धनखड़ ने सुवेंदु अधिकारी से जुड़ी घटना पर मुख्य सचिव और डीजीपी को किया तलब

Dhankhar summoned the Chief Secretary and DGP on the incident related to Suvendu Adhikari
धनखड़ ने सुवेंदु अधिकारी से जुड़ी घटना पर मुख्य सचिव और डीजीपी को किया तलब
पश्चिम बंगाल धनखड़ ने सुवेंदु अधिकारी से जुड़ी घटना पर मुख्य सचिव और डीजीपी को किया तलब

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने शनिवार को मुख्य सचिव हरि कृष्ण द्विवेदी और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मनोज मालवीय को तलब कर उन्हें भाजपा नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी से जुड़ी एक घटना की जानकारी देने को कहा है। दरअसल पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने शुक्रवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ को एक पत्र लिखा था।

 जिसमें उन्होंने शिकायत की थी कि उन्हें झारग्राम के बिनपुर प्रखंड अंतर्गत आने वाले नेताई में एक कार्यक्रम में शामिल होने से रोका गया था। यह पत्र मिलने के बाद शनिवार को राज्यपाल धनखड़ ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को 10 जनवरी तक इस मामले की पूरी जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है और एक लिखित रिपोर्ट भी मांगी है।

अधिकारी वहां वाम मोर्चे के शासन के दौरान मारे गए नौ लोगों को श्रद्धांजलि देने जा रहे थे। राज्यपाल ने एक ट्वीट में लिखा, बेहद परेशान करने वाली एक घटना को देखते हुए जो आपातकाल की याद दिलाती है, सुवेंदु अधिकारी की ओर से 7 जनवरी को लिखे गए पत्र के संबंध में मुख्य सचिव और बंगाल पुलिस के महानिदेशक को निर्देश दिया कि घटना की पूरी जानकारी 10 जनवरी को सुबह 11 बजे कर उपलब्ध कराई जाए। राज्य प्रशासन को धनखड़ का निर्देश तब आया है, जब अधिकारी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि उन्हें नेताई जाने की अनुमति नहीं मिल पाई।

इससे पहले एक अन्य ट्वीट में धनखड़ ने लिखा था कि प्रशासन अधिकारी के साथ गलत व्यवहार कर रहा है। अधिकारी ने लिखा, शुक्रवार को नेताई के रास्ते में, पश्चिम बंगाल पुलिस की एक बड़ी टुकड़ी ने मेरा रास्ता रोक दिया, पूरी सड़क पर बैरिकेडिंग कर दी। सुवेंदु अधिकारी ने अपने पत्र में लिखा था कि मुझे नेताई जाने से रोक दिया गया था, जहां मैं सात जनवरी 2011 को मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करने जा रहा था। नेताई में 2011 में कथित तौर पर सीपीआई (एम) के कार्यकर्ताओं की गोलीबारी में नौ लोगों की मौत हुई थी। नंदीग्राम से भाजपा विधायक अधिकारी ने आरोप लगाया कि पुलिस ने मुझे रोका, जबकि कलकत्ता हाईकोर्ट यह कह चुकी है कि मेरे कहीं आने-जाने पर कोई रोक नहीं है।

अधिकारी ने कहा कि 7 जनवरी 2011 को हथियारबंद गुंडों ने नेताई के निर्दोष ग्रामीणों को निशाना बनाकर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें नौ लोगों की जान चली गई जबकि कई अन्य घायल हो गए। अधिकारी ने कहा कि वह शुक्रवार (7 जनवरी) को नेताई जाना चाहते थे, लेकिन यह अनुमान लगाते हुए कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस उन्हें वहां जाने से रोक सकती है, उन्होंने झारग्राम के एसपी को पत्र लिखकर अनुमति मांगी, जिसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। अधिकारी ने कहा, मैंने काफी पहले ही कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने 2022 के डब्ल्यूपीए संख्या 129 में मामले की अध्यक्षता की।

उन्होंने आगे कहा, एजी ने अदालत को आश्वासन दिया कि मेरे आंदोलन पर कोई प्रतिबंध नहीं है और राज्य सरकार बंगाल के किसी भी हिस्से में मेरे सुरक्षित मार्ग के लिए सुरक्षा प्रदान करेगी। उन्होंने यहां तक कहा कि भारत के नागरिक के रूप में, मैं बिना किसी झिझक के देश के किसी भी हिस्से में जाने के लिए स्वतंत्र हूं। अधिकारी ने आरोप लगाते हुए कहा कि जानबूझकर कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना की गई है और एजी के सबमिशन को भी दरकिनार किया गया है।

भाजाप नेता ने कहा, उन्होंने मुझे नेताई जाने की अनुमति नहीं दी। मैंने उनसे अनुरोध किया कि मुझे किसी भी हालत में आने दें, भले ही यह मेरे लिए अकेले जाने के लिए क्यों न हो। मेरे सभी अनुरोध विफल हो गए। उन्होंने कहा, मैंने इसके बाद एक अस्थायी स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करके इस अवसर को मनाने के लिए पास के भीमपुर गांव तक मार्च किया।इसके बाद राज्यपाल ने अब इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारियों को सोमवार को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने और घटना के विवरण से अवगत कराने को कहा है।

(आईएएनएस)

Created On :   8 Jan 2022 5:00 PM GMT

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