जजों की नियुक्ति प्रक्रिया पर कानून मंत्री का बड़ा बयान, कहा- संविधान के मार्गदर्शन और जनता की इच्छा के अनुसार देश का शासन व्यवस्था चलेगा

Law Ministers big statement on the appointment process of judges, said-
जजों की नियुक्ति प्रक्रिया पर कानून मंत्री का बड़ा बयान, कहा- संविधान के मार्गदर्शन और जनता की इच्छा के अनुसार देश का शासन व्यवस्था चलेगा
सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच खीचतान जारी जजों की नियुक्ति प्रक्रिया पर कानून मंत्री का बड़ा बयान, कहा- संविधान के मार्गदर्शन और जनता की इच्छा के अनुसार देश का शासन व्यवस्था चलेगा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच जारी तकरार थमने का नाम नहीं ले रही है। इस बीच शनिवार को केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि मैंने एक रिपोर्ट देखी है जिसमें कोर्ट ने 'चेतावनी' दी है। कानून मंत्री ने कहा कि, " जनता इस देश की मालिक हैं और हम सभी सेवक हैं। हम सब यहां सेवा के लिए हैं। हमारा मार्गदर्शक संविधान है। संविधान के मार्गदर्शन और जनता की इच्छा के अनुसार देश का शासन व्यवस्था चलेगा। कोई भी किसी को चेतावनी नहीं दे सकता।" बता दें कि उन्होंने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के समोरोह में की है। 

हम सभी लोग जनता के सेवक हैं- कानून मंत्री

इस दौरान किरेन रिजिजू ने जनता को देश का मालिक बताया और संविधान को देश का मार्गदर्शक बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि हम सभी लोग( विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका) जनता के सेवक हैं। कानून मंत्री ने कहा कि, "देश में कभी-कभी कुछ मामलों को लेकर चर्चा चलती है और लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का हक है। लेकिन जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को कुछ कहने से पहले यह सोचना होगा कि इससे देश को फायदा होगा या नहीं। कानून मंत्री ने कहा कि, " इस समय देश में चार करोड़ 90 लाख मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। हम इस समस्या का समाधान निकाल रहे हैं। सबसे बड़ा उपाय प्रौधोगिकी समाधान है। हाल ही में बजट में ई-कोर्ट फेज 3 के लिए 7000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।"

एक क्लिक पर मामले की जानकारी हासिल कर पाएंगे

साथ ही उन्होंने कहा कि, "देश का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय होने के नाते मेरी इच्छा है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ई-कोर्ट परियोजना लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाए। सरकार ने 1486 पुराने और चलन से बाहर के कानून समाप्त किए हैं। वर्तमान संसद सत्र में ऐसे 65 कानून हटाने की प्रक्रिया चल रही है।" उन्होंने कहा," सरकार ने भारी संख्या में लंबित मामलों को देखते हुए लीगल इन्फार्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम यानी कानून सूचना प्रबंधन प्रणाली लागू करने की तैयारी की है जिससे व्यक्ति किसी भी उच्च न्यायालय में मामला किस स्तर पर है, इसकी जानकारी एक क्लिक पर हासिल कर सकेगा।"

समानांतर न्याय स्थापित होगी- कानून मंत्री

कानून मंत्री ने कहा कि मध्यस्थता विधेयक अब अंतिम चरण में है। इसके पारित होने के बाद देश में समानांतर न्याय स्थापित होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि मध्यस्थता की व्यवस्था पूर्ण न्यायिक व्यवस्था होगी और इसके पारित होने के बाद छोटे-छोटे मामले अदालत के बाहर ही निपट जाएंगे। जिससे अदालतों पर बोझ भी समाप्त होगी। बात दें कि इस समारोह में उच्चतम न्यायलय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति प्रितिंकर दिवाकर, न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा, महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र समेत हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा शामिल हुए। 

Created On :   4 Feb 2023 10:27 PM IST

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