बिहार विधानसभा चुनाव 2025: दूसरे चरण में 100 से अधिक सीटों पर एससी वोटर्स का असर,सत्ता का ताज दिलाएगा 18 फीसदी दलित समुदाय का साथ

दूसरे चरण में 100 से अधिक सीटों पर एससी वोटर्स का असर,सत्ता का ताज दिलाएगा 18 फीसदी दलित समुदाय का साथ
पिछले चुनाव में एनडीए से अलग हुई एलजेपी अबकी चुनाव में उनके चिराग बीजेपी और जेडीयू के साथ एनडीए को रोशन करने में लगे हुए है, वहीं वीआईपी पिछले चुनाव में एनडीए के साथ थी , अबकी चुनाव में महागठबंधन के साथ मिलकर आरजेडी और कांग्रेस को महान बनाने की कोशिश में लगी हुई है।

डिजिटल डेस्क, पटना। 243 विधानसभा सीट वााले बिहार में दूसरे और आखिरी चरण का मतदान कल मंगलवार को होना है। रविवार को चुनावी प्रचार थमने के बाद 20 जिलों की 122 सीटों पर होने वाले मतदान को लेकर अब सभी राजनीतिक दलों की नजर दलित और मुस्लिम मतदाताओं पर टिकी हुई है। दूसरे चरण की 100 से अधिक सीटों पर डीएम समुदाय का असर सबसे अधिक है। इस बार बिहार के जनादेश की चाबी 18 फीसदी दलित मतदाताओं के हाथ में है, इन सीटों का नतीजा सत्ता का पलड़ा इधर से उधर झुकाने की ताकत रखता है। इसी फेज में सीमांचल समेत तीन दर्जन सीट पर मुस्लिम प्रभावशाली है। इनके नतीजे मुस्लिम समुदाय की राजनीति का भविष्य तय करेंगे।

पिछले चुनाव में एनडीए से अलग हुई एलजेपी अबकी चुनाव में उनके चिराग बीजेपी और जेडीयू के साथ एनडीए को रोशन करने में लगे हुए है, वहीं वीआईपी पिछले चुनाव में एनडीए के साथ थी , अबकी चुनाव में महागठबंधन के साथ मिलकर आरजेडी और कांग्रेस को महान बनाने की कोशिश में लगी हुई है। विपक्षी महागठबंधन के इतर बीएसपी, एआईएमआईएम खुद को मुलसमानों का रहनुमा साबित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाकर उन्हें साधने में लगे हुए है। बीते चुनाव में एनडीए को अंग प्रदेश, तिरहुत और मिथिलांचल में जबकि आरजेडी को मगध क्षेत्र में अच्छी बढ़त हासिल हुई थी। सीमांचल में कांटे के मुकाबले और एआईएमआईएम की मौजूदगी की वजह से राजग को मामूली बढ़त हासिल हुई थी।

आपको बता दें सीमांचल में कई दशकों तक आरजेडी के कद्दावर नेता मुस्लिम राजनीति का चेहरा रहे। अब मुसलमानों में नए नेतृत्व को लेकर छटपटाहट साफ नजर आती है। मुस्लिम प्रभाव वाली सीटों पर बीते चुनाव में सीमांचल की 5 सीटें जीतने वाली एआईएमआईएम ने महागठबंधन के डिप्टी सीएम का उम्मीदवार नहीं बनाने को इस समुदाय के अपमान से जोड़ दिया है। एआईएमआईएम ने मुस्लिम प्रभाव वाली सभी सीटों पर मुसलमान उम्मीदवार खड़े किए हैं। बीएसपी भी मुस्लिमों का साथ देने और उन्हें बुलडोजर से मुक्ति दिलाने की बात कर इस वर्ग को साधने की कोशिश में है। अगल दूसरे चरण में दलित मुस्लिम वोटर्स ने बीएसपी का साथ दिया तो बिहार की सियासी राजनीति की दशा और दिशा अलग होगी और बसपा सत्ता की मास्टरचाबी बन सकती है।

दूसरे चरण में कुल 18 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाला दलित वर्ग का मतदाता सबसे अहम है। आपको बता दें 100 सीटें ऐसी हैं, जहां हर सीट पर दलित मतदाताओं की आबादी 30 से 40 हजार के बीच में है। पिछले चुनाव में एलजेपी के चिराग के अपने दम पर अकेले चुनाव लडने की वजह से जेडीयू को सीधे-सीधे 22 सीटों का नुकसान हुआ था। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के साथ आने से यहां एनडीए में खासतौर पर जेडीयू को अधिक मजबूती मिल सकती है।

Created On :   10 Nov 2025 10:14 AM IST

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