लोकसभा चुनाव 2024: जानिए क्या है छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास, क्या इस बार कांग्रेस के किले को भेद पाएगी भाजपा ?

जानिए क्या है छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास, क्या इस बार कांग्रेस के किले को भेद पाएगी भाजपा ?
  • छिंदवाड़ा लोकसभा सीट है कांग्रेस का गढ़
  • मध्य प्रदेश लोकसभा चुनाव 2024

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में कुछ महीने बाद लोकसभा चुनाव होने है। ऐसे में हाईप्रोफाइल सीटों पर सभी की नजर टिकी हुई है। मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा सबसे हॉट सीट है। इसके पीछे की मुख्य वजह यह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस सीट को छोड़कर सभी सीटों पर विजय हासिल की थी। छिंदवाड़ा ही एक मात्र इकलौती सीट रही जिसे बीजेपी जीतने में फैल हुई थी। मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की जब भी बात होती है तो उसमें सबसे पहले कमलनाथ की बात होती है। क्योंकि छिंदवाड़ा को कांग्रेस नेता कमलनाथ का गढ़ माना जाता है। बीजेपी कमलनाथ के अभेद किले छिंदवाड़ा को भेदने में असमर्थ रही है। कमलनाथ छिंदवाड़ा सीट से लगातार चुनाव जीतते आए हैं। 2019 में उनके बेटे नकुलनाथ ने इस सीट से जीत हासिल की। अगर यह कहा जाए कि कमलनाथ और छिंदवाड़ा एक दूसरे के पर्याय हैं तो गलत नहीं होगा। हालांकि, कमलनाथ अकेले नेता नहीं हैं जिन्होंने छिंदवाड़ा सीट पर चुनाव जीता है। उनके अलावा भी कई नेता हैं जिन्होंने यहां से चुनाव जीता है। आइए जानते हैं छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का क्या रहा है इतिहास? भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।

छिंदवाड़ा सीट का चुनावी इतिहास

भारत को आजादी मिलने के बाद से, छिंदवाड़ा में अब तक कुल 17 लोकसभा चुनाव और 1 उप-चुनाव हुए हैं। छिंदवाड़ा में सबसे पहला सासंद साल 1952 में कांग्रेस पार्टी का बना था। पहले लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा सीट से कांग्रेस के रायचंदभाई शाह सासंद बने थे। पहले चुनाव में रायचंदभाई ने छिंदवाड़ा सीट से निर्दलीय खड़े हुए पन्नालाल भार्गव को हराया था। हालांकि रायचंदभाई शाह पहला चुनाव जीतने के बाद फिर कभी छिंदवाड़ा सीट से चुनाव नहीं लड़ सके। उन्हें अगले चुनाव में टिकट भी नहीं मिला। इसके साथ वह सिर्फ एक बार के सासंद रहे।

1952 रायचंदभाई शाह कांग्रेस

1957 भीकूलाल चांडक कांग्रेस

1962 भीकूलाल चांडक कांग्रेस

1967 गार्गी शंकर मिश्रा कांग्रेस

1971 गार्गी शंकर मिश्रा कांग्रेस

1977 गार्गी शंकर मिश्रा कांग्रेस

1980 कमलनाथ कांग्रेस

1984 कमलनाथ कांग्रेस

1989 कमलनाथ कांग्रेस

1991 कमलनाथ कांग्रेस

1996 अलकानाथ कांग्रेस

1997 (उपचुनाव) सुन्दर लाल पटवा भाजपा

1998 कमलनाथ कांग्रेस

1999 कमलनाथ कांग्रेस

2004 कमलनाथ कांग्रेस

2009 कमलनाथ कांग्रेस

2014 कमलनाथ कांग्रेस

2019 नकुलनाथ कांग्रेस

आपको बता दें के कांग्रेस ने 1957 और 1962 के आम चुनावों में भी कूलाल चांडक को मैदान में उतारा था। इन दोनों ही आम चुनावों में कांग्रेस को जीत मिली। 1967 में कांग्रेस में फिर एक नए चेहरे को जगह मिलती है। इस बार कांग्रेस ने भीकूलाल की जगह गार्गी शंकर मिश्रा को छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से उतारा। गार्गी शंकर ने भी कांग्रेस को शानदार जीत दिलाई। जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस की जीत को बरकारार रखते हुए लगातार अगले तीन लोकसभा चुनाव जीते। इसके साथ ही छिंदवाड़ा को कांग्रेस पार्टी का गढ़ माना जाने लगा।

कमलनाथ राज

आपातकाल लगने के बाद साल 1977 में पहली बार कांग्रेस पार्टी की लोकसभा चुनावों में हार हुई थी। ऐसे में कांग्रेस 1980 के लोकसभा चनाव में वापसी के हर संभव प्रयास में जुटी हुई थी। छिंदवाड़ा लोकसभा की सीट की बात करें तो दोबारा प्रधानमंत्री बनने के लिए संघर्ष कर रही इंदिरा गांधी ने कमलनाथ को पहली बार मैदान में उतारा।

