आने वाले तीन विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस में होगी कड़ी टक्कर, तेलंगाना में भी दोनों करेंगे जोर आजमाइश
- कर्नाटक के बाद तेलंगाना पर नजर
- तेलंगाना पर बीजेपी और कांग्रेस की नजर
- लोकसभा चुनाव से पहले बड़ी तैयारी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक का विधानसभा चुनाव समाप्त हो चुका है। अब कांग्रेस और बीजेपी की नजर इस साल के अंत तक होने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव पर है। यहां पर भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलेगी। इन राज्य के विधानसभा चुनाव को अगामी लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जाता है। इसलिए कांग्रेस और बीजेपी अभी से ही इन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है।
इन सभी राज्यों के अलावा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले तेलंगाना में भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यहां पर सभी पार्टी वापसी करने में जुटी हुई हैं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सामने सत्ता बचाने की चुनौती है। वहीं पार्टी तेलंगाना और मध्य प्रदेश में वापसी करने की कोशिशों में जुटी हुई है। इन चार राज्यों में बीजेपी की सरकार केवल एक राज्य मध्य प्रदेश में ही है।
एक बार फिर आमने-सामने होंगी दोनों पार्टियां
2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकार बनाने से चूक गई थी। हालांकि पार्टी ने इन राज्यों में 2019 के आम चुनाव में जबरदस्त वापसी की। ऐसे में यह समझना जरूरी हो जाता है कि अगामी 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव का असर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर क्या होगा?
खास बात यह है कि जिन 4 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उनमें तीन राज्य उत्तर भारत और एक राज्य दक्षिण भारत के हैं। ऐसे में इन चुनाव के जरिए जनता का सियासी मूड भी समझने को मिलेगा। इन राज्यों में जो भी पार्टी चुनाव जीतेगी। जाहिर है उसे अगले साल के आम चुनाव में मदद मिलेगी। उसके कार्यकर्ता लोकसभा के चुनाव में उतरने से पहले मानसिक तौर पर काफी मजबूत रहेंगे। इन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे से पूरे देश की राजनीति समीकरण पर भी इसका असर पड़ेगा। आइए जानते हैं इस वक्त इन राज्यों का सियासी हाल क्या है? कौन-सी पार्टी को इन राज्यों में एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ सकता है।
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राजस्थान
इस वक्त राजस्थान में मौसमी तापमान से ज्यादा सियासी पारा बढ़ा हुआ है। राज्य में इस साल के नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। 25 लोकसभा सीटों वाले राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है। यहां पर सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सियासी गहमागमी तेज है। यहां पर पायलट ने गहलोत सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दे रखा है। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी के आलाकमान अगर इस महीने विवाद सुलझाने में असफल रहते हैं, तो इस माह पायलट कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं।
राजस्थान में कांग्रेस की तरह बीजेपी में भी अंदरुनी विवाद जारी है। यहां पर बीजेपी की ओर से नेक्स्ट सीएम फेस बनने की होड़ तेज है। राज्य में आपसी मतभेद को समाप्त करने के लिए बीजेपी ने सांसद सीपी जोशी को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का पदभार सौंपा था। चुनाव को देखते हुए पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने पश्चिम राजस्थान में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। वसुंधरा राजे को पार्टी इग्नोर करके नहीं चल सकती है। क्योंकि राजस्थान की सियासत में उनकी पकड़ बहुत ज्यादा है। वह राज्य में सीएम के तौर पर भी काम कर चुकी है। ऐसे में उन्हें इग्नोर करके चलना पार्टी पर भारी पड़ सकता है।
राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार तो बन गई। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को राजस्थान में एक भी सीट हासिल करने का मौका नहीं दिया। इस चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे जोधपुर सीट से चुनाव लड़ रहे थे लेकिन उन्हें भी हार के साथ संतोष करना पड़ा। गुटबाजी के बीच राज्य में अशोक गहलोत खुद को कल्याणकारी नेता के तौर पर लोगों के सामने प्रस्तुत करने में जुटे हुए हैं। पार्टी के आलाकमान चुनाव से पहले सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच आपसी विवाद को सुलझा लेने में कामयाब होते हैं और पार्टी राज्य में एकजुट होकर चुनाव लड़ती है तो बीजेपी की मुश्किलें और भी बढ़ सकती है।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में विधानसभा की 230 सीटें आती है। एमपी में 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनी। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के चलते 2020 में यहां पर कांग्रेस की सरकार गिर गई। इस वक्त राज्य में शिवराज के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार है और केंद्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया मंत्री हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां की कुल 29 सीटों में से 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी। तब कांग्रेस ने राज्य में केवल सीट पर ही जीत हासिल की।
