बीजेपी कांग्रेस की लड़ाई में जीजीपी बिगाड़ती है गणित, जानिए शहडोल जिले की तीनों सीटों का चुनावी समीकरण

बीजेपी कांग्रेस की लड़ाई में जीजीपी बिगाड़ती है गणित, जानिए शहडोल जिले की तीनों सीटों का चुनावी समीकरण
  • आदिवासी बाहुल्य शहडोल
  • निर्णायक भूमिका में होते है एसटी वोटर्स
  • बीजेपी का गढ़ शहडोल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दक्षिण-पूर्वी रेलवे के बिलासपुर-कटनी खंड पर स्थित शहडोल का नाम शहडोल अहिर के नाम पर रखा गया था। शहडोल को राजा विराट की नगरी भी कहा जाता है। यह राज्य के मध्य-पूर्वी भाग में स्थित है, जो मध्य प्रदेश का एक हिस्सा है।

शहडोल जिले में प्राकृतिक खूबसूरती और खनिज संपदा का भंडार है। रिलायंस कंपनी मीथेन गैस निकाल रही है, कई और बड़ी कंपनियां कोयला खनन कर रही है। एशिया का पहला कागज कारखाना ओपियम पेपर मिल अपने आप अद्भुत है। खनिज संपदा का भंडार होने के कारण कई छोटी बड़ी कंपनिया यहां मौजूद है। बड़ी बड़ी कंपनियां होने के बावजूद स्थानीय लोगों के लिए रोजगार उपलब्ध नहीं है, बढ़ती बेरोजगारी के चलते कई लोग मजदूरी के लिए देश के अन्य राज्यों में चले जाते है।

शहडोल संभाग आदिवासी बाहुल्य होने कारण राजनीति का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। शहडोल संभाग में 8 विधानसभा सीट आती है, जिसमें से 7 सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित रहते है। वहीं अनुपूर जिले की एक मात्र कोतमा सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है। गोंगपा और बीएसपी, बीजेपी और कांग्रेस के मुकाबले को कड़ा बना देती है। इलाके में जीजीपी और जयस का भी प्रभु्त्व है। आदिवासी युवाओं के बीच जयस काफी प्रचलित है।

शहडोल जिले में ब्यौहारी, जयसिंहनगर, जैतपुर तीन विधानसभा क्षेत्र आते है, तीनों ही सीटें एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है। आदिवासी बाहुल्य होने के कारण शहडोल जिले की राजनीति मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों की राजनीति को प्रभावित करती है। यहां की तीनों सीटों पर अनुसूचित जनजाति ही चुनाव में निर्णायक भूमिका में होता है। हाल ही में तीनों ही सीटों पर बीजेपी का कब्जा है।

आदिवासी मतदाताओं को साधने और अपनी पार्टी के पक्ष में करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गज इलाके का दौरा करते हुए नजर आ जाते है। विपक्षी पार्टियां आदिवासी अत्याचार, उत्पीड़न, मंहगाई और बेरोजगारी मुद्दों को लेकर सरकार पर हमलावर हो रही है, वहीं सत्ता धारी पार्टी पेसा कानून,जनजातीय गौरव दिवस और पीएम संवाद के जरिए आदिवासी मतदाताओं को साध रही है। पीएम मोदी भी यहां दौरा कर चुके है।

ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र

ब्यौहारी विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है। ब्यौहारी विधानसभा सीट पर सामान्य 28 फीसदी और ओबीसी 20 प्रतिशत। जैन, बनिया, ब्राह्मण और कुर्मी यहां चुनावी समीकरण बिगाड़ते है। ब्यौहारी विधानसभा सीट पर 56 फीसदी आदिवासी मतदाता है। ब्यौहारी सीट पर एसटी समुदाय के लोग बुनियादी सुविधाओं से दूर है। यहां पेय जल संकट और रोजगार आज भी बड़ा चुनावी मुद्दा है। मजदूरी के लिए युवा पलायन को मजबूर है। समय समय पर ब्यौहारी को जिले बनाने की मांग भी उठती रहती है।

2018 में बीजेपी के शरद

2013 में कांग्रेस के रामपाल सिंह

2008 में बीजेपी के बाली सिंह मरावी

2003 में बीजेपी के लवकेश सिंह

1998 में बीजेपी के लवकेश सिंह

1993 में कांग्रेस के रामकिशोर शुक्ला

1990 में बीजेपी के लवकेश सिंह

1985 में कांग्रेस के रामकिशोर शुक्ला

1980 में कांग्रेस के रामकिशोर शुक्ला

1977 में जनता पार्टी से बैजनाथ सिंह

जयसिंहनगर विधानसभा सीट

जयसिंहनगर विधानसभा सीट एसटी के लिए सुरक्षित है। शहडोल जिला मुख्यालय जयसिंहनगर विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है, जिसके कारण जयसिंहनगर सीट हमेशा चर्चित रहती है। सीट पर पिछले डेढ़ दशक से बीजेपी का कब्जा है। जयसिंह नगर सीट पर गौड़ समाज के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। उसके बाद बैगा और कोल समाज का नंबर आता है। 45 फीसदी सामान्य व ओबीसी में सर्वाधिक वैश्य 10 फीसदी हैं। इन्हें साधना होगा। बीजेपी का भले ही ये गढ़ बन गया है लेकिन निकाय चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत ने बीजेपी की चिंता को बढ़ा दिया है। आगामी चुनाव में दोनों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है।

2018 में बीजेपी के जयसिंह मरावी

2013 में बीजेपी के प्रमिला सिंह

2008 में बीजेपी की सुंदर सिंह

2003 में बीजेपी से जयराम सिंह मार्को

1998 में कांग्रेस के रामप्रसाद सिंह

1993 में कांग्रेस से राम प्रसाद सिंह

1990 में जेडी के रामनाथ सिंह

1985 में कांग्रेस से गोपाल सिंह

1980 में कांग्रेस से कमलाप्रसाद सिंह

1977 में जेएनपी से रामनाथ सिंह

जैतपुर विधानसभा सीट

जैतपुर विधानसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आई थी। जैतपुर सीट आदिवासी आरक्षित सीट है , अनुसूचित जाति वर्ग यहां 8 फीसदी ही है। जैतपुर गोंड और बैगा बाहुल्य क्षेत्र है, आदिवासी मतदाता है निर्णायक भूमिका में होते है। यह बीजेपी का मजबूत और अभेद किला है। तीन बार से यहां बीजेपी प्रत्याशी ही विधायक बन रहा है। या यूं कहे कि जब से सीट अस्तित्व में आई है , तब से बीजेपी का कब्जा है। बीजेपी और कांग्रेस के बीच जीत का अंतर चुनाव दर चुनाव कम हो रहा है। जिससे लेकर भाजपा हाईकमान चिंतित है। वहीं कांग्रेस का वोट यहां बढ़ रहा है, कांग्रेस सीट जीतने की पूरी कोशिश में है।

2018 में बीजेपी की मनीषा सिंह

2013 में बीजेपी से जय सिंह मरावी

2008 में बीजेपी से जय सिंह मरावी

Created On :   31 July 2023 11:00 AM GMT

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