क्या विपक्ष के हमलों से डर कर बीजेपी ने लिया यूटर्न? अमर्यादित और असंसदीय शब्दों पर क्या बोले लोकसभा स्पीकर ओम बिरला

BJPs U-turn on unparliamentary words after Oppositions attack
क्या विपक्ष के हमलों से डर कर बीजेपी ने लिया यूटर्न? अमर्यादित और असंसदीय शब्दों पर क्या बोले लोकसभा स्पीकर ओम बिरला
अमर्यादित शब्दों पर यूटर्न क्या विपक्ष के हमलों से डर कर बीजेपी ने लिया यूटर्न? अमर्यादित और असंसदीय शब्दों पर क्या बोले लोकसभा स्पीकर ओम बिरला

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बीते बुधवार को लोकसभा में जारी किए गए असंसदीय शब्दों के लिस्ट को लेकर विपक्षी पार्टियां, सरकार पर हमलावर हैं। सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। असंसदीय शब्दों को लेकर देश की सियासत में हो रहे बवाल के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने अपने फैसले को लेकर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि ये फैसला 1954 से जारी एक प्रथा का ही अंग है। आगे कहा कि किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। लोकसभा अध्यक्ष की ओर से जारी बयान के बाद उन सभी अटकलों पर विराम लग गया। जिसमें दावा किया किया जा रहा था कि बीजेपी सरकार कई असंसदीय शब्दों को हटाने जा रही है।

विपक्ष ने घेरा फिर बीजेपी का यू-टर्न

जानकारी के लिए बत्ता दें कि लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्दों की एक लिस्ट जारी की थी जिसके मुताबिक अब इन शब्दों का संसद में कार्यवाही के दौरान इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। असंसदीय शब्दों की श्रेणी में जुमलाजीवी, तानाशाह आदि अनेक शब्द जोड़े जाने को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। कई दलों ने कहा कि वे इन शब्दों के पाबंदी वाले आदेश को नहीं मानेंगे और इसका इस्तेमाल संसद में बहस के दौरान भी जारी रखेंगे। कांग्रेस ने इस फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू से किया है।

विपक्ष फैला रहा अफवाह
 
लोकसभा अध्यक्ष ने अपने फैसले के बचाव में कहा कि पहले भी इस तरह के असंसदीय शब्दों की किताब का विमोचन किया जाता रहा है। हमने कागजों की बर्बादी से बचाव के तहत इसे इंटरनेट पर डाला है। किसी भी शब्द को प्रतिबंधित नहीं किया गया है। बिड़ला ने कहा, "क्या (विपक्ष) ने 1,100 पन्नों की इस डिक्शनरी (असंसदीय शब्दों की लिस्ट) को पढ़ा है।

अगर वे पढ़े होते तो गलतफहमियां नहीं फैलाते। यह 1954,1986, 1992, 1999, 2004, 2009 व 2010 में भी जारी हुआ था। 2010 से सालाना आधार पर इसे रिलीज किया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि जिन शब्दों को हटाया गया है, वे विपक्ष के साथ- साथ सरकार में बैठी पार्टी के सांसदो की तरफ से भी संसद में कार्यवाही के दौरान उपयोग किए गए है। केवल उन्हीं शब्दों को हटाया गया है, जिन पर पहले आपत्ति दर्ज की गई थी। 


 

Created On :   14 July 2022 2:05 PM GMT

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