बीजेपी ने एससी-ओबीसी महिलाओं को राज्यसभा उम्मीदावर बनाकर सूबे के साथ साथ संकेतों में साधे कई समीकरण, राज्यसभा में नए चेहरे, गुजरात चुनाव की तैयारी

बीजेपी ने एससी-ओबीसी महिलाओं को राज्यसभा उम्मीदावर बनाकर  सूबे के साथ साथ संकेतों में साधे कई समीकरण, राज्यसभा में नए चेहरे, गुजरात चुनाव की तैयारी
राज्यसभा चुनाव 2022 बीजेपी ने एससी-ओबीसी महिलाओं को राज्यसभा उम्मीदावर बनाकर सूबे के साथ साथ संकेतों में साधे कई समीकरण, राज्यसभा में नए चेहरे, गुजरात चुनाव की तैयारी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में बीजेपी ने राज्यसभा की रिक्त हो रही दोनों सीटों पर दो अलग अलग वर्ग की महिला प्रत्याशियों को  उम्मीदवार बनाकर  एक रणनीति से कई समीकरणों को साध लिया है। बीजेपी ने एमपी से राज्यसभा के लिए कविता पाटीदार और सुमित्रा बाल्मीकि को उम्मीदवार बनाया है। दोनों महिला हैं। बीजेपी पहली बार एमपी से दोनों सीटों पर महिला को राज्यसभा भेज रही है।

नए नेताओं को नया मौका देकर बीजेपी ने नए तरीके से उन सभी नेताओं का चौंका दिया है, जो अपना नाम लिए दिल्ली में मुलाकात और बैठकें कर रहे थे।  मोदी युग  की नए दौर की राजनीति में न केवल ऐसे मौको को गढ़ा जा रहा है बल्कि नए चेहरों को मौका देकर सड़क से सियासत की सीढियों पर चढ़ाया भी जा रहा है। एक तरफ देश की सबसे पुरानी पार्टी अपनी पुरानी नीतियों से बाहर नहीं आ पा रही जिसकी वजह से उसकी ये राजनैतिक दुर्दशा हुई है। वहीं बीजेपी अपने पुराने वरिष्ठ नेताओं को साधते हुए सियासत की नई विसात बिछा रही है। 

मप्र में राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी के खाते में दो सीटों का जाना तय है। बीजेपी ने पहले तो इंदौर से ओबीसी वर्ग की महिला कविता पाटीदार को राज्यसभा उम्मीदवार घोषित कर अपने लोकतांत्रिक इरादे का परिचय दे दिया था , बीजेपी ने उसे और मजबूती तब दे दी जब अनुसूचित जाति की महिला कैंडिडेट सुमित्रा बाल्मीकि को प्रत्याशी बना दिया था। वैसे इन दोनों सीटों पर बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता नजर लगाए बैठे थे, लेकिन जिन्हें महिला उम्मीदवारों को उनके नाम की उम्मीद नहीं थी बीजेपी ने उन्हें मौका देकर नई पीढ़ी के नए नेताओं का राजनीति में मौके की उम्मीद जगाई है।  

अभी तक एससी वर्ग के ज्यादातर वोटों की गिनती कांग्रेस और बसपा के खाते में होती आई  है। लेकिन यूपी में बीजेपी के ऐतिहासिक जीत में शामिल रहा एससी वोट ने बीजेपी की और उम्मीद बढ़ा दी है। इसी सिलसिले में बीजेपी ने आगामी चुनावों के मद्देनजर ये रणनीति अपनाई है। एमपी में 17 फीसदी से अधिक एससी वोटरों की आबदी है, जिन पर बीजेपी का फोकस है। 

सूबे में ओबीसी वोटरों का आबादी करीब 50 फीसदी है, कहीं जगह तो 50 फीसदी से भी अधिक है। ऐसे में ओबीसी उम्मीदवार उतारकर बीजेपी ने इस वर्ग के वोटरों को साधने का प्रयास किया है।  उसमें से भी इस साल के अंत में गुजरात  विधानसभा के चुनाव होने में है, ऐसे में मध्यप्रदेश के पश्चिमी इलाके का गुजरात की राजनीति में काफी असर पड़ता है। गुजरात में भी पटेल पाटीदार ओबीसी मतदाताओं  की आबादी अधिक है ऐसे में कविता पाटीदार का नाम भेजकर बीजेपी ने मध्यप्रदेश के साथ साथ गुजरात के चुनावी गणित को हल करने का काम किया है। निकाय चुनावों में बीजेपी यदि सक्सेस होती है तो ये मानकर चलिए कि बीजेपी को 2023 और आम चुनावों में भी इसका लाभ देखने को मिल सकता है। 

इससे बीजेपी ने उन सभी विरोधी आरोपों का साध लिया जो उन पर विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे थे। कांग्रेस की ओर से बीजेपी पर ओबीसी आरक्षण विरोधी और वंचित वर्ग के शोषण करने का आरोप इन दिनों सड़कों के चौराहों और चौपाटी पर आसानी से सुना जा सकता है। बीजेपी के इस कदम को स्थानीय चुनावों से पहले  विरोधियों को परंपरागत राजनीति का जवाब माना जा रहा है। बीजेपी अपनी इस चाल से ओबीसी, एससी और महिला वोटरों को एक ही झटके में साध लिया है।

 


 


 

 

 

Created On :   31 May 2022 10:14 AM GMT

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