बिलकिस मामले में केंद्र व राज्य सरकार पर कांग्रेस बोली : रिहाई न्यायपालिका का निर्णय नहीं, बल्कि सरकार का निर्णय
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, गुजरात सरकार के अनुसार रिहाई का निर्णय 1992 की जो क्षमादान की नीति है और रिहाई की नीति है, रेमीशन की जो नीति है, उसके आधार पर लिया गया, जबकि 1992 की रेमीशन नीति राज्य सरकार की वेबसाईट पर नहीं है। आरटीआई के सेक्शन 4 के अनुसार ये तमाम नीतियां वेबसाइट पर होनी चाहिए।
1992 की वो नीति 8 मई, 2013 गुजरात सरकार द्वारा समाप्त कर दी गई थी, तब मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी थे,तो ऐसी नीति जो है ही नहीं, उस नीति के आधार पर आप 11 बलात्कारियों को, 11 हत्यारों को क्षमादान दे देते हैं।
हालांकि उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि, राज्य सरकार सर्वोच्चय न्यायलय को आधार बनाकर कुछ तथ्य रख रही है जिसपर उन्होंने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को 3 महीने के अंदर निर्णय लेने का आदेश दिया था, निर्णय क्या होना चाहिए इसका कोई जिक्र नहीं था।
पवन खेड़ा ने गुजरात के मुख्यमंत्री ये सवाल पूछते हुए कहा, गुजरात के मुख्यमंत्री बताएं कि जेल एडवाइजरी कमेटी के सदस्य कौन-कौन हैं, जिन्होंने ये अनुशंसा की थी? ये कब आई? 8 मई 2013 को नए शासनादेश की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी थी? निर्भया के केस में मांग करने वाले आज चुप क्यों हैं, बाकी विपक्षी दल चुप क्यों हैं?
कांग्रेस के मुताबिक, जिस अपराध की जांच किसी केन्द्रीय एजेंसी ने की हो, उसमें क्षमादान या रिहाई का निर्णय अकेले राज्य सरकार नहीं ले सकती, सीआरपीसी का 435, सक्षम, 435 ऑफ सीआरपीसी के तहत राज्य सरकार को केन्द्र सरकार की अनुमति लेनी होती है। सीआरपीसी के सेक्शन 345 के मुताबिक, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से जानना चाहते हैं की क्या रिहाई से पहले आप से अनुमति ली थी? अगर नहीं तो गुजरात के मुख्यमंत्री के खिलाफ इस गैर कानूनी काम को अंजाम देने के लिए क्या एक्शन लेने वाले हैं?
आईएएनएस
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Created On :   17 Aug 2022 9:30 PM IST