बिहार विधानसभा चुनाव 2025: जानिए बिहार राज्य के हर डिवीजन का सियासी समीकरण, किस इलाके में किसको मिली थी बढ़त, कौन कमजोर साबित होने के बाद हुआ सत्ता से दूर

जानिए बिहार राज्य के हर डिवीजन का सियासी समीकरण, किस इलाके में किसको मिली थी बढ़त, कौन कमजोर साबित होने के बाद हुआ सत्ता से दूर
11 नवंबर को बिहार में 20 जिलों के वोटर्स 122 सीटों के चुनावी मैदान में उतरें उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, कुल 1,302 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जिनमें 1,165 पुरुष, 136 महिलाएं और एक थर्ड जेंडर उम्मीदवार शामिल हैं। दूसरे चरण में 3.7 करोड़ से ज़्यादा मतदाता वोट डालने के पात्र हैं, जिनमें 1.95 करोड़ पुरुष और 1.74 करोड़ महिलाएं शामिल हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 243 विधानसभा सीट वाले बिहार में चुनावी प्रचार रविवार को थम गया । दूसरे चरण का चुनावी शोर थमने के साथ ही बिहार चुनाव का चुनावी शोरगुल शांत हो गया। तमाम दलों के शीर्ष नेता चुनाव प्रचार के आखिरी दिन ताबड़तोड़ रैली और जनसभाएं की। अब सभी नेताओं की निगाहें 11 नवंबर पर टिकी हैं, जब बिहार के वोटर्स 20 जिलों की 122 सीटों के चुनावी मैदान में उतरें उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, कुल 1,302 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जिनमें 1,165 पुरुष, 136 महिलाएं और एक थर्ड जेंडर उम्मीदवार शामिल हैं। दूसरे चरण में 3.7 करोड़ से ज़्यादा मतदाता वोट डालने के पात्र हैं, जिनमें 1.95 करोड़ पुरुष और 1.74 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। अब आप यहां पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर जानिए बिहार राज्य के हर डिवीजन का सियासी समीकरण।

49 सीटें तिरहुत डिवीजन का सियासी नतीजा

243 विधानसीट वाले बिहार में से 49 सीटें तिरहुत डिवीजन में आती हैं। इसमें 6 जिले आते हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा 12 सीटें पूर्वी चंपारण जिले में आती है। इसके बाद मुजफ्फरपुर में 11, पश्चिमी चंपारण में 9, वैशाली और सीतामढ़ी में 8-8 और शिवहर जिले में सिर्फ 1 सीट है।

2020 के विधानसभा चुनावी नतीजों में 33 सीटें जीतकर एनडीए का यहां प्रभु्त्व बना रहा। 16 सीटें महागठबंधन के खाते में आई। पार्टियों को मिली सीट की बात की जाए तो बीजेपी को 25 , जेडीयू को 6और वीआईपी को दो सीट मिली थी। वहीं, महागठबंधन में आरेजडी को 13 और कांग्रेस को दो , एक सीट भाकपा (माले) को मिली थी। 2020 के चुनाव में बीजेपी को तिरहुत में सबसे अधिक सीटें मिली थी।

43 सीट वाले पटना डिवीजन का सियासी समीकरण

43 सीट वाले पटना प्रमंडल में कुल छह जिले आते हैं। इसमें पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, रोहतास और कैमूर आते हैं। पटना बिहार की राजधानी है। यहीं से बिहार की राजनीति की दिशा और दशा तय होती है। सबसे ज्यादा 14 विधानसभा सीटें पटना जिले में है। इसी तरह नालंदा, भोजपुर और रोहतास में सात-सात सीटें हैं। सबसे कम चार-चार सीटें बक्सर और कैमूर जिले में हैं। पटना प्रमंडल करीब 16,960 वर्ग किलोमीटर में फैला है।

2020 में पटना प्रमंडल के परिणाम की बात करें तो यहां के नतीजे महागठबंधन के पक्ष में रहे थे। पटना प्रमंडल की 29 सीटों पर महगठबंधन की जीत मिली थी। वहीं, एनडीए को 13 सीटों से संतोष करना पड़ा था। एक सीट बसपा के खाते में गई थी। राजनीतिक दलों के आंकडों की बात करें तो पटना प्रमंडल की 18 सीटें आरजेडी के खाते में गई थीं। वहीं, 6 सीटों पर भाकपा माले और 5 सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी। इसी तरह एनडीए में भाजपा ने आठ, जेडीयू ने पांच सीट पर जीत दर्ज की थी। पटना प्रमंडल में एनडीए को हार का सामना करना पड़ा।

