दमोह की तस्वीर बदलने वाली पर्यावरण मित्र सिंचाई योजना पर संकट के बादल

Clouds of crisis on environmental friendly irrigation scheme that changed the picture of Damoh
दमोह की तस्वीर बदलने वाली पर्यावरण मित्र सिंचाई योजना पर संकट के बादल
दमोह दमोह की तस्वीर बदलने वाली पर्यावरण मित्र सिंचाई योजना पर संकट के बादल

डिजिटल डेस्क, दमोह। मध्य प्रदेश में बुंदेलखंड वह इलाका है जो पानी संकट के कारण हमेशा चर्चा में रहता है और इस इलाके का दमोह जिला इस समस्या के मामले में सबसे ऊपर है। यहां के बड़े हिस्से की तकदीर और तस्वीर बदलने के लिए जमीन पर उतारी जा रही पंचम नगर सिंचाई परियोजना पर संकट के बादल छाने लगे हैं। यह प्रदेश की पहली पर्यावरण मित्र परियोजना है।

पंचम नगर मध्यम सिंचाई परियोजना के जरिए सागर और दमोह जिले के लगभग एक सैकड़ो गांव तक पानी पहुंचाने के लिए जमीन पर उतारा जा रहा है। इस परियोजना से जहां सिंचाई के लिए पानी मिलेगा तो वही पीने का पानी भी आसानी से सुलभ हो सकेगा इस परियोजना के तहत दमोह की पथरिया विधानसभा क्षेत्र में लगभग 29 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाई जा चुकी हैं और इसके जरिए आधा सैकड़ा गांव की 16 हजार हेक्टेयर क्षेत्र की खेती को पानी भी मिल रहा है। यह ऐसी गुरुत्वाकर्षण आधारित परियोजना है जिसमें प्रेशराइज्ड पाइप के जरिए पानी भेजा जा रहा है और इसके लिए बिजली की भी जरूरत नहीं पड़ रही है।

इस परियोजना में एक बड़ी बाधा नरसिंहगढ़ इलाके में आ गई है जहां पर सीमेंट संयंत्र है और उसे लाइमस्टोन खनन के लिए राज्य सरकार द्वारा लीज दी गई है। इस संयंत्र को 1247 हेक्टेयर भूमि का पट्टा दिया गया है, जिसमें से लगभग साढ़े चार हेक्टेयर जमीन की जरूरत इस परियोजना के लिए है। सीमेंट संयंत्र यह जमीन को देने के लिए तैयार नहीं है।

यह मामला सरकार के स्तर पर भी हैं और न्यायालय तक पहुॅचा, इसे आपसी समन्वय से निपटाने की कोशिशें हुई हैं, मगर अब तक सफलता नहीं मिली है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस परियोजना में बड़ा बदलाव किया जाना है और इसके लिए पाईप लाइन की दिशा ही बदली जाएगी, जिसका सीधा असर पानी की आपूर्ति पर पड़ना तय है। एक तरफ जहां परियोजना की लागत बढ़ जाएगी, वहीं पानी गुरुत्वाकर्षण के जरिए खेतों तक नहीं पहुंच पाएगा, इसके लिए बिजली मोटर आदि का उपयोग जरूरी हो जाएगा।

जानकारों का कहना है कि यह पर्यावरण मित्र परियोजना है, प्रदेश की ऐसी पहली सिंचाई परियोजना है, जिसमें बगैर बिजली के खर्च के पानी को खेतों तक आसानी से पहुंचाया जा सकेगा, इसमें पगारा बांध से पानी छोड़ा जाएगा और इस बांध की ऊंचाई अधिक होने की वजह से पानी 25 हजार हेक्टेयर की क्षेत्र की सिंचाई में मददगार होगा, इसमें बिजली का उपयोग नहीं होगा और हर साल लगभग बीस करोड की बिजली भी बचेगी। अब सीमेंट संयंत्र के असहयोगत्मक रुख के चलते परियोजना के जल्दी पूरे होने पर कुहासा गहराने लगा है।

यहां हम आपको बता दें कि यह परियोजना जिस क्षेत्र में है वह केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल का संसदीय क्षेत्र दमोह है. उसके बावजूद यह परियोजना अधर में लटकने की स्थिति में पहुंचती जा रही है। यहां बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इस परियोजना का जमीनी खाका तो तभी खींचा गया होगा जब सारे तथ्यों का परीक्षण किया गया होगा, मगर अब सीमेंट संयंत्र के असहयोगात्मक रुख ने एक बड़ी येाजना केा मुसीबत मंे डाल दिया है।

(आईएएनएस)

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Created On :   21 April 2023 4:00 PM IST

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