मानसून सत्र: ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा के दौरान राज्यसभा में बोले केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, विपक्ष पर किया हमला

ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा के दौरान राज्यसभा में बोले केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, विपक्ष पर किया हमला
  • 2010-2014 के बीच पत्थरबाजी की घटनाएं 2000 से घटकर शून्य हुई
  • पिछले तीन वर्षों में कश्मीर घाटी एक दिन के लिए भी बंद नहीं हुई
  • एक आतंकवादी का औसत जीवन अब केवल 7 दिन का है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का आखिरी दिन है। ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा के दौरान राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा तत्कालीन सरकार ने 2005 के दिल्ली सीरियल बम विस्फोटों, 2006 के वाराणसी आतंकी हमले, 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन बम विस्फोटों में कोई कार्रवाई नहीं की, मुद्दा यह है कि तब भारत और पाकिस्तान के बीच आतंकवाद और व्यापार और पर्यटन जारी रहा।

नड्डा ने कहा हमें उनकी तत्कालीन कांग्रेस सरकार की तुष्टिकरण की सीमा को समझने की जरूरत है कि 2008 में इंडियन मुजाहिद्दीन द्वारा किए गए जयपुर बम विस्फोटों के बाद, भारत और पाकिस्तान एक विशिष्ट विश्वास-निर्माण उपायों पर सहमत हुए थे। वो हमें गोलियों से भूनते रहे और हम उनको बिरयानी खिलाने चले। उन्होंने नियंत्रण रेखा पार करने के लिए ट्रिपल-एंट्री परमिट की अनुमति दी।

नड्डा ने आगे कहा एक पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा था कि भारत की नीति है कि सीमाओं का विकास न करना ही सबसे अच्छा बचाव है। अविकसित सीमाएँ विकसित सीमाओं से ज़्यादा सुरक्षित होती हैं। एक पूर्व गृह मंत्री ने कहा था कि मुझे कश्मीर जाने में डर लगता है .हम इस देश में अंधकार में जी रहे थे। 2014-2025 तक, जम्मू-कश्मीर को छोड़कर देश में आतंकवादी हमले बंद हो गए।

उरी सर्जिकल स्ट्राइक की बात करें तो 1947 के बाद यह पहली बार था कि भारतीय प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप से कहा कि उरी हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और तीन दिनों के भीतर सर्जिकल स्ट्राइक की गईं और आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया गया। यह बदलता भारत है उन लोगों की तुलना में राजनीतिक इच्छाशक्ति देखिए जिन्होंने कहा था कि हम देखेंगे कि क्या करना है?

ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा के दौरान राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, 2010-2014 के बीच पत्थरबाजी की घटनाएं 2000 से घटकर शून्य हो गईं। पिछले तीन वर्षों में, कश्मीर घाटी एक दिन के लिए भी बंद नहीं हुई। आज, स्थानीय आतंकवाद समाप्त हो गया है, केवल विदेशी आतंकवादी ही बचे हैं। एक आतंकवादी का औसत जीवन अब केवल 7 दिन का है। यह आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता का परिणाम है।

Created On :   30 July 2025 5:29 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story