दिल्ली जल बोर्ड पर एक्शन, उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव को 20 करोड़ की गड़बड़ी मामले में एफआईआर के दिए निर्देश

Action on Delhi Jal Board, Lt Governor directs Chief Secretary for FIR in case of disturbance of 20 crores
दिल्ली जल बोर्ड पर एक्शन, उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव को 20 करोड़ की गड़बड़ी मामले में एफआईआर के दिए निर्देश
नई दिल्ली दिल्ली जल बोर्ड पर एक्शन, उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव को 20 करोड़ की गड़बड़ी मामले में एफआईआर के दिए निर्देश

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव को 20 करोड़ रुपये के कथित गबन के आरोप में जल बोर्ड के अधिकारियों और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है। उपराज्यपाल कार्यालय के एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया, यह भ्रष्टाचार का एक अनूठा मामला है जहां 2019 में धन के गबन का पता चला था। पैसे की वसूली और दोषियों को दंडित करने के बजाय, दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने गबन करने वालों के अनुबंध की शर्तों में ढील देने के अलावा अनुबंध को एक साल के लिए बढ़ा दिया और भुगतान की गई सेवा शुल्क भी बढ़ा दी।

अधिकारी ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के इस मामले में, जिसमें डीजेबी को भारी वित्तीय नुकसान हुआ, लोगों से पानी के बिल के रूप में 20 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी एकत्र की गई, जो कि बोर्ड के बैंक खाते के बजाय एक निजी बैंक खाते में डाली गई। जून 2012 में दिल्ली जल बोर्ड ने कॉपोर्रेशन बैंक को तीन साल तक पानी का बिल एकत्रित करने के लिए अधिकृत किया था। इसके बाद 2016 एवं 2017 में भी उन्हें इस काम को जारी रखने के लिए कहा गया। 2019 में जब इस गड़बड़ी का खुलासा हुआ तब भी उनके पास यह अधिकार जारी रखा गया। अधिकारी ने दावा किया कि, बैंक ने दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों से मिलीभगत कर तय नियमों का उल्लंघन करते हुए एक निजी कंपनी को बिल एकत्रित करने एवं उसे दिल्ली जल बोर्ड के खाते में जमा कराने की जिम्मेदारी दी दी।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दिल्ली जल बोर्ड अध्यक्ष रहते हुए 10 अक्टूबर 2019 को पता चला कि यहां बहुत गड़बड़ी हुई है। 11 जुलाई 2012 से लेकर 10 अक्टूबर 2019 के बीच रुपये जमा कराने में 20 करोड़ रुपये की गड़बड़ी सामने आई। यानी उपभोक्ताओं द्वारा जमा किए गए 20 करोड़ रुपये डीजेबी के बैंक खाते में स्थानांतरित नहीं की गई थी। आगे अधिकारी ने कहा कि, यह सब जानने के बावजूद, केजरीवाल की अध्यक्षता वाले बोर्ड ने कॉरपोरेशन बैंक के अनुबंध को और बढ़ा दिया। मेसर्स फ्रेशपे आईटी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, जो बैंक के संग्रह एजेंट के रूप में काम कर रहा था, को 2020 तक बढ़ा दिया। अधिकारी के अनुसार, यहां तक कि गलती करने वाले विक्रेताओं को 20 करोड़ रुपये का भुगतान करने और उन्हें दंडित करने की जगह उनके प्रत्येक बिल के कमीशन को 5 रुपये से बढ़ाकर 6 रुपये कर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया, इसके अलावा, चौंकाने वाली साजिश में, डीजेबी ने आपराधिक रूप से टी प्लस 1 (लेनदेन प्लस 1) मानदंड में ढील दी, यानी उन्हें उस नियम से भी छूट दे दी गई जिसके तहत उन्हें बिल में जमा हुई राशि को 24 घंटे के भीतर जल बोर्ड के खाते में जमा कराना था।

छानबीन के दौरान पता चला है कि यह रकम फेडरल बैंक के एक खाते में जमा हो रही थी। वहां से यह रकम जल बोर्ड के खाते की जगह एक निजी कंपनी के खाते में जमा हो रही थी। किसी तीसरे बैंक खाते में बिल के रुपये जमा होना नियमों का उल्लंघन था। कॉपोर्रेशन बैंक ने इस काम को किया और जल बोर्ड के अधिकारियों में इस पर चुप्पी साधी रखी। एलजी ने इस तथ्य को गंभीरता से लिया है कि धोखाधड़ी के सामने आने के बावजूद, डीजेबी ने न केवल नकदी की वसूली और दोषियों को दंडित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया, बल्कि गबन करने वालों के अनुबंध को एक और वर्ष के लिए बढ़ा दिया, जिससे साफ है कि ये सब मिलीभगत से हुआ है। उपराज्यपाल ने संबंधित डीजेबी अधिकारियों, बैंक अधिकारियों और इसमें शामिल निजी संस्थाओं के खिलाफ मामले में प्राथमिकी दर्ज करने और राशि की जल्द से जल्द वसूली करने का आदेश जारी किए हैं। उन्होंने उक्त धनराशि की हेराफेरी में शामिल दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों की पहचान कर उनकी जिम्मेदारी तय कर 15 दिन के अंदर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट देने के भी निर्देश दिए हैं।

 

(आईएएनएस)

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Created On :   24 Sep 2022 12:00 PM GMT

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