मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी, विधानसभा चुनाव से पहले सीएम चेहरा बनने की होड़ तेज, जानिए क्यों कमलनाथ का पलड़ा है सबसे ज्यादा भारी

Congresss problems increased in Madhya Pradesh too, the competition to become the
मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी, विधानसभा चुनाव से पहले सीएम चेहरा बनने की होड़ तेज, जानिए क्यों कमलनाथ का पलड़ा है सबसे ज्यादा भारी
कांग्रेस की बढ़ी मुश्किलें मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी, विधानसभा चुनाव से पहले सीएम चेहरा बनने की होड़ तेज, जानिए क्यों कमलनाथ का पलड़ा है सबसे ज्यादा भारी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान की तरह मध्य प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी में आंतरिक कलह बढ़ती जा रही है। जहां एक तरफ मध्य प्रदेश कांग्रेस की ओर से सोशल मीडिया के जरिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को सीएम पद के चेहरे के तौर पर तैयार कर रही है तो वहीं दूसरी ओर पार्टी के कुछ नेताओं ने कह दिया है कि विधानसभा चुनाव के बाद ही तय होगा कि अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा। 

गौरतलब है कि पार्टी के पूर्व नेता प्रतिपक्ष रह चुके अजय सिंह ने सोमवार को कहा है कि कांग्रेस की यह पुरानी परंपरा रही है कि पार्टी स्वय सीएम चेहरा घोषित नहीं करती है। अजय सिंह के इस बयान के पहले पार्टी के प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण यादव भी कुछ इसी प्रकार का बयान दे चुके हैं। वहीं पूर्व अध्यक्ष कमलनाथ ने भी सोमवार को साफ कर दिया कि उन्होंने बहुत कुछ हासिल किया है और अब वह पद की तलाश में नहीं हैं। जिसके बाद ये अटकलें लग रही हैं कि वो अगले चुनाव में सीएम पद के दावेदार होंगे या नहीं।

पार्टी तय नहीं करती है सीएम चेहरा

अजय सिंह ने मीडिया से कहा कि कांग्रेस की परंपरा रही है कि मुख्यमंत्री का चेहरा कौन रहेगा यह पार्टी तय नहीं करती। इसका निर्णय केंद्रीय दल और विधायक दल लेती है। साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी में कोई व्यक्ति चुनाव से पहले खुद को पार्टी का भावी मुख्यमंत्री के रूप में भी प्रॉजेक्ट नहीं करता है। पार्टी में व्यक्ति खुद को केवल भावी विधायक के रूप में साबित कर सकते है। पार्टी में विधायक दल की बैठक और केंद्रीय नेतृत्व के परामर्श के बाद ही सीएम को घोषित किया जाता है। 

प्रदेश में होर्डिंग्स सियासत

बता दें कि, इस साल के अंत तक मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। 26 जनवरी के दौरान भी राजधानी भोपाल के कई स्थानों पर ऐसे होर्डिंग्स लगे हुए थे, जिनमें कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री के तौर पर प्रदर्शित किया गया। इन होर्डिंग्स को लेकर पार्टी में नेताओं को बीच तनातनी तेज हो गई है। साल 2018 में कांग्रेस को राज्य में जीत मिली थी। इस दौरान प्रदेश के सीएम कमलनाथ बने थें। हालांकि प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से बगावत करके भाजपा में शामिल हो गए। जिसकी वजह से राज्य में कांग्रेस की सरकार गिर गई और एक बार फिर से सीएम तौर पर शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की कमान संभाली।

सीएम पद के प्रबल दावेदार कमलनाथ

कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनाव जीतने के बाद कमलनाथ ही प्रदेश के अगले सीएम बनेंगे, इसकी संभावनाएं काफी ज्यादा हैं। एक वक्त ऐसा भी था जब सियासी गलियारों में चर्चा होती थी कि इंदिरा के दो हाथ, 'संजय गांधी और कमलनाथ'। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पार्टी में कमलनाथ का कद क्या है। 2014 में मोदी लहर के दौरान हिंदी बेल्ट में भाजपा ने शानदार जीत हासिल की थी, लेकिन मध्य प्रदेश में मामला इससे बिल्कुल अलग था। उस वक्त राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मजबूत किले के रूप में छिंदवाड़ा और गुना में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन मोदी लहर के बावजूद भी छिंदवाड़ा से कमलनाथ विजयी रहे। साल 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान जब ज्योतिरादित्य सिंधिया को एमपी सीएम का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था तब पार्टी ने कमलनाथ के नाम पर मुहर लगाई। 

 

Created On :   6 Feb 2023 3:51 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story