संसद और राज्य विधानमंडलों की लोक लेखा समितियों का होना चाहिए एक साझा मंच- लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला

Public Accounts Committees of Parliament and State Legislatures should have a common platform- Lok Sabha Speaker Om Birla
संसद और राज्य विधानमंडलों की लोक लेखा समितियों का होना चाहिए एक साझा मंच- लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला
नई दिल्ली संसद और राज्य विधानमंडलों की लोक लेखा समितियों का होना चाहिए एक साझा मंच- लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला
हाईलाइट
  • भारत की लोक लेखा समिति के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में संसद भवन में आयोजित हुआ दो दिवसीय शताब्दी समारोह

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधायिका तथा संसद की सर्वोच्चता को कायम रखने में लोक लेखा समिति के योगदान को महत्वपूर्ण मानते हुए कहा है कि संसद और सभी राज्यों के विधानमंडलों की लोक लेखा समितियों का एक साझा मंच होना चाहिए।

भारत की लोक लेखा समिति के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में संसद भवन में आयोजित दो दिवसीय शताब्दी समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम में बोलते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने केन्द्रीय और राज्य स्तरों पर लोक लेखा समितियों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होने कहा कि चूंकि संसद की लोक लेखा समिति व राज्यों की लोक लेखा समितियों के बीच साझे हित के अनेक मुद्दे हैं, इसलिए संसद और राज्य विधानमंडलों की लोक लेखा समितियों का एक साझा मंच होना चाहिए। इससे बेहतर समन्वय, अधिक पारदर्शिता और कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

भारतीय लोकतंत्र में संसदीय समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताते हुए ओम बिरला ने कहा कि लोकतान्त्रिक संस्थाओं का मुख्य दायित्व शासन को जनता के प्रति जवाबदेह, जिम्मेदार तथा पारदर्शी बनाना है और संसदीय समितियों ने अपने कार्यों से इसे संभव बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

शनिवार को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में दो दिवसीय शताब्दी समारोह का उदघाटन करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि लोकतंत्र में, संसद लोगों की इच्छाओं का प्रतीक होती है और संसदीय समितियां इसके विस्तार के रूप में काम करते हुए इसे कार्यकुशल बनाती हैं।

उन्होने कहा कि चूंकि संसद ही कार्यपालिका को धनराशि जुटाने और खर्च करने की अनुमति देती है, इसलिए यह आकलन करना भी इसका कर्तव्य है कि निर्धारित उद्देश्यों के अनुसार धन जुटाया और खर्च किया गया या नहीं। उन्होने संसदीय समितियों के बिना संसदीय लोकतंत्र को अधूरा बताते हुए कहा कि संसदीय समितियां, विशेष रूप से लोक लेखा समिति, विधायिका के प्रति कार्यपालिका की प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करती हैं।

उन्होने लोक लेखा समिति के रिकॉर्ड को सराहनीय और उल्लेखनीय बताते हुए उम्मीद जताई कि इस समिति का यह शताब्दी समारोह कार्यपालिका को अधिक जवाबदेह बनाने और इस प्रकार जनकल्याण में सुधार करने के तरीकों पर चर्चा के लिए एक आदर्श मंच प्रदान करेगा।

दो दिवसीय शताब्दी समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू, संसद की लोक लेखा समिति के सभापति अधीर रंजन चौधरी के अलावा कई केंद्रीय मंत्री, सांसद, राज्यों के विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी, राज्यों की लोक लेखा समितियों के अध्यक्ष और अन्य विशिष्ट व्यक्ति भी शामिल हुए।

इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत की संसद की लोक लेखा समिति की शताब्दी स्मारिका का विमोचन किया और साथ ही लोक लेखा समिति की सौ वर्ष की यात्रा को दर्शाने वाली प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया।

 

(आईएएनएस)

Created On :   4 Dec 2021 1:30 PM GMT

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