Monsoon Session 2025: आतंकियों के लिए जी का जंजाल था POTA कानून? जानें क्या है वो कानून जिसका संसद में जिक्र करके विपक्षियों पर साधा अमित शाह ने निशाना

आतंकियों के लिए जी का जंजाल था POTA कानून? जानें क्या है वो कानून जिसका संसद में जिक्र करके विपक्षियों पर साधा अमित शाह ने निशाना
  • संसद सत्र में गृह मंत्री अमित शाह ने पोटा कानून का किया जिक्र
  • पोटा कानून को लेकर कांग्रेस पर जमकर साधा निशाना
  • पोटा कानून बनाया गया था 2002 में

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत की थी। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है। साथ ही उन्होंने पोटा एक्ट 2002 भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा है कि, अटल जी की एनडीए सरकार पोटा को लेकर आई थी। उस वक्त पोटा पर किसी ने भी कोई आपत्ति नहीं जताई थी। कांग्रेस पार्टी ने साल 2004 में सत्ता में आने के बाद सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह की सरकार ने पोटा कानून को पूरी तरह से खत्म कर दिया था। कांग्रेस ने किसके फायदे के लिए पोटा को खत्म किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वो पोटा एक्ट क्या है जिसके बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जिक्र कर रहे हैं? चलिए पोटा एक्ट के बारे में जानते हैं कि क्या था ये एक्ट और क्यों रद्द किया गया था?

पोटा एक्ट क्या है?

बता दें, पोटा कानून का पूरा नाम प्रिवेंशन ऑफ टेररिज्म एक्ट, 2002 है। ये भारत में आतंकवाद से निपटने और उसको पूरी तरह से खत्म करने के लिए बनाया गया था। साल 1999 के आईसी-814 अपहरण और 2001 में संसद भवन पर आतंकी हमले के बाद आतंकवाद के खतरों के बाद से सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए एक कानून का गठन किया था। तत्कालीन एनडीए सरकार की तरफ से साल 2002 में एक एक्ट लागू किया गया था। जिससे आतंकवादी एक्टिविटीज पर सख्त लगाम लगाई जा सके। इस एक्ट के तहत किसी भी संदिग्ध को 180 दिनों तक हिरासत में रखना, आतंकी संगठनों से संबंध होने पर गिरफ्तारी, टेररिज्म के लिए पैसा इकट्ठा किया जा रहा है तो उसको भी टेरेरिस्ट एक्ट माना जा सकता था। इसके अलावा, फोन टैपिंग, संपत्ति जब्ती और गवाहों की कॉन्फिडेंशियल रखने जैसे कई अधिकार इस एक्ट के अंतर्गत बनाए गए थे।

क्यों हुआ था ये एक्ट रद्द?

पोटा एक्ट के तहत बहुत से बड़े आतकंही हमलों में कार्रवाई हुई थी। जांच एजेंसियों ने आतंकी संगठनों पर कार्रवाई शुरू की थी और उनके नेटवर्क्स को तोड़ने में भी सफल हुई थी। लेकिन इसके बाद से ही पोटा का गलत इस्तेमाल होने लगा और एक बड़ी परेाशानी के साथ मुद्दा बन गया था। मानवाधिकार संगठनों और राजनीतिक दलों की तरफ से आरोप लगाया गया था कि इस कानून का इस्तेमाल निर्दोष लोगों पर किया गया है। विवादों के बीच साल 2004 में यूपीए की सरकार की तरफ से इस एक्ट को रद्द कर दिया गया था।

Created On :   29 July 2025 5:34 PM IST

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