लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ से कांग्रेस को मिलेगी ताकत?
छत्तीसगढ़ वह राज्य है जहां कि प्रदेश सरकार तो कांग्रेस की है मगर यहां के लोकसभा चुनावों में बढ़त भाजपा के हिस्से में आई है। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में भले ही देश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी हो मगर यहां की 11 सीटों में से 10 पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इसी तरह 2018 में विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने जीता और 2019 के लोकसभा में भाजपा के 11 में से नौ सीटों पर जीत मिली। अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर कई सवाल सियासी गलियारों में उठ रहे हैं। क्या कान्ग्रेस अपनी स्थिति में और सुधार ला पाएगी अथवा 2004 जैसे ही हालात रहेंगे।
राज्य में कांग्रेस की स्थिति पर सिलसिलेवार गौर करें तो एक बात तो साफ हो जाती है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद सरकार ने जनता के बीच अपनी पैठ को और मजबूत बनाने का काम किया है। विधानसभा चुनाव में जो वादे किए गए थे, उनमें से अधिकांश को पूरा तो किया ही गया है साथ में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में भी सार्थक कदम बढ़ाए गए हैं। इसके चलते कॉन्ग्रेस के अपना जनाधार बढ़ाने में सफल हुई है। यह ऐसी स्थितियां है जिसके चलते कांग्रेस को इस बात की संभावना है कि इसी साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में एक तरफ जहां उसे जीत मिलेगी तो वहीं दूसरी ओर वह लोकसभा चुनाव में भी ज्यादा से ज्यादा सीटें जिता कर लाने में सफल रहेगी। ऐसा इसलिए लग रहा है क्योंकि कर्नाटक और हिमाचल के नतीजों ने राज्य की इकाई और सरकार में उत्साह का संचार भी किया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने भीतर से ही हो सकती है। एक तरफ जहां संगठन पर सरकार की छाया हावी है तो वहीं कथित तौर पर ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री के फामूर्ले की चचार्एं बीच-बीच में सामने आती रहती हैं। संगठन जमीनी स्तर पर वैसा सक्रिय नजर नहीं आता जैसा वर्ष 2018 के चुनाव से पहले नजर आता था। कांग्रेस का सारा दारोमदार सरकार और खासकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर निर्भर है। राज्य में भाजपा उतनी संगठित और मजबूत नजर नहीं आती जितनी उसकी पहचान ताकतवर विपक्षी दल के तौर पर रही है मगर केंद्रीय जांच एजेंसियों की कांग्रेस नेताओं के खिलाफ लगातार की जा रही कार्रवाईया और अभी हाल ही में सामने आया शराब घोटाला भाजपा को ताकत दे रहा है तो वही कांग्रेस को कमजोर करता नजर आता है।
फिलहाल राज्य में भाजपा भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है परंतु अब तक उसे ताकत नहीं मिल पाई है। यह बात जरूर है कि प्रशासनिक अमले से जुड़े कई अधिकारियों और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगों को सींखचों के पीछे जाना पड़ा है। कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा का कहना है कि राज्य की जनता भाजपा के सांसदों और केंद्र सरकार की क्रियाकलापों को बेहतर तरीके से जान गई है। राज्य के साथ केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे अन्याय पर भी भाजपा के सांसद मौन साधे रहते हैं। इतना ही नहीं बेरोजगारी, महंगाई सहित अन्य समस्याएं मुंह बाए खड़ी है और यह सब केंद्र सरकार की देन है वहीं दूसरी ओर प्रदेश सरकार लोगों को रोजगार मुहैया कराने के साथ उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कदम उठा रही है। इसके चलते पहले 2023 के विधानसभा चुनाव और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को राज्य में बड़ी जीत मिलना तय है।
कांग्रेस के लिए राज्य में कोई चुनौती है इस सवाल पर वर्मा का कहना है कि हर राजनीतिक दल विरोधी दल को चुनौती के तौर पर देखता है और गंभीरता से चुनाव लड़ता है, मगर राज्य में भाजपा का न तो संगठन है और न ही उसके पास कोई मुद्दा हैं। इतना ही नहीं राज्य की जनता ने 15 साल के रमन सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के कामकाज को देखा है। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा रमन सिंह का कहना है कि राज्य की बघेल सरकार द्वारा किए गए घोटालों की ही चर्चा है। राज्य की जनता इन घोटालों से तंग आ चुकी है और सरकार के बदलने का मन बना चुकी है। इस सरकार ने गरीबों से मकान छीने, गरीबों का चावल डकार गई, नकली और जहरीली शराब से लोगों के जीवन से खिलवाड़ किया।
(आईएएनएस)
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Created On :   20 May 2023 5:24 PM IST