बिहार विधानसभा चुनाव 2025: शेरघाटी में बहती है इतिहास, विज्ञान और राजनीति की त्रिवेणी ,गौरवशाली अतीत की झलक के साथ नजर आता है मौजूदा राजनीति का रुख

शेरघाटी में बहती है इतिहास, विज्ञान और राजनीति की त्रिवेणी ,गौरवशाली अतीत की झलक के साथ नजर आता है मौजूदा राजनीति का रुख
25 अगस्त 1865 को मंगल ग्रह से आया एक उल्कापिंड शेरघाटी में गिरा था। यह उल्कापिंड आज लंदन के एक संग्रहालय में संरक्षित है, इसे ‘शेरगोटी मीटियोराइट’ के नाम से जाना जाता है।

डिजिटल डेस्क, पटना। 243 विधानसभा सीट वाले बिहार में शेरघाटी विधानसभा क्षेत्र गया जिले में आती है। शेरघाटी में इतिहास, विज्ञान और राजनीति की त्रिवेणी बहती है। यहां बिहार के गौरवशाली अतीत की झलक दिखने के साथ आने वाले समय की राजनीति का रुख भी नजर आता है।

शेरघाटी विधानसभा सीट की राजनीतिक यात्रा उतार-चढ़ाव वाली रही है। यह सीट पहली बार 1957 में बनी, फिर 1977 में समाप्त कर दी गई और 2010 में फिर से गठित की गई। पहले चरण में कांग्रेस ने 1957, 1962 और 1972 में जीत दर्ज की, जबकि 1967 और 1969 में क्रमशः जन क्रांति दल और एक निर्दलीय प्रत्याशी विजयी रहे। 33 वर्षों के बाद 2010 में जब शेरघाटी फिर से विधानसभा सीट बनी , तब से यहां का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदल चुका है। 2010 और 2015 में जेडीयू 2020 में आरजेडी को जीत मिली। एनडीए में एलजेपी के आने से अबकी चुनाव में आरजेडी को कड़ी चुनौती मिल सकती है।

सामान्य सीट शेरघाटी मुख्य रूप से ग्रामीण एरिया है। 90.22 प्रतिशत मतदाता गांवों में रहते हैं। यहां 34.2 प्रतिशत अनुसूचित जाति 14.5 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है।

शिक्षा,स्वास्थ्य, सड़क, सिंचाई की बेसिक सुविधाओं की कमी है। बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के चलते हजारों कीतादाद में लोग पलायन कर जाते है। पलायन यहां की सबसे बड़ी समस्या है। क्षेत्र को हर साल मौसमी मार झेलनी पड़ती है। 25 अगस्त 1865 को मंगल ग्रह से आया एक उल्कापिंड शेरघाटी में गिरा था। यह उल्कापिंड आज लंदन के एक संग्रहालय में संरक्षित है, इसे ‘शेरगोटी मीटियोराइट’ के नाम से जाना जाता है।

बिहार में दो चरणों में 6 नवंबर और 11 नवंबर को वोटिंग होगी, नतीजे 14 नवंबर को आएंगे। आज 17 नवंबर को पहले चरण के नामांकन की आखिरी तारीख है। दूसरे चरण के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर रही।

Created On :   5 Nov 2025 3:01 PM IST

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