प्रस्तावना: संविधान से समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द हटाने पर विचार करने की फिलहाल कोई मंशा नहीं - केंद्र सरकार

- राज्यसभा में सांसद रामजी लाल सुमन ने सवाल किया
- सरकार ने कहा- सुप्रीम कोर्ट भी 42वें संविधान संशोधन को वैधता दे चुका है
- प्र स्तावना में संशोधनों के लिए गहन विचार-विमर्श और व्यापक सहमति की जरूरत होगी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब कहा है कि संविधान से समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द हटाने पर विचार करने की फिलहाल उनकी सरकार की कोई मंशा या योजना नहीं है। इस संबंध में कोई प्रक्रिया शुरू भी नहीं की गई है। राज्यसभा में केंद्रीय कानून मंत्री ने जवाब देते हुए कहा उच्चतम न्यायालय भी 1976 में हुए 42वें संविधान संशोधन को वैध करार दे चुका है। जिसके तहत संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़े गए थे।
आपको बता दें राज्यसभा में सांसद रामजी लाल सुमन के सवाल पर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लिखित जवाब में ये जानकारी दी, उन्होंने कहा प्रस्तावना में संशोधनों के संबंध में किसी भी चर्चा के लिए गहन विचार-विमर्श और व्यापक सहमति की जरूरत होगी, लेकिन अभी तक सरकार ने इन प्रावधानों को बदलने के लिए कोई औपचारिक प्रक्रिया शुरू नहीं की है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नवंबर 2024 में, शीर्ष कोर्ट ने डॉ. बलराम सिंह एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य' के केस में, 1976 के संशोधन (42वें संविधान संशोधन) को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था, और पुष्टि की थी कि संसद के पास संविधान की प्रस्तावना में भी संशोधन की शक्ति है।
मेघवाल ने अपने जवाब में कहा, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि भारत के संदर्भ में समाजवाद एक कल्याणकारी राज्य का प्रतीक है और यह प्राइवेट क्षेत्र के विकास में बाधा नहीं डालता, जबकि पंथनिरपेक्षता संविधान के मूल ढांचे का अभिन्न अंग है।
Created On :   25 July 2025 2:10 PM IST