बंगबंधु की हत्या के पीछे पूर्व सेना प्रमुख : हत्यारे का कबूलनामा

Former army chief behind Bangabandhus murder: confession of killer
बंगबंधु की हत्या के पीछे पूर्व सेना प्रमुख : हत्यारे का कबूलनामा
बंगबंधु की हत्या के पीछे पूर्व सेना प्रमुख : हत्यारे का कबूलनामा

ढाका, 15 अगस्त (आईएएनएस)। बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के लिए अप्रैल में फांसी की सजा सुनाए जाने से पहले एक कबूलनामे में सैन्य अधिकारी अब्दुल माजिद ने कहा था कि 1975 की हत्या के पीछे बांग्लादेश के पूर्व सेना प्रमुख रियाउर रहमान थे।

बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की मौत पर शनिवार को बांग्लादेश के लोगों ने शोक व्यक्त किया, जिनकी हत्या 15 अगस्त, 1975 को उनकी पत्नी बेगम फाजिलातुन्निसां मुजीब सहित परिवार के 12 अन्य सदस्यों के साथ कर दी गई थी।

माजिद ने स्वीकार करते हुए कहा कि हत्या के अगले दिन, रियाउर रहमान ने ढाका छावनी के सभी जवानों और अधिकारियों को संबोधित किया।

माजिद ने रहमान के हवाले से कहा, उन्होंने हर किसी को प्रेरित किया कि जो कुछ हुआ है, उसके बारे में चिंता न करें। यह राष्ट्र का मुद्दा है, यह हमारा मुद्दा नहीं है।

माजिद ने आगे कहा कि हत्या में शामिल लोगों को नरसंहार के दिन बंगभवन में आश्रय दिया गया था।

वे राष्ट्रपति खंडेकर मुश्ताक के बगल में ही वीआईपी सुविधा में ठहरे हुए थे, जहां रहमान जाते थे और उनसे मिलते थे। बाद में उन्होंने उन ढोंगी अधिकारियों को सम्मानित भी किया।

उन्होंने हत्यारों को विदेश सेवा में तैनात किया और उनमें से प्रत्येक को इनाम के रूप में पदोन्नत किया।

अपने कबूलनामे में माजिद ने कहा कि वह एक अपेक्षाकृत कनिष्ठ अधिकारी के रूप में हत्यारों के साथ था।

उसने कहा कि नूर चौधरी ने बंगबंधु को गोली मार दी, जबकि रिसालदार मोसलेह उद्दीन ने परिवार के अन्य सदस्यों की गोली मारकर हत्या कर दी।

माजिद ने यह भी दावा किया कि जिन लोगों को विदेश सेवा में नौकरी दी गई थी, उनमें उसके लायक योग्यता नहीं थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें तो महज रहमान के प्रत्यक्ष संरक्षण के कारण विदेशी पद पर पदोन्नति दी गई थी।

वे अधिकारी विदेशी सेवा के लिए योग्य नहीं थे, वे स्नातक भी नहीं थे। उनमें से अधिकांश अल्पकालिक कमीशन अधिकारी थे।

माजिद ने बार-बार अपनी भागीदारी छिपाने की कोशिश की थी। सेनेगल के राजदूत के रूप में सेवा करने के बाद, उनकी इच्छा के अनुसार 1980 में उन्हें देश में वापस लाया गया और बांग्लादेश इनलेन्ड वॉटर ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (बीआईडब्ल्यूटीसी) में उपसचिव के पद पर पदोन्नत किया गया।

माजिद को 12 अप्रैल को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था। उसे सात अप्रैल को ही ढाका से गिरफ्तार किया गया था। माजिद और उसके साथी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा शुरू होने के 24 साल बाद उसकी गिरफ्तारी हुई।

एकेके

Created On :   15 Aug 2020 2:30 PM GMT

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