30 सीटें दरभंगा डिवीजन का सियासी समीकरण

30 सीटें दरभंगा डिवीजन में आती हैं। इस क्षेत्र में 03 जिले आते हैं। तीनों जिले में 10-10 विधानसभा सीटें हैं। यह मिथिला क्षेत्र का एक हिस्सा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में दरभंगा में एनडीए गठबंधन ने जबरदस्त जीत हासिल की। एनडीए को 30 में से 22 सीटों पर जीत मिली थी। महागठबंधन को 8 सीटें मिलीं थीं। एनडीए में शामिल बीजेपी को 11 सीटें और जेडीयू को 9 सीटें मिली थी। वहीं, वीआईपी को दो सीटें मिलीं थी। 2020 के चुनाव में महागठबंधन में राजद को सात सीटें मिलीं थीं। वहीं उसकी सहयोगी दल माकपा को एक सीट पर संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस इस इलाके में अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी।

22 सीट वाले मुंगेर का सियासी समीकरण

22 विधानसभा सीट वाले मुंगेर डिवीजन में कुल छह जिले- मुंगेर, बेगूसराय, जमुई, खगड़िया, शेखपुरा और लखीसराय हैं। इनमें सबसे ज्यादा सात सीटें बेगूसराय में हैं। इसके बाद चार-चार सीटें खगड़िया और जमुई में, तीन सीटें मुंगेर में, दो-दो सीटें लखीसराय और शेखपुरा जिले में हैं।

मुंगेर प्रमंडल में 2020 का विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प रहा था। इस डिवीजन में बीजेपी, जेडीयू और आरजेडी तीनों ही प्रमुख दलों को 5-5 सीटें मिली थीं। वहीं, कांग्रेस और भाकपा को दो-दो सीटें मिलीं थीं। वहीं, एक-एक सीट पर लोजपा, हम और निर्दलीय के खाते में गई थी। गठबंधनों की बात करें तो एनडीए ने मुंगेर डिवीजन की11 सीटें जीती थीं। एनडीए में जेडीयू ,बीजेपी और हम शामिल थे। दूसरी तरफ महागठबंधन 9 सीटें जीतने में सफल रहा था। इस गठबंधन में आरजेडी ,कांग्रेस और भाकपा शामिल थे।

13 सीट वाले कोसी डिवीजन का सियासी समीकरण

13 विधानसभा सीट वाले कोसी डिवीजन में कुल तीन जिले सहरसा, मधेपुरा और सुपौल आते हैं। पांच सीटें सुपौल जिले में, चार सीटें मधेपुरा में और चार सीटें सहरसा में हैं। कोसी डिवीजन की बात करें तो 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां की 13 में से 10 सीटें एनडीए को मिली थीं। वहीं महागठबंधन ने तीन सीटें हासिल की थी। एनडीए में शामिल जेडीयू ने आठ सीटें और बीजेपी ने दो सीटें जीती थीं। वहीं, महागठबंधन में केवल आरजेडी को तीन सीटें मिली थीं। 2025 में एनडीए से यहां बीजेपी दो, लोजपा एक और जेडीयू 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। वहीं महागठबंधन से 9 सीटों पर आरजेडी तीन पर कांग्रेस और एक आईआईपी के उम्मीदवार हैं।

12 विधानसभा सीट वाले भागलपुर डिवीजन का सियासी समीकरण

12 विधानसभा सीट वाले भागलपुर डिवीजन में कुल दो जिले- भागलपुर और बांका शामिल हैं। इनमें 7 सीटें भागलपुर, 5 सीटें बांका जिले में आती हैं। विधानसभा सीटों के लिहाज से भागलपुर बिहार का सबसे छोटा प्रमंडल है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भागलपुर प्रमंडल में एनडीए ने सीधे महागठबंधन को मात दी। एनडीए को 9 और महागठबंधन को 3 सीटों पर जीत मिली। पार्टी वार आंकड़ों की बात करें तो एनडीए में बीजेपी को 5 और जेडीयू को 4 सीटें मिलीं थीं। दूसरी तरफ महागठबंधन की आरजेडी को दो और कांग्रेस को एक सीट मिली।

26 सीट वाले मगध प्रमंडल का सियायी समीकरण

26 विधानसभा सीट वाले मगध प्रमंडल में एनडीए की असली परीक्षा है। मगध की 26 सीटों में से महागठबंधन को 20 और एनडीए को 6 सीटों पर जीत मिली थी। एनडीए में बीजेपी को 2, जेडीयू को 1 और हम को 3 सीटें मिली थी। मगध की 6 सुरक्षित सीटों में इमामगंज और बाराचट्टी को छोड़ अन्य पर एनडीए को हार मिली।

