अचानक कार्यक्रम बदलकर नरोत्तम मिश्रा के घर पहुंचे पार्टी प्रमुख नड्डा, इस मुलाकात से एमपी की सियासत को मिला क्या संदेश, इस तरह समझिए
- सियासत में समोसा
डिजिटल डेस्क,भोपाल। मध्यप्रदेश के दौरे पर आए बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने पार्टी के कई नेताओं से मुलाकात की, लेकिन मप्र गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा द्वारा नड्डा का गर्मजोशी से स्वागत, मुलाकात, बातचीत, उसके बाद अध्यक्ष द्वारा मिश्रा का हाथ पकड़कर पीछे खींचकर स्टेज पर हाथ मिलाना समाचारों के साथ साथ सियासी संगठन में चर्चा का विषय बन गया।
भारतीय जनता पार्टी के यशस्वी राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय श्री @JPNadda जी से आज भोपाल प्रवास के दौरान मिले मार्गदर्शन ने प्रदेश के विकास और प्रदेश की जनता के कल्याण के हमारे संकल्प को एक नई ऊर्जा से ओत-प्रोत किया है।
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) June 1, 2022
आपकी आत्मीयता और स्नेह के लिए हार्दिक आभार।#MPWelcomeNaddaJi pic.twitter.com/BngV8NjpV4
यहां तक सब ठीक लेकिन पार्टी अध्यक्ष नड्डा का निर्धारित कार्यक्रम से इतर अचानक नरोत्तम के घर पहुंचना और वहां नरोत्तम के हाथ से समोसा खाने से सूबे की राजनीति में ट्रायगल क्रिएट हो गया। सियासत में जिसके अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं।
स्टेट हैंगर में खुद आगे बढ़कर मिश्रा से हाथ मिलाने के चर्चा के बाद बदलते कार्यक्रमों के चलते मिश्रा के घर पहुंचे नड्डा को मिश्रा ने समोसे क्या परोसे सियासत में कई नेताओं के रंग उड़ गए। इससे ये अंदाज लगा सकते है कि संगठन में गृहमंत्री की पैठ कितनी तगड़ी है। नड्डा की खूब खातिरदारी कर मिश्रा ने अध्यक्ष का दिल तो जीत ही लिया, अपने विरोधियों को ये भी बता दिया कि मिश्रा की मजबूती कितनी है। बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने महाकाल का प्रतीक चिन्ह भेंट किया।
नजदीकी के क्या मायने?
कई राजनीतिक विश्लेषक नड्डा द्वारा विशेष तौर पर नरोत्तम से बातचीत को शिवराज के लिए खतरे की घंटी मान रहे हैं, क्योंकि इससे पहले कई मौके पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और सीएम शिवराज सिंह चौहान की बीच सियासी खींचतान, मनमुटाव और दरकिनार जैसी खबरों ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। नड्डा की इस मुलाकात ने आग में घी डालने का काम तो किया ही है, उसके साथ ही शिवराज सिंह चौहान को भी ये संकेत दे दिया है आपको फ्री हैंड नहीं दिया जा सकता। अब देखना है कि सियासी गुणा भाग और सरकार के अंदर किसकी कितनी चलेगी। हाल फिलहाल इतना तो कहा ही जा सकता है कि सीएम चौहान को अपनी उस कार्यशैली में बदलाव तो करना ही पड़ सकता है जिसकी वजह से मिश्रा और सीएम में मनमुटाव होता हुआ अलग अलग मौकों पर देखने को मिलता था। ऐसे में दोनों ही तरफ से नरमता देखने को मिल सकती है। इस चर्चा के ये भी मायने निकाले जा रहे है कि आने वाले चुनावों में नरोत्तम की अहमियत और बढ़ सकती है।
Created On :   2 Jun 2022 6:40 PM IST