सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस, सीबीआई, ईडी की चार्जशीट सार्वजनिक करने की जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

SC reserves verdict on PIL to make public charge sheets of Police, CBI, ED
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस, सीबीआई, ईडी की चार्जशीट सार्वजनिक करने की जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस, सीबीआई, ईडी की चार्जशीट सार्वजनिक करने की जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) व प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी जांच एजेंसियों द्वारा दायर चार्जशीट तक लोगों की मुफ्त पहुंच की मांग की गई थी।

जस्टिस एम.आर. शाह और सी.टी. रविकुमार ने मौखिक रूप से कहा कि यदि चार्जशीट उन लोगों को दी जाती है, जो मामले से संबंधित नहीं हैं, गैर सरकारी संगठन हैं तो उनका दुरुपयोग हो सकता है। अदालत ने कहा, चार्जशीट हर किसी को नहीं दी जा सकती। शीर्ष अदालत अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर पत्रकार और पारदर्शिता कार्यकर्ता सौरव दास की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

सुनवाई के दौरान पीठ ने संकेत दिया कि ईडी की चार्जशीट को सार्वजनिक किए जाने के मुद्दे का जिक्र पिछले साल के पीएमएलए फैसले में किया गया है, जिसे शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने पारित किया था। भूषण ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 74 का हवाला देते हुए तर्क दिया कि आरोपपत्र सार्वजनिक दस्तावेज हैं, जिन्हें एक्सेस किया जा सकता है।

उन्होंने तर्क दिया कि अदालत इसी तरह के निर्देश यूथ बार एसोसिएशन के मामले में पारित कर सकती है, जिसमें प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को 24 घंटे के भीतर ऑनलाइन अपलोड करने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि सार्वजनिक प्राधिकरण उचित जांच के बाद चार्जशीट तैयार करते हैं और ऐसा कोई कारण नहीं है कि लोग इसे एक्सेस करने में सक्षम क्यों न हों। दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि वह याचिका पर विचार करेगी और विस्तृत आदेश पारित करेगी।

याचिका में कहा गया है : सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुलिस को अपनी वेबसाइटों पर एफआईआर की प्रतियां प्रकाशित के निर्देश ने वास्तव में आपराधिक न्याय प्रणाली के कामकाज में पारदर्शिता के लिए प्रेरित किया है, इसलिए अगर निराधार आरोपों पर चार्जशीट दाखिल की जाती है, तो उसकी जांच की जानी चाहिए।

याचिका में कहा गया है कि नागरिकों को चार्जशीट के सक्रिय प्रकटीकरण का कानूनी और संवैधानिक अधिकार है, क्योंकि जानने का अधिकार अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार से उत्पन्न एक मौलिक अधिकार है और इसे भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा कानून के रूप में निर्धारित किया गया है।

याचिका में कहा गया है, पारदर्शिता के लिए वेबसाइटों पर चार्जशीट उपलब्ध कराना और चार्जशीट तक सार्वजनिक पहुंच को सक्षम करना जरूरी है, ताकि नागरिक जानकारी पा सकें और प्रेस आपराधिक मुकदमों पर विश्वासपूर्वक और सटीक रूप से रिपोर्ट कर सके।

 

 (आईएएनएस)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   9 Jan 2023 8:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story