धार्मिक राजधानी के रूप में प्रसिद्ध गयाजी का बिहार की राजनीति में खास स्थान होने के कारण सभी दलों के लिए बैटलफील्ड है। गया जिले में भले ही 10 विधानसभा सीटें हैं, लेकिन इसका महत्व सबसे ज्यादा है। सभी राजनैतिक दलों के नेताओं की नजरें गयाजी पर टिकी रहती हैं।

कभी एनडीए का गढ़ रहा मगध पिछले दो विधानसभा चुनावों से कमजोर साबित हुआ है। मगध के नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद व अरवल जिले में तो जेडीयू खाता भी नहीं खोल पाई थी। बिहार की सत्ता तक पहुंचने के लिए मगध की 26 सीटों पर जीत बेहद जरूरी है। यही वजह है कि दोनों गठबंधन के नेता मगध डिवीजन पर अधिक फोकस करते हैं। बिहार की सत्ता की कुर्सी का पहिया मगध को माना जाता है। गयाजी और मगध का वोट जिस दल को मिलता है, बिहार की सत्ता उसी रंग में रंग जाती है

गया जिले की कुल 10 सीटों में से 2020 में बीजेपी ने गया टाउन और वजीरगंज जीता। हम पार्टी ने इमामगंज, बाराचट्टी और टेकारी पर कब्जा किया। आरजेडी ने शेरघाटी, गुरुआ, बोधगया, बेलागंज और अतरी जीता। जेडीयू का खाता नहीं खुला।

मगध क्षेत्र की 26 विधानसभा सीट में 19 महागठबंधन के पास हैं। गया में 4, अरवल में 2, जहानाबाद में 3, औरंगाबाद में 6 और नवादा में 4 सीटें महागठबंधन के पास हैं। गया जिले में बीजेपी 2, हम 3, जेडीयू 1, आरजेडी 4 सीटों पर है। अरवल में 2 सीटों पर आरजेडी और सीपीआई, जहानाबाद में आरजेडी 2 और माले 1 सीट पर, औरंगाबाद में आरजेडी 4 और कांग्रेस 2 सीटों पर, नवादा में आरजेडी 3, कांग्रेस 1 और बीजेपी 1 सीट पर काबिज है।


24 सीट वाले पूर्णिया डिवीजन का सियासी समीकरण

24 विधानसभा सीट वाले पूर्णिया डिवीजन में कुल चार जिले आते हैं। इसमें अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया जिले शामिल हैं। ये इलाका सीमांचल के नाम से भी जाना जाता है। इनमें सबसे ज्यादा सात-सात सीटें कटिहार और पूर्णिया जिले में आती हैं। अररिया जिले में छह तो किशनगंज में चार सीटें हैं।

पूर्णिया डिवीजन के सियासी समीकरण की बात की जाए तो 2020 के विधानसभा चुनाव के नतीजों की बात की जाए तो पूर्णिया प्रमंडल में एनडीए को बढ़त मिली थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में 24 में से पूर्णिया प्रमंडल की 12 सीटों पर एनडीए को जीत मिली थी। 8 सीटें बीजेपी और चार सीटें जेडीयू के खाते में गई थीं। महागठबंधन को 7 सीट से संतोष करना पड़ा था। महागठबंधन में कांग्रेस को पांच, आरजेडी और भाकपा (माले) को एक-एक मिली थी। एआईएमआईएम ने इस इलाके में बड़ी सेंध लगाई और पांच सीटों पर जीत हासिल की।

24 सीट वाले सारण प्रमंडल का सियासी समीकरण

सारण प्रमंडल में कुल तीन जिले आते हैं। इसमें सारण, सीवान और गोपालगंज शामिल हैं। सारण प्रमंडल के सियासी समीकरण की बात की जाए तो 243 सीटों में से 24 सीटें सारण प्रमंडल में आती हैं। इनमें सबसे ज्यादा 10 विधानसभा सीटें सारण जिले में हैं। वहीं, सीवान में आठ और गोपालगंज जिले में छह सीटें हैं।

2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी को सबसे बड़ी पार्टी बनवाने में सारण की बड़ी और अहम भूमिका रही थी। सारण प्रमंडल की 24 में से 15 सीटों पर महागठबंधन को जीत मिली। बाकी नौ सीटें एनडीए के खाते में गई। दलवार आंकड़ों का बात करें तो महागठबंधन में शामिल आरजेडी को 11 सीटें और कांग्रेस को एक सीट , भाकपा माले दो और माकपा को एक सीट जबकि एनडीए से बीजेपी को सात सीटें और जेडीयू को दो सीटें मिली थीं।



Created On :   10 Nov 2025 2:13 PM IST

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