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क्रिकेटर्स आगे आए तो सट्टा या जुआ ऐप की बदनाम छाया से निकले फेंटेसी ऐप्स

हाईलाइट
- क्रिकेटर्स आगे आए तो सट्टा या जुआ ऐप की बदनाम छाया से निकले फेंटेसी ऐप्स
नई दिल्ली, 7 दिसम्बर (आईएएनएस)। फैंटेसी स्पोर्ट्स उद्योग की लड़ाई आज भी उस गलत धारणा से जारी है जो इसे जुए या स्पोर्ट्स बेटिंग के समान मानती है। फैंटेसी स्पोर्ट्स ऐप को बढ़ावा देने के लिए क्रिकेट की दुनिया के अनेकों खिलाड़ी हाल ही में जांच के घेरे में आ चुके हैं, क्योंकि इन ऐप्स को अक्सर सट्टे या जुए का ऐप मान लिया जाता है। लेकिन, क्या ऐसे गेम का विज्ञापन करने के लिए ब्रांड एंबेस्डर्स पर सवाल उठाया जा सकता है जिन्हें अदालतों, सरकारों और विश्वस्तरीय शिक्षण संस्थानों द्वारा कौशलपूर्ण खेल के तौर पर समर्थन मिल चुका है?
भारत की प्रमुख ऑनलाइन गेमिंग कंपनी-गेम्स ट्वेंटी फोर सेव्हन के सह संस्थापक एवं सीईओ भाविन पंड्या ने इसे लेकर आईएएनएस से बात की। पंड्या ने कहा कि, फैंटेसी स्पोर्ट्स जुआ उत्पादों से बहुत अलग हैं क्योंकि इसमें प्रतियोगिता पारदर्शी होती हैं। तकनीक और डेटा की उपलब्धता से खिलाड़ियों को शानदार कौशल दिखाकर एवं सजगता बरतते हुए खेल कार्यक्रम में असल जिंदगी के खिलाड़ियों के आधार पर उनकी खुद की टीम बनाने में मदद मिलती है। इसलिए, फैंटेसी स्पोर्ट्स के व्यवसाय से जुड़ा कोई भी क्रिकेटर या सेलेब्रिटी एक बेहद कानूनी ढंग से ऑनलाइन गेमिंग व्यवसाय का समर्थन कर रहा है।
भारत में राजस्थान, पंजाब और हरियाणा सहित कई उच्च न्यायालयों ने खेल की वैधता का परीक्षण किया है और इसे महज कुशलता के एक खेल के तौर पर करार दिया है। फैंटेसी स्पोर्ट्स उद्योग ने धुआंधार गति से वृद्धि की है। आज इसके 20 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ता और लगभग 200 कंपनियां हैं। परामर्शी संगठन, केपीएमजी को उम्मीद है कि 2024 के अंत तक यह उद्योग 3.7 अरब डॉलर का हो जाएगा।
पंड्या मानