लोकसभा चुनाव 2024: 2004 में आखिरी बार आरजेडी ने गोपालगंज सीट पर मारी थी बाजी, जानिए लालू यादव के गृह संसदीय क्षेत्र का चुनावी इतिहास

2004 में आखिरी बार आरजेडी ने गोपालगंज सीट पर मारी थी बाजी, जानिए लालू यादव के गृह संसदीय क्षेत्र का चुनावी इतिहास
  • गोपालगंज ने दिए 2 मुख्यमंत्री
  • लालू यादव का गृह संसदीय क्षेत्र है गोपालगंज सीट
  • इस बार आरजेडी नहीं लड़ रही है गोपालगंज से चुनाव

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार की 40 लोकसभा सीटों में गोपालगंज सीट को हाई प्रोफाइल सीटों में गिना जाता है। यह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू यादव का गृह जिला होने के कारण भी अक्सर चर्चाओं में बना रहता है। साथ ही, गोपालगंज ने बिहार को दो मुख्यमंत्री भी दिए हैं। यहां की सियासत हमेशा से ही बड़ी रोमांचक रही है। शुरुआती दौर में यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी मानी जाती थी। लेकिन करीब 4 दशक से कांग्रेस को यहां हार मिल रही है। करीब दो दशकों से हुए चुनाव में यहां आरजेडी और जेडीयू के बीच घमासान देखने को मिला। इस दौरान मोदी लहर के चलते साल 2014 में बीजेपी को यहां पहली और सबसे बड़ी जीत मिली थी। इस सीट से मौजूदा सांसद जेडीयू नेता डॉ आलोक कुमार सुमन हैं। आज हम आपको गोपालगंज लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास के बारे में बताएंगे।

गोपालगंज सीट का चुनावी इतिहास

आजादी के बाद साल 1957 में गोपालगंज में पहला आम चुनाव हुआ था। पहले आम चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ सैयद महमूद यहां से चुनाव जीतकर पहले सांसद चुने गए थे। 1962 में भी कांग्रेस ने जीत हासिल की और इस बार द्वारिका नाथ तिवारी सांसद बने। डी एन तिवारी के बलबूते पर कांग्रेस ने अगले दो चुनाव साल 1967 और 1971 में भी जीत हासिल की।

आपातकाल में क्या रहा हाल?

आपातकाल हटने के बाद साल 1977 में लोकसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में गोपालगंज सीट से कांग्रेस के टिकट पर तीन बार के विजेता सांसद द्वारिका नाथ तिवारी ने हाथ का साथ छोड़ दिया। कांग्रेस छोड़ वे भारतीय लोकदल में शामिल हो गए और लोकदल के टिकट पर गोपालगंज से कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा और द्वारिका नाथ ने गोपालगंज से लगातार अपनी चौथी जीत का विजयी पताका फहराया।

कांग्रेस की वापसी

तीन साल बाद 1980 में फिर लोकसभा चुनाव हुए। इस बार द्वारिका नाथ तिवारी ने जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। वहीं, कांग्रेस ने द्वारिका नाथ को हराने के लिए नगीना राय को चुनावी मैदान में उतारा। चुनावी नतीजे आए तो कांग्रेस प्रत्याशी नगीना राय को भारी मतों से जीत हासिल हई और द्वारिका नाथ की लगातार जीत का सिलसिला भी थमा। हालांकि, कांग्रेस की यह जीत गोपालगंज सीट पर मिली आखिरी जीत भी थी। क्योंकि 1980 के चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी यहां फिर कभी चुनाव नहीं जीत सकी। 1984 में पहली बार गोपालगंज से काली प्रसाद पांडे नाम के स्वतंत्र उम्मीदवार को जीत मिली थी।

1989 में जनता दल की एंट्री

साल 1989 के आम चुनाव में गोपालगंज सीट पर जनता दल की एंट्री हुई और राजमंगल मिश्रा सांसद निर्वाचित हुए। जनता दल ने अगले दो आम चुनावों साल 1991 और 1996 में गोपालगंज सीट पर कब्जा जमाया। इस दौरान अब्दुल गफूर और लाल बाबू पीडी यादव सांसद निर्वाचित हुए।

1998 में समता पार्टी ने भी मारी बाजी

साल 1998 के लोकसभा चुनाव में समता पार्टी ने भी अपना खाता खोला। इस चुनाव में जनता दल कई दलों में बंट चुकी थी। खास बात यह थी कि गोपालगंज सीट से पिछले दो चुनावों में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीतने वाले अब्दुल गफूर और लाल बाबू पीडी यादव इस बार आमने-सामने थे। अब्दुल गफूर को समता पार्टी से टिकट मिला था। वहीं, लाल बाबू पीडी यादव राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से चुनावी मैदान में थे। चुनावी नतीजों में समता पार्टी के प्रत्याशी अब्दुल गफूर को जीत मिली और वे दोबारा सांसद निर्वाचित हुए।

आरजेडी-जेडीयू का घमासान

साल 1999 के आम चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) ने गोपालगंज सीट पर पहला चुनाव जीता और इस बार रघुनाथ झा सांसद बने। 2004 में आरजेडी ने वापसी की और अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधू यादव सासंद चुने गए। 2009 में यह सीट आरजेडी के हाथों छिनकर फिर एक बार जेडीयू के खाते में चली गई और इस बार पूर्णमामी राम सांसद बने। साल 2014 में देश भर में मोदी लहर का दौर चल रहा था। इस लोकसभा चुनाव में गोपालगंज सीट पर बीजेपी को पहली बार जीत मिली और जनक राम सासंद निर्वाचित हुए।

क्या रहा पिछले चुनाव का परिणाम?

साल 2019 के चुनाव में बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन था। इसलिए बीजेपी ने गोपालगंज सीट अपने सहयगी दल जेडीयू को चुनाव लड़ने के लिए दे दी। इस चुनाव में फिर एक बार जेडीयू और आरजेडी मुख्य प्रतिद्वंदी के रूप में आमने-सामने थे। जहां जेडीयू ने डॉ आलोक कुमार सुमन को गोपालगंज सीट से चुनावी मैदान में उतारा, तो वहीं आरजेडी ने सुरेंद्र राम को मैदान में उतारा। चुनावी नतीजों में जेडीयू प्रत्याशी डॉ आलोक कुमार सुमन ने आरजेडी प्रत्याशी सुरेंद्र राम को 2 लाख 86 हजार 434 वोटों के अंतर से हरा दिया। इस दौरान डॉ आलोक कुमार सुमन को कुल 5 लाख 68 हजार 150 वोट मिले। वहीं, आरजेडी के प्रत्याशी सुरेंद्र राम को मात्र 2 लाख 81 हजार 716 वोट ही मिल सके।

दो मुख्यमंत्री गोपालगंज से, विकास की स्थित बेहाल

गोपालगंज ने बिहार को दो मुख्यमंत्री (लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी) और एक उप मुख्यमंत्री (तेजस्वी यादव) दिया है। लेकिन उसके बाद भी गोपालगंज के कई इलाके आज विकास के रास्ते से कोसो दूर हैं। यहां मौजूद सदर प्रखंड के दियारा क्षेत्र में बसे गांवों में सड़क जर्जर हैं और कई जगहों पर तो सड़के ही नहीं हैं। दियारा इलाके में गंडक नदी पर बना बांध ही लोगों के आवागमन का एकमात्र सहारा है।

इस बार ये नेता चुनावी मैदान में

आगामी लोकसभा चुनाव की तरीखों के ऐलान के बाद एनडीए के घटक दल जेडीयू ने गोपालगंज सीट से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। जेडीयू ने पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और सिटिंग सासंद डॉ आलोक कुमार सुमन पर दोबारा भरोसा जताते हुए गोपालगंज से चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं, इंडिया गठबंधन के घटक दल ने अभी तक अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया है। इस बार आरजेडी ने यह सीट विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को दी है।

Created On :   10 April 2024 1:42 PM GMT

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