बिहार विधानसभा चुनाव 2025: सूबे की सियासत में मुस्लिमों का लगातार घटता प्रतिनिधित्व, पक्ष-विपक्ष ने उम्मीदवार बनाने में नहीं दिखाई अधिक दिलचस्पी

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में चुनाव में मुस्लिमों को मौका ना देकर हाशिए पर धकेला जा रहा है, ऐसा सिर्फ बीजेपी नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए में ही नहीं हो रहा ,बल्कि विपक्षी दलों वाले महागठबंधन इंडिया में भी हो रहा है। राजनीतिक रूप से मुस्लिमों को हाशिए पर धकेले जाने वाले मंजर हैरान करने वाला है। बिहार चुनाव में मुसलमानों को ना तो सत्ताधारी खेमे- एनडीए ने पूछा, न विपक्षी खेमे ने उनकी खबर ली, मुस्लिम समुदाय के लोग पद और टिकट दोनों मामलों में राजनीतिक रूप से पिछले चुनाव के मुकाबले पिछड़ गए है। आपको बता दें अबकी चुनाव में मुस्लिनों को सिर्फ 35 टिकट मिले हैं, जो बीते चुनाव के मुकाबले 18 कम है। पांच साल पहले 53 मुस्लिम उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी।
आपको बता दें पिछले चुनाव में विपक्षी महागठबंधन ने 33 उम्मीदवार मुस्लिम उतारे थे। इस बार यह संख्या 30 रह गई है। इनमें से भी आरजेडी ने 18, कांग्रेस ने 10 और सीपीआई माले ने 2 मुस्लिमों को चुनाव में मौका दिया है। बीते चुनाव के मुकाबले कांग्रेस ने दो और माले ने एक उम्मीदवार कम उतारा है।
जबकि पिछले चुनाव में एनडीए ने 20 मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे। अब की चुनाव में एनडीए ने केवल पांच मुस्लिमों को मौका दिया है। यानि 15 मुस्लिम उम्मीदवार कम है। पांच मुस्लिम कैंडिडेट में से भी जेडीयू के चार और एक एलजेपीआर से है। बीजेपी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को मौका नहीं दिया है। इससे पहले के चुनाव में एनडीए में शामिल होकर वीआईपी ने दो मुस्लिम उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा था, अबकी बार वीआईपी महागठबंधन में है, और वीआईपी ने भी भाजपा, माकपा के तरह एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को मौका नहीं दिया।
पिछले चुनाव में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर मुस्लिम मतदाता नाराज थे, अबकी बाक एसआईआर और वक्फ अधिनियम में संशोधन के कारण मुस्लिम वोटर्स एनडीए सरकार से नाराज है। जेडीयू और एलजेपीआर ने चुनाव में हारने के डर से मुस्लिमों को प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व ही दिया है। एनडीए एकतरफा ध्रुवीकरण करने की फिराक में है।
मुस्लिमों को सियासत में लगातार घटता प्रतिनिधित्व
राज्य की सत्ता से आरजेडी की विदाई के साथ ही विधानसभा में मुसलमानों के प्रतिनिधित्व में कमी आई।
2005 में मुस्लिम बिरादरी के 24 विधायक थे। नवंबर में इसी साल हुए चुनाव में यह संख्या घट कर 16 रह गई।
2010 विधानसभा चुनाव में 19 मुसलमान निर्वाचित होकर विधायक बने।
2015 विधानसभा चुनाव में जेडीयू-आरजेडी के साथ आने से संख्या 24 पहुंची
2020 चुनाव में फिर 19 पर आ गई।
Created On :   25 Oct 2025 9:00 AM IST












