विधानसभा चुनाव 2023: मध्यप्रदेश की तरह राजस्थान में भी बीजेपी ने सांसदों पर खेला दांव, जानिए क्या है सीटों पर 'सेफ गेम' खेलने का राज!

मध्यप्रदेश की तरह राजस्थान में भी बीजेपी ने सांसदों पर खेला दांव, जानिए क्या है सीटों पर सेफ गेम खेलने का राज!
मध्यप्रदेश की तरह राजस्थान में भी बीजेपी ने सांसदों पर खेला दांव

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने सोमवार को मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों में चुनावी तारीखों का ऐलान किया। इसके कुछ देर बाद बीजेपी ने मध्य प्रदेश में 57, राजस्थान में 41 और छत्तीसगढ़ में 64 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी। इसके बाद सियासी गलियारों में बीजेपी की चुनावी रणनीति को लेकर चारों ओर चर्चा होने लगी। सवाल यह है कि आखिर बीजेपी इन तीनों राज्यों में चुन-चुन के केंद्रीय मंत्री और सांसदों को क्यों उतार रही है। राजस्थान की पहली लिस्ट में बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़, किरोड़ी लाल मीण, दीया कुमारी, देव जी पटेल समेत सात सांसदों को टिकट दिया है। वहीं, छत्तसीगढ़ में पार्टी की दूसरी लिस्ट में 64 प्रत्याशियों में केंद्रीय मंत्री केंद्रीय मंत्री समेत 3 सांसदों को टिकट दिया है। जिनमें केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह, गोमती साय और सांसद और प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव शामिल हैं।

इससे पहले मध्य प्रदेश में बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाह सिंह पटेल, रीति पाठक सहित अन्य सांसदों को टिकट दिया है। पार्टी ने प्रदेश के चुनाव में पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी टिकट सौंपा है। हालांकि, पहले के विधानसभा चुनावों में पार्टी इतना ज्यादा सांसद को विस चुनाव में उतारने से डरती थी। लेकिन, इस बार पार्टी ने अपनी रणनीति से सबको चौंका दिया है। साथ ही, सभी लोग हैरान है कि बीजेपी इतने सारे बड़े नेताओं को विधानसभा चुनाव क्यों उतार रही है।

बीजेपी की रणनीति

इस मसले पर पार्टी सूत्रों और बीजेपी के रणनीति को समझने वाले जानकारों का कहना है कि ऐसा करने से बीजेपी को चुनाव में फायदा होगा। इनमें तीन की चर्चा सबसे ज्यादा है। पहला यह कि भाजपा सांसदों को उतारकर पार्टी के कमजोर सीटों पर अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहती है। साथ ही, जहां से सांसदों को टिकट दिया जाएगा वहां पर वह पार्टी को जीतने के लिए पूरजोर कोशिश करेंगे। इसके अलावा आसपास के सीटों पर भी इसका असर पड़ेगा। पार्टी के ऐसा करने के पीछे का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि सांसद का अपने संसदीय क्षेत्र की सीटों पर असर रहता है। एक संसदीय क्षेत्र में तरकरीब 5 से 6 विधानसभा सीटें आती हैं। ऐसे में अगर सांसद मजबूती के साथ विस चुनाव लडेंगे तो आस-पास के क्षेत्रों में भी इसका असर पड़ेगा। इस बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ जैसे बड़े नेताओं पर बहुत ज्यादा उम्मीद जताई है। जिसे ये सभी बडे़ नेता भी नहीं तोड़ना चाहेंगे।

दूसरा फैक्टर यह है कि बीजेपी मध्य प्रदेश में एंटी-इनकम्बेंसी का सामना कर रही है। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं का स्थानीय क्षेत्र में हौसला बढ़ाने के लिए केंद्रीय मंत्री और सांसद का नेतृत्व बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है। तीसरा फैक्टर यह है कि पार्टी ने अभी तक तीनों राज्यों में सीएम फेस को लेकर घोषणा नहीं की है। पार्टी की कोशिश है कि वह इस बार सभी नेता के साथ मिलकर सामूहिक नेतृत्व के साथ चुनाव लड़े। हालांकि, बीजेपी की रणनीति का फायदा कितना होगा यह तो 3 दिसंबर के दिन चुनावी नतीजे में पता चलेगा।

Created On :   10 Oct 2023 1:35 PM GMT

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