बंगाल स्पीकर ने जस्टिस गंगोपाध्याय का नाम लिए बिना न्यायपालिका को उसकी मर्यादा याद दिलाई
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमन बंदोपाध्याय ने शुक्रवार को न्यायपालिका को उसकी सीमाओं की याद दिलाई। बंदोपाध्याय विधानसभा परिसर में बीआर अंबेडकर की 132वीं जयंती के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अगर न्यायपालिका खुद को हर मामले में सर्वोच्च मानती है तो यह लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का कार्यक्षेत्र विशिष्ट होता है। प्रशासन को प्रशासनिक कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, और न्यायपालिका को अपने संबंधित कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। न्यायपालिका को राज्य सरकार को स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति देनी चाहिए। न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा सीबीआई और ईडी को तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से निष्कासित युवा तृणमूल नेता कुंतल घोष द्वारा लगाए गए आरोपों पर पूछताछ करने की अनुमति दिए जाने के ठीक एक दिन बाद उनकी यह टिप्पणी आई है कि केंद्रीय एजेंसियां उन पर पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाले में बनर्जी का नाम लेने का दबाव बना रही हैं।
दरअसल, तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने भी गुरुवार को अदालत में न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की टिप्पणियों के बाद उनके खिलाफ तीखा हमला किया था। हालांकि, घोष के विपरीत बंदोपाध्याय ने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय का नाम नहीं लिया। बंदोपाध्याय ने कहा कि अगर किसी को लगता है कि वह किसी को भी तलब कर सकते हैं, तो कल वह विधानसभा अध्यक्ष को तलब करने की सोच सकते हैं। लेकिन यह वांछनीय नहीं होगा। उन्हें यह समझना चाहिए कि ऐसा कोई संदेश नहीं जाना चाहिए कि अदालत किसी भी बिंदु पर पक्षपात कर रही है।
(आईएएनएस)
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Created On :   14 April 2023 11:00 PM IST