कमलनाथ को इंदिरा ने बताया तीसरा बेटा

जब कमलनाथ को पहली बार छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से उतारा गया था, उस वक्त का एक रोचक किस्सा भी है। यह बात 13 दिसंबर 1980 की है जब छिंदवाड़ा जिले में एक चुनावी सभा का आयोजन था। उस समय तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व प्रधानंमंत्री इंदिरा गांधी ने युवा कमलनाथ को इशारा करते हुए बड़ी बात बोली थी। उन्होंने कहा था, ये केवल कांग्रेस नेता नहीं हैं, बल्कि राजीव और संजय के बाद मेरे तीसरे बेटे हैं। इंदिरा गांधी की इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कमलनाथ इंदिरा गांधी के कितने करीबी थे। जब से कमलनाथ की एंट्री छिंदवाड़ा में हुई तब से छिंदवाड़ा कांग्रेस के साथ-साथ कमलनाथ का भी गढ़ बन गया। कमलनाथ ने छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से रिकॉर्ड 4 लोकसभा चुनाव की जीत दर्ज की।

छिंदवाड़ा में पहली बार टूटा कांग्रेस का किला

कांग्रेस का गढ़ कहलाने वाली छिंदवाड़ा सीट में कांग्रेस का किला आखिर पहली बार टूट गया। जब साल 1996 में कमलनाथ का नाम हवाला कांड में सामने आया तो उनकी जगह उनकी पत्नी अलका नाथ को मैदान में उतारा गया। 1996 के आम चुनाव में अलका नाथ की जीत भी हुई। लेकिन केवल 8 महीने बतौर सासंद बने रहने के बाद उन्होंने अचानक इस्तीफा दे दिया। अलका नाथ के इस्तीफे के बाद उप-चुनाव में दोबारा कमलनाथ को छिंदवाड़ा सीट से उतारा गया। इस बार भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को हरा दिया। इसी के साथ कांग्रेस का अटूट किला बन चुकी छिंदवाड़ा सीट में पहली बार किसी गैर-कांग्रेसी ने चुनाव जीता। इससे कांग्रेस की लगातार जीत पर ब्रेक लग गया।

कमलनाथ की वापसी

उप-चनाव में भाजपा के सुंदरलाल पटवा के हाथों मिली हार के एक ही साल बाद 1998 में फिर लोकसभा के चुनाव हुए। जिसमें कमलनाथ ने फिर से चुनाव जीत लिया। इस चुनाव के बाद से 2014 तक वे लगातार छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर बतौर सासंद काबिज रहे। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कमलनाथ तब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। इसलिए तब उनके बेटे नकुलनाथ को इस सीट से उतारा गया था। नकुलनाथ ने उस चुनाव में जीत भी दर्ज की थी।

छिंदवाड़ा में कुल कितनी विधानसभा सीटें?

छिंदवाड़ा लोकसभा सीट में कुल 7 विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें जुन्नारदेव, चौरई, अमरवाड़ा, सौसर, छिंदवाड़ा, परासिया और पांढुर्ना विधानसाभा सीटें शामिल हैं।

छिंदवाड़ा विधानसभा सीटों की वर्तमान स्थिति:

सीट का नाम विधायक पार्टी

जुन्नरदेव (एसटी) सुनील उइके कांग्रेस

चौरई सुजीत चौधरी कांग्रेस

अमरवाड़ा (एसटी) कमलेश प्रताप शाह कांग्रेस

सौसर विजय रेवंत चोरे कांग्रेस

छिंदवाड़ा कमलनाथ कांग्रेस

परासिया (एससी) सोहनलाल वाल्मीकि कांग्रेस

पांढुर्ना (एसटी) नीलेश उइके कांग्रेस

जातिगत वर्गीकरण:

2011 की जनगणना के अनुसार छिंदवाड़ा संसदीय सीट से लगभग 11.1% (167,085) अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। जबकि अनुसूचित जनजाति (एसटी) की जनसंख्या 36.2% (544,907) है। वहीं मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 4.7% (71,152) है। इसके अलावा इस सीट पर ग्रामीण मतदाता 75.3% (1,133,466) और शहरी मतदाता 24.7% (371,801) हैं।

क्या रहा पिछले चुनावों का परिणाम?

छिंदवाड़ा संसदीय सीट से 2014 के लोकसभा चुनाव में कमलनाथ की जीत हुई थी। उन्हें 50.54 फीसदी वोट के साथ 5,59,755 वोट पड़े। वहीं भाजपा के खाते में 40.01% के साथ कुल 4,43,218 वोट पड़े। 2.31 वोट परसेंट के साथ गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) 25,628 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही।

2019 के लोकसभा चुनाव में भी छिंदवाड़ा में एक बार फिर कांग्रेस को भारी बहुमत से जीत मिली। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई और कमलनाथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने। सीएम बनने के बाद कांग्रेस ने छिंदवाड़ा से उनके बेटे नकुलनाथ को उम्मीदवार घोषित किया। प्रत्याशी बदलने के बाद भी यहां से कांग्रेस की जीत हुई। प्रदेश में छिंदवाड़ा ही एकमात्र सीट रही, जिस पर नतीजा कांग्रेस के पक्ष में आया। इस बार कांग्रेस को कुल 5,47,305 वोट मिले और वोटिंग प्रतिशत 47.06% रहा। भाजपा ने भी इस बार अपना प्रत्याशी बदला लेकिन उसे जीत नहीं मिली। हालांकि, भाजपा का वोटिंग प्रतिशत पिछले चुनाव से 4.04% बढ़ गया। भाजपा के पक्ष में कुल 5,09,769 वोट पड़े और उसका वोटिंग प्रतिशत बढ़ कर 44.05% हो गया। इसके अलावा अखिल भारतीय गोंडवाना पार्टी (एबीजीपी) को सिर्फ 35,968 वोट मिले और वोटिंग प्रतिशत 2.88% रहा।

Created On :   8 Feb 2024 1:39 PM GMT

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