2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से कमलनाथ चेहरा हैं, वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों का दौरा कर चुनाव की रणनीति तैयार कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में सीधा मुकाबला कमलनाथ बनाम शिवराज और सिंधिया की जोड़ी से है। जहां एक तरफ कमलनाथ अपने 18 महीने के कार्यकाल के कामों पर चुनावी हुंकार भर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर सिंधिया-शिवराज की जोड़ी जमीनी समीकरण के साथ सत्ता में वापसी करने की फिराक में है। कर्नाटक में एक तरफा हार झेलने के बाद बीजेपी अब मध्य प्रदेश में कुछ खास बदलाव करने के मूड में नहीं है। फिलहाल कांग्रेस के सामने राज्य में दोहरी चुनौती है। पहले एमपी के विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ जीतना और दूसरा इसे लोकसभा में भी बरकरार रखना।
तेलंगाना
2014 में नया राज्य बना तेलंगाना में कुल 17 लोकसभा सीट और 119 विधानसभा सीटे हैं। जब से यह राज्य बना है तब से ही यहां बीआरएस सत्ता में है। 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस राज्य में कुल 19 सीटें जीती थी, लेकिन बाद में कांग्रेस के 17 विधायक बीआरएस में शामिल हो गए। तेलंगाना में अगले साल जनवरी माह तक विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है। यहां पर विधानसभा चुनाव में बीआरएस के बाद कांग्रेस दूसरे नंबर पर है। वहीं लोकसभा में बीआरएस के बाद बीजेपी दूसरे पायदान पर है। तेलंगाना का चुनाव इस बार बेहद ही दिलचस्प होने वाला है। कर्नाटक में मिली हार के बाद बीजेपी तेलंगाना में अपनी पूरी ताकत झोकने को तैयार है। बीजेपी यहां पर इसलिए भी जोर आजमाइश करेगी क्योंकि पार्टी के लिए दक्षिण भारत के द्वार बंद हो चुके हैं।
इसके अलावा कर्नाटक जीत से गदगद कांग्रेस पार्टी का भी फोकस तेलंगाना पर है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान तेलंगाना में पुरजोर समर्थन देखने को मिला था। इसलिए कांग्रेस का उत्साह यहां पर हाई है। शायद कारण है कि कांग्रेस ने बीआरएस के साथ गठबंधन को ठुकरा दिया।
छत्तीसगढ़
इस राज्य में विधानसभा की 90 और लोकसभा की 11 सीटें हैं। इस वक्त छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है। 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी में यहां पर बहुत ज्यादा गुटबाजी है। रमन सिंह के अलावा यहां पर बीजेपी की ओर से कोई दूसरा बड़ा स्थानीय नेता नहीं है। बीजेपी को यहां पर झटके लगते रहते हैं। हाल ही बीजेपी की ओर से आदिवासी समाज के बड़े नेता नंद कुमार साय ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी यहां पर लगातार फिसड्डी टीम साबित होती हुई दिखाई दे रही है। इस साल जनवरी माह में बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में पीएम मोदी ने इस बात का जिक्र किया था कि पार्टी के नेताओं को स्थानीय लेवल पर काम करने की जरुरत है, वह इस भ्रम में न रहें कि मोदी आएंगे और हम जीत जाएंगे। उन्हें अपने क्षेत्र की जनता में पकड़ बनाने की जरुरत है।
हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां पर भी मोदी मैजिक चला था। उस वक्त राज्य की कुल 11 लोकसभा सीटों में बीजेपी ने 9 पर जीत हासिल की थी। और कांग्रेस महज 2 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। छत्तीसगढ़ का चुनाव भी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बेहद अहम है। राज्य में बीजेपी इस बार के विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करती है तो पार्टी को अगले साल होने वाले आम चुनाव में इसका मदद जरूर मिलेगा। और पार्टी कार्यकर्ताओं में भी नई उर्जा देखने को मिलेगी।
ये सभी राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर होने वाला है। हालांकि तेलंगाना में मामला फिलहाल त्रिकोणीय है। लेकिन यहां भी बीजेपी और कांग्रेस में जबरदस्त मुकबला होने की उम्मीद है। इन सभी राज्यों के नतीजे ही अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की दशा और दिशा तय करने में मददगार साबित होगी।
Created On :   16 May 2023 7:26 PM IST