राज्य पार्टी का दर्जा जाने से आंध्र प्रदेश को लेकर बीआरएस की योजनाओं को झटका
डिजिटल डेस्क, हैदराबाद। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) से आंध्र प्रदेश में पार्टी की मान्यता वापस लेने के चुनाव आयोग (ईसी) के फैसले से अगले साल अपने चुनाव चिह्न् एंबेसडर कार पर चुनाव लड़ने की उम्मीद कर रही पार्टी को झटका लगा है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की अध्यक्षता वाली पार्टी, जिसे पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के नाम से जाना जाता था, ने चुनाव आयोग से अपील की थी कि वह पार्टी की मान्यता रद्द न करे क्योंकि उसकी अगले साल पड़ोसी राज्य में चुनाव लड़ने की योजना है।
पार्टी नेताओं का कहना है कि वे चुनाव आयोग के कदम से हैरान नहीं हैं। बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव ने कहा कि चूंकि बीआरएस ने 2019 में आंध्र प्रदेश में चुनाव नहीं लड़ा था, इसलिए चुनाव आयोग की कार्रवाई मात्र तकनीकी थी। बीआरएस ने आंध्र प्रदेश में राज्य पार्टी का दर्जा खो दिया क्योंकि यह चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित मानदंडों और शर्तों को पूरा नहीं करता था। चुनाव आयोग ने बताया कि बीआरएस ने 2019 में आंध्र प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था। इसलिए, पार्टी का चुनावी प्रदर्शन वहां राज्य की पार्टी के रूप में मान्यता के लिए निर्धारित किसी भी मानदंड से मेल नहीं खाता।
पार्टी आलाकमान को भेजे गए पत्र में चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए बीआरएस नेतृत्व भी आयोग के सामने पेश नहीं हुआ। हालांकि, पार्टी ने इस संबंध में चुनाव आयोग से अनुरोध किया था। बीआरएस ने मार्च में चुनाव आयोग से आंध्र प्रदेश में पार्टी की मान्यता रद्द नहीं करने का अनुरोध किया था क्योंकि यह 2024 के चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। चुनाव आयोग ने एक नोटिस जारी कर पार्टी से पूछा था कि आंध्र प्रदेश में उसकी मान्यता क्यों नहीं रद्द कर देनी चाहिए क्योंकि उसने 2019 में विधानसभा और संसदीय चुनाव नहीं लड़ा था।
चुनाव आयोग ने 2004 में टीआरएस को अविभाजित आंध्र प्रदेश में एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल के रूप में मान्यता दी थी। चूंकि 2014 के चुनाव राज्य के औपचारिक विभाजन से कुछ सप्ताह पहले हुए थे, टीआरएस एक पंजीकृत पार्टी बनी रही। ,टीआरएस ने 2018 में तेलंगाना में विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन 2019 में पड़ोसी आंध्र प्रदेश में एक साथ हुए विधानसभा और लोकसभा चुनावों में हिस्सा नहीं लिया। इसलिए, चुनाव आयोग ने आंध्र प्रदेश में मान्यता की स्थिति के बारे में नोटिस दिया था।
लोकसभा या विधानसभा चुनावों में प्रदर्शन के आधार पर मान्यता प्राप्त पार्टियों की स्थिति की समय-समय पर समीक्षा करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा नोटिस जारी किया जाता है।,चूंकि टीआरएस को हाल ही में बीआरएस नाम दिया गया है और यह आंध्र प्रदेश में अगला चुनाव लड़ने की योजना बना रही है, पार्टी नेतृत्व ने चुनाव आयोग से आंध्र प्रदेश में एक मान्यता प्राप्त पार्टी के रूप में अपना दर्जा बरकरार रखने का आग्रह किया है। अन्य राज्यों के संबंध में, उसने कहा कि जब उसे अनिवार्य सीटें और वोट शेयर मिलेंगे तो वह मान्यता मांगेगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चुनाव आयोग का कदम बीआरएस के लिए एक झटका है, जो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव लड़कर आंध्र प्रदेश की राजनीति में प्रवेश करने की योजना बना रही है। आंध्र प्रदेश में बीआरएस के प्रमुख थोटा चंद्रशेखर ने कहा, बीआरएस अगले विधानसभा चुनाव में सभी 175 सीटों के साथ-साथ आंध्र प्रदेश की सभी 25 संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ेगी। चूंकि बीआरएस भी स्थानीय निकाय चुनाव लड़कर जल्द ही महाराष्ट्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाह रही है, इसलिए इसकी योजनाओं में बाधा आने की संभावना है क्योंकि इसे कार चिह्न् नहीं मिलेगा। पार्टी को फ्री सिंबल चुनना होगा।
टीआरएस की आम सभा में 5 अक्टूबर 2022 को पार्टी का नाम बदलकर बीआरएस करने का निर्णय हुआ था। इस बदलाव को चुनाव आयोग की मंजूरी मिलने के साथ ही 8 दिसंबर 2022 को टीआरएस का नाम आधिकारिक रूप से बीआरएस हो गया। पार्टी ने बाद में दिल्ली में अपना राष्ट्रीय कार्यालय खोला और आंध्र प्रदेश में पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किया। पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव को लक्ष्य बनाकर चल रही है। वह आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और ओडिशा में अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाह रही है। उसे उम्मीद है कि उसे चुनाव आयोग से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाएगा और वह एक आम चुनाव चिह्न् पर चुनाव लड़ सकेगी।
बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामाराव ने पहले कहा था, चूंकि हमें दी गई एंबेसडर कार का प्रतीक देश में किसी भी पार्टी को आवंटित नहीं किया गया है, इसलिए हम चुनाव आयोग से बीआरएस को एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता देने का अनुरोध करेंगे। इससे हमें कई राज्यों में चुनाव लड़ने की सुविधा मिलेगी। हालांकि, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि बीआरएस को राज्यों में चुनाव लड़ने के लिए एक ही चुनाव चिह्न् मिल सकता है या नहीं। भारतीय निर्वाचन आयोग का चुनाव चिह्न् आरक्षण एवं आवंटन आदेश, 1968 के अनुसार केवल मान्यता प्राप्त पार्टियों को पार्टी के चिह्न् आवंटित किए जाते हैं।
चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए पार्टी को कम से कम चार राज्यों में छह प्रतिशत के वोट शेयर हासिल करना चाहिए या कम से कम एक-एक सीट का प्रतिनिधित्व करने की आवश्यकता है। चुनाव आयोग के मानदंडों के अनुसार, एक राजनीतिक दल को राज्य में एक राज्य पार्टी के रूप में मान्यता के लिए पात्र होने के लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना चाहिए: पिछले विधानसभा चुनाव में कम से कम छह प्रतिशत वोट हासिल करना, दो विधानसभा सीटें जीतना; पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य में कम से कम छह प्रतिशत वोट हासिल करना और एक लोकसभा सीट जीतना; पिछले विधानसभा चुनाव में कम से कम तीन फीसदी सीटें जीतना; पिछले आम चुनाव में राज्य को आवंटित प्रत्येक 25 सदस्यों के लिए कम से कम एक लोकसभा सीट जीतना; लोकसभा या राज्य में विधानसभा के लिए हुए पिछले आम चुनावों में कम से कम आठ प्रतिशत वोट हासिल करना।
(आईएएनएस)
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Created On :   16 April 2023 2:00 PM IST