मुस्लिम ब्रदरहुड से तुलना करने पर राहुल गांधी को आरएसएस का जवाब, दत्तात्रेय होसबले ने कहा- बड़े नेता होने के नाते संभल कर दे बयान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाल ही में कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ब्रिटेन के दौरे पर गए हुए थे। जहां पर उन्होंने भाजपा सरकार और आरएसएस पर जोरदार हमला बोला था। एक कार्यक्रम में शामिल हुए राहुल से जब आरएसएस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसकी तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से कर दी थी। अब इसी बयान पर आरएसएस ने राहुल गांधी पर हमला बोला है और उनको नसीहत दी है कि विपक्ष के सबसे बड़े नेता होने के नाते उन्हें जिम्मेदारी से बात करनी चाहिए।
राहुल गांधी को आरएसएस का जवाब
मीडिया से बातचीत के दौरान आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि राहुल ने जो आरएसएस को लेकर बयान दिया वो बहुत ही गैरजिम्मेदराना है। विपक्ष के इतने बड़े नेता होने के बावजूद उन्हें इस तरह के बयान से बचना चाहिए। राहुल और उनके पूर्वजों पर आरोप लगाते हुए दत्तात्रेय ने कहा कि आरएसएस के खिलाफ न जाने कितनी बार कार्रवाई की लेकिन कुछ नहीं कर पाए।
दत्तात्रेय होसबले ने आगे कहा "मेरी राय में इस पर टिप्पणी करने की कोई जरूरत नहीं है। वे अपने राजनीतिक एजेंडा के हिसाब से काम करते हैं। उनके पूर्वजों ने भी आरएसएस के खिलाफ कई बार कार्रवाई की लेकिन हर कोई आरएसएस की सच्चाई जानता है। विपक्ष के बड़े नेता होने के नाते उन्हें अपनी बातें और जिम्मेदारी से रखनी चाहिए।"
— ANI (@ANI) March 14, 2023
आरएसएस पर राहुल ने क्या कहा था?
दरअसल, राहुल गांधी हमेशा से ही आरएसएस को आड़े हाथों लेते रहे हैं। पिछले दिनों ब्रिटेन दौरे पर गए हुए राहुल जब चैथम हाउस में लेक्चर देने पहुंचे तब उन्होंने आरएसएस को कट्टरपंथी और फासीवादी संगठन कह कर संबोधित किया था। उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि "आरएसएस एक कट्टरपंथी और फासीवादी संगठन है। इसने मूल रूप से भारत के सभी संस्थानों पर कब्जा कर लिया है। आरएसएस को एक सीक्रेट सोसाइटी कहा जा सकता है, जिसे मुस्लिम ब्रदरहुड की तर्ज पर बनाया गया था।" वहीं राहुल गांधी के इस बयान पर भाजपा ने उन्हें खूब खरी खोटी सुनाई थी और उन्हें विदेशों में जाकर भारत को बदनाम करने का आरोप भी लगाया था।
क्या है मुस्लिम ब्रदरहुड ?
राहुल गांधी ने जिस आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से की वो मिस्त्र का एक बड़ा इस्लामिक संगठन है। यह साल 1928 में अस्तिव में आया था। इस संगठन को इख्वान-अल-मुस्लिमीन के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, इस संगठन का मुख्य उद्देश्य देश को शरिया कानून से चलाना है। आतंक को बढ़ावा देने वाले इस संगठन का कर्ताधर्ता हसन-अल-बन्ना को माना जाता है। जिसने हथियार बंद गुट का भी गठन किया था। इस गुट को बनाने का लक्ष्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ बमबारी करने का था।
Created On :   14 March 2023 3:12 PM IST