विधानसभा अध्यक्षों के सम्मेलन में दल-बदल विरोधी कानून, असंसदीय शब्दों और सदन में हंगामे को लेकर हुई चर्चा

Anti-defection law, unparliamentary words and uproar in the house were discussed in the assembly of Speakers
विधानसभा अध्यक्षों के सम्मेलन में दल-बदल विरोधी कानून, असंसदीय शब्दों और सदन में हंगामे को लेकर हुई चर्चा
दिल्ली विधानसभा अध्यक्षों के सम्मेलन में दल-बदल विरोधी कानून, असंसदीय शब्दों और सदन में हंगामे को लेकर हुई चर्चा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में हुई विधानसभा अध्यक्षों की बैठक में दल-बदल विरोधी कानून को मजबूत करने और इस मामले में स्पीकर को प्राप्त असीमित शक्तियों, असंसदीय शब्दों और सदन में हंगामे को लेकर चर्चा हुई जिसमें यह तय किया कि दलबदल विरोधी कानून को मजबूत करने के लिए पीठासीन अधिकारियों, संवैधानिक और कानूनी विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों के साथ अभी और ज्यादा विचार-विमर्श किया जाएगा। बैठक में मौजूद सभी विधानसभा अध्यक्ष, इस बात पर भी सहमत हुए कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए लिए सभी राजनीतिक दलों से बात करेंगे कि राष्ट्रपति और राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सदन में व्यवधान नहीं हो।

शुक्रवार को नई दिल्ली के संसद भवन परिसर में आयोजित भारत में विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों की इस बैठक में राज्य सभा के उपसभापति और 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में बोलते हुए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि विधायिकाओं में वाद-विवाद और चर्चा गरिमापूर्ण होनी चाहिए और प्रत्येक सदस्य को इस तरह से आचरण करना चाहिए, जिससे सदन की गरिमा और मर्यादा में वृद्धि हो। उन्होने आगे कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए। बिरला ने सुझाव दिया कि पीठासीन अधिकारी नियमित रूप से बैठक करें और इन मुद्दों पर चर्चा करें ताकि विधानसभाओं में सार्थक चर्चा हो सके। दल-बदल विरोधी कानून को मजबूत करने के बारे में बोलते हुए बिरला ने कहा कि कानून में संशोधन के लिए पीठासीन अधिकारियों, संविधान विशेषज्ञों, कानूनी विद्वानों और अन्य हितधारकों से परामर्श किया जाएगा।

असंसदीय शब्दों पर मचे राजनीतिक हंगामे को लेकर लोक सभा अध्यक्ष ने सभी पीठासीन अधिकारियों से सदस्यों को यह सूचित करने का आग्रह किया कि किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, लेकिन जो शब्द सभापीठ के निर्देशों के अनुसार कार्यवाही से हटा दिए गए हैं, उन्हें संकलित किया गया है। पीठासीन अधिकारियों को सदन में सम्मानजनक आचरण के लिए सदस्यों का मार्गदर्शन करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने राज्य विधानसभाओं की बैठकों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रयास करने का भी सुझाव सभी विधानसभा अध्यक्षों को दिया। बैठक में शिमला और गुवाहाटी में हुए पीओ सम्मेलन में अपनाए गए प्रस्तावों के कार्यान्वयन के बारे में भी चर्चा की गई।

देश में विधानसभाओं के बारे में जानकारी के लिए एक मंच की आवश्यकता पर जोर देते हुए बिरला ने बताया कि एक डिजिटल प्लेटफार्म तैयार किया जा रहा है और इस प्लेटफार्म पर देश के सभी विधानसभाओं की डिबेट्स उपलब्ध होगी। उन्होंने राज्य विधानसभाओं की बहसों को साझा करने के लिए पीठासीन अधिकारियों से सहयोग मांगा ताकि एक मजबूत डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया जा सके। नियमों और प्रक्रियाओं की एकरूपता पर बोलते हुए, उन्होने कहा कि पंचायतों सहित सभी लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित विधायी निकायों के लिए नियमों और प्रक्रियाओं की एकरूपता, जमीनी स्तर से लोकतंत्र को मजबूत करेगी।

राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के आगामी सम्मेलन का जिक्र करते हुए बिरला ने बताया कि उनके नेतृत्व में एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल 20-26 अगस्त 2022 तक हैलिफैक्स, नोवा स्कोटिया, कनाडा में होने वाले राष्ट्रमंडल संसदीय संघ- सीपीए सम्मेलन में भाग लेगा। इस कार्यक्रम में 54 देशों के 181 प्रतिनिधि भाग लेंगे जिनमें भारत से 27 प्रतिनिधि शामिल होंगे।

 

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Created On :   15 July 2022 2:00 PM GMT

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