कोलकाता में डब्ल्यूबीबीपीई कार्यालय के बाहर तनाव बढ़ा, प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस इकट्ठा

Tension rises outside WBBPE office in Kolkata, police gather to clear protesters
कोलकाता में डब्ल्यूबीबीपीई कार्यालय के बाहर तनाव बढ़ा, प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस इकट्ठा
पश्चिम बंगाल कोलकाता में डब्ल्यूबीबीपीई कार्यालय के बाहर तनाव बढ़ा, प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस इकट्ठा

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन (डब्ल्यूबीबीपीई) के साल्ट लेक स्थित कार्यालय के सामने गुरुवार शाम से ही तनाव बढ़ गया है, क्योंकि राज्य में प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए भारी संख्या में पुलिस दल वहां जमा हो गया है।

पुलिस दल कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति लपिता बंदोपाध्याय की एकल न्यायाधीश पीठ के एक आदेश के आधार पर वहां पहुंचा। हालांकि जिसने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस कार्रवाई का निर्देश नहीं दिया, लेकिन दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 155 के रखरखाव के लिए कहा।

उस आदेश के बाद विशाल पुलिस दल ने घोषणा करना शुरू कर दिया कि प्रदर्शनकारियों को जगह खाली करने के लिए कहा जाए। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने क्षेत्र खाली करने से इनकार कर दिया और दावा किया कि वह बिना किसी हथियार के शांतिपूर्ण सभा का सहारा ले रहे हैं और न ही वह डब्ल्यूबीबीपीई कार्यालय के प्रवेश द्वार को अवरुद्ध कर (रोक) रहे हैं।

प्रदर्शनकारियों में से एक ने कहा- हम आमरण अनशन में हैं। हम पानी या भोजन भी नहीं ले जा रहे हैं। इसलिए, हम अपने आंदोलन से पीछे हटने के बजाय किसी भी पुलिस कार्रवाई और यहां तक कि गोलियों का सामना करने के लिए भी तैयार हैं। हम पहले ही प्राथमिक शिक्षक की नौकरी के लिए अर्हता प्राप्त कर चुके थे, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण अवैध रूप से नियुक्ति से वंचित कर दिया गया था। अब बोर्ड हमें नए सिरे से परीक्षा देने के लिए कह रहा है। जब तक हमें नियुक्ति पत्र नहीं मिल जाते हम यहां से नहीं हटेंगे।

आंदोलनकारियों के वकीलों ने कलकत्ता एचसी के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव के कार्यालय से संपर्क किया है ताकि गुरुवार रात को ही एकल-न्यायाधीश पीठ के आदेश को चुनौती दी जा सके। इसके साथ, हंगामे के बीच कई प्रदर्शनकारी बीमार पड़ गए और उनमें से कुछ को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, सरकार हमें बिना भोजन और पानी के मरने दे सकती है। पुलिस हम पर गोलियां चला सकती है। लेकिन जब तक हमें नियुक्ति पत्र नहीं मिल जाते, हम अपना आंदोलन वापस नहीं लेंगे। इस रिपोर्ट के दाखिल होने तक इस मामले में डब्ल्यूबीबीपीई या मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

 

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Created On :   20 Oct 2022 10:30 PM IST

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