध्यादेश'?

जिस अध्यादेश को लेकर दिल्ली के सीएम केजरीवाल केंद्र सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। इस अध्यादेश के अनुसार अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े हुए सारे फैसले लेने का हक उपराज्यपाल को वापस दे दिया गया है। जिसके विरोध में ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल देश भर की विपक्षी पार्टियों से समर्थन मांग रहे हैं।

दरअसल, केंद्र सरकार का कहना है कि दिल्ली देश की राजधानी है। जो सीधे राष्ट्रपति के अधीन आती है। ऐसे में दिल्ली की 'आप सरकार' के बजाय अधिकारियों के फेरबदल का अधिकार राष्ट्रपति के अधीन ही रहेगा। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अब अधिकारियों की नियुक्ति नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी यानी एनसीसीएसए के माध्यम से होगी। सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश में कहा गया है कि इस एनसीसीएसए के अध्यक्ष दिल्ली के मुख्यमंत्री ही होंगे। लेकिन मुख्य सचिव व गृह सचिव भी इसके सदस्य होंगे। जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी। अधिकारियों की नियुक्ति के विषय में एनसीसीएसए उपराज्यपाल को सूचना देगी। जिसके बाद उपराज्यपाल फैसला लेंगे। वहीं अधिकारियों के तबादला और नियुक्ति में अगर कोई विवाद होता है तो अंतिम फैसला दिल्ली के एलजी का ही होगा।

कौन-कौन हुआ महाबैठक में शामिल

पटना में हुई विपक्षी दलों की महाबैठक में 15 दलों के 27 नेता शामिल हुए हैं. इन नेताओं में नीतीश कुमार (जेडीयू), ममता बनर्जी (एआईटीसी), मल्लिकार्जुन खड़गे (कांग्रेस), राहुल गांधी (कांग्रेस), एमके स्टालिन (डीएमके), अरविंद केजरीवाल (आप), हेमंत सोरेन (झामुमो), उद्धव ठाकरे (एसएस-यूबीटी), शरद पवार (एनसीपी), लालू प्रसाद यादव (राजद), भगवंत मान (आप), अखिलेश यादव (सपा), केसी वेणुगोपाल (कांग्रेस), सुप्रिया सुले (एनसीपी), मनोज झा (राजद), फिरहाद हकीम (एआईटीसी), प्रफुल्ल पटेल (एनसीपी), राघव चड्ढा (आप), संजय सिंह (आप), संजय राऊत (एसएस-यूबीटी), सीताराम येचुरी (सीपीआईएम), ललन सिंह (जेडीयू),संजय झा (राजद), महबूबा मुफ्ती (पीडीपी), अभिषेक बनर्जी (एआईटीसी),उमर अब्दुल्ला (नेकां), टीआर बालू (डीएमके),दीपंकर भट्टाचार्य (सीपीआईएमएल),तेजस्वी यादव (राजद), डेरेक ओ'ब्रायन (एआईटीसी), आदित्य ठाकरे (एसएस-यूबीटी) और डी राजा (सीपीआई) हैं.

Created On :   23 Jun 2023 1:09 PM GMT

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