मध्यप्रदेश में नदियों पर छिड़ता सियासी संग्राम

Political war on rivers in Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश में नदियों पर छिड़ता सियासी संग्राम
राजनीति मध्यप्रदेश में नदियों पर छिड़ता सियासी संग्राम

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में चुनाव करीब आने के साथ सियासी गर्माहट बढ़ रही है और जनता को लुभाने के लिए दोनों ही दल एक दूसरे को घेरने में नहीं चूक रहे हैं। कांग्रेस ने अब नदियों को लेकर शिवराज सरकार पर हमला बोला है तो वहीं भाजपा की ओर से कांग्रेस पर तंज कसे जा रहे हैं।

राज्य में नदियों की हालत एक बड़ा मुद्दा बनी हुई है, क्योंकि कई ऐसी नदियां राज्य से होकर गुजरती हैं जिनका धार्मिक महत्व है और लोगों की आस्था से जुड़ी हुई है। यही कारण है कि कांग्रेस ने नदियों को लेकर भाजपा की सरकार पर हमला बोला है।

कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि कमलनाथ सरकार ने नदियों के संरक्षण के लिये ट्रस्ट बनाकर 400 करोड़ की राशि से काम शुरू कराया था। आगे कहा गया है कि जीवन दायिनी नर्मदा, क्षिप्रा, ताप्ती और मंदाकिनी नदी के नाम से चार ट्रस्ट बनाकर कमलनाथ ने नदियों के पुनरूत्थान की दिशा में सबसे बड़ा कदम उठाया था।

वहीं जवाब में भाजपा की ओर से कहा जा रहा है कि कांग्रेस के काल में नदियों के संरक्षण के नाम पर ही बंदरबांट की कोशिश शुरू हो गई थी और कांग्रेस से जुड़े लोगों को नदियों के पुनर्जीवित करने का काम सौंपा जाने लगा था।

वहीं नदी संरक्षण क्षेत्र में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता मानते हैं कि राज्य में सरकार चाहे जिस दल की रही हो उसने नदियों के जीवन को बचाने की कभी सार्थक कोशिश नहीं की है। यह बात अलग है कि कागजों पर यह कोशिश जरूर हुई है। यही कारण है कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद शिप्रा की हालत सबके सामने है, नर्मदा का क्या हाल है यह किसी से छुपा नहीं है। दोनों ही दल अपने को नदी प्रेमी और हितैषी बताते हैं मगर हकीकत कुछ और है।

 (आईएएनएस)।

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Created On :   19 Jan 2023 9:30 PM IST

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