'शांति' पुरस्कार से पहले विवादों की 'अशांति'! गीता प्रेस को लेकर बीजेपी के निशाने पर कैसे आई कांग्रेस, एक ट्वीट से मचा बवाल

शांति पुरस्कार से पहले विवादों की अशांति! गीता प्रेस को लेकर बीजेपी के निशाने पर कैसे आई कांग्रेस, एक ट्वीट से मचा बवाल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। श्रीमद्‍भगवद्‍गीता ग्रंथ से पहचाने जाने वाले गीता प्रेस को साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार मिलने जा रहा है। इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस में विवाद छिड़ गया है। इस मसले पर इन दोनों पार्टी के नेताओं के बीच ट्विटर वॉर भी शुरू हो गया है। अब इस मामले में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की ओर की एक ट्वीट सामने आया है। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, " भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों को अगर आज सुलभता से पढ़ा जा सकता है तो इसमें गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान है।"

गृहमंत्री अमित शाह ने अपने ट्वीट में आगे कहा, " यह प्रेस 100 वर्षों से ज्यादा समय से गीता प्रेस रामचरित मानस से लेकर श्रीमद्‍भगवद्‍गीता जैसे कई पवित्र ग्रंथों को नि:स्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुंचाने का अद्भुत कार्य कर रही है। गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 मिलना उनकी ओर से किये जा रहे इन भागीरथ कार्यों का सम्मान है।" अमित शाह का यह ट्वीट कांग्रेस पर पलटवार के तौर पर देखा जा रहा है। बता दें कि, गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार ‘‘अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान’’ के लिए दिया जा रहा है।

सावरकर व गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है- कांग्रेस नेता

इससे पहले कांग्रेस के नेता जयराम नरेश ने अपने ट्वीट में कहा, " 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया जा रहा है, जो इस वर्ष अपनी शताब्दी मना रहा है। अक्षय मुकुल ने इस संगठन के लिए साल 2015 में एक बहुत ही बेहतरीन जीवनी लिखी है, जिसमें वे महात्मा के साथ उतार-चढ़ाव वाले संबंधों और उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाइयों का खुलासा किया है। यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर व गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।" खबर है कि जयराम रमेश के इस ट्वीट से उनके ही पार्टी के नेता खुश नहीं नजर आ रहे हैं। उन्होंने इस ट्वीट को बेमतलब बताया है।

हिमंत बिस्वा सरमा ने दी प्रतिक्रिया

इसके बाद बीजेपी नेता और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने जयराम रमेश के इस ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, " कर्नाटक में मिली चुनावी जीत के घमंड में चूर होकर कांग्रेस अब भारतीय संस्कृति पर खुला प्रहार कर रही है। वह चाहे धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करना हो या फिर गीता प्रेस की आलोचना करना; भारत की जनता निश्चित रूप से दोगुनी शक्ति के साथ कांग्रेस के ऐसे प्रयासों को नाकाम करेगी।"

जेपी ने नड्डा ने गीता प्रेस की सराहना

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने ट्वीट में कहा, "गीता प्रेस, गोरखपुर को 'गांधी शांति पुरस्कार- 2021' से सम्मानित किए जाने पर हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देता हूं। भारत की गौरवशाली सनातन संस्कृति के संरक्षण व उत्कर्ष में पिछले 100 वर्षों का आपका योगदान प्रशंसनीय है। हमारे पवित्र ग्रंथों का वैश्विक प्रसार कर जो निःस्वार्थ सेवा आपने की है यह हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है।"

पीएम मोदी ने दी बधाई

गीता प्रेस की सरहाना करते हुए पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘मैं गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई देता हूं। उन्होंने लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में पिछले 100 वर्षों में सराहनीय कार्य किया है।’’

जानें गीता प्रेस का इतिहास और महत्व

आपको बता दें कि, साल 1923 में गीता प्रेस की शुरुआत हुई थी। इस प्रेस ने हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभाई है। इसी साल गीता प्रेस ने अपने कार्यकाल के 100 साल भी पूरे किए हैं। यहां 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की जा चुकी है, जिसमें 16.21 करोड़ प्रतियां श्रीमद्भगवद्गीता के शामिल हैं।

गांधी शांति पुरस्कार के बारे में

साल 1995 में गांधी शांति पुरस्कार की शुरुआत की गई थी। इस पुरस्कार को महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर शुरू किया गया था। मंत्रालय गांधी शांति पुरस्कार के बारे में बताते हुए कहा कि इस पुरस्कार को किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है, इसमें व्यक्ति की राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग के आधार पर किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है।

Created On :   19 Jun 2023 1:57 PM GMT

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