मराठी- गैर मराठी विवाद: मनसे के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर आज शीर्ष कोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार, याचिकाकर्ता ने वापस ली अपनी याचिका

- बॉम्बे हाईकोर्ट के वकील घनश्याम उपाध्याय ने लगाई थी याचिका
- पिटीशनकर्ता ने कई बार अधिकारियों से की थी शिकायत
- याचिका में चुनाव आयोग को निर्देश देकर मनसे की मान्यता रद्द करने की अपील भी की थी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज बॉम्बे हाईकोर्ट के वकील घनश्याम उपाध्याय की उस याचिका पर सुनवाई होनी थी, जिसमें महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। कोर्ट ने इस याचिका पर सुनने से मना कर दिया, उसके बाद पिटीशन कर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली। इससे पहले पिटीशनकर्ता ने कई बार अधिकारियों से शिकायत की थी, बार बार शिकायत करने के बाद भी अधिकारियों ने कोई एक्शन लिया है, उसके बाद उसने सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज ठाकरे ने हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ नफरत फैलाने और हिंसा भड़काने वाले बयान दिए। इसमें 5 जुलाई को हुई राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की रैली का जिक्र किया गया है, जहां राज ठाकरे ने मराठी न बोलने वालों की पिटाई को सही ठहराते हुए कार्यकर्ताओं को उनके 'कान के नीचे लगाने' की सलाह दी थी।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) सुप्रीमो राज ठाकरे और उनकी पार्टी के खिलाफ गैर-मराठी भाषियों पर कथित हमलों के मामले में दायर एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। याचिका में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया गया था कि गैर-मराठी भाषी लोगों पर हो रहे हमलों में राज ठाकरे की भूमिका रही है। याचिकाकर्ता ने टॉप कोर्ट से राज ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। साथ ही चुनाव आयोग को निर्देश देकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की मान्यता रद्द करने की अपील की गई थी।
Created On :   11 Aug 2025 4:11 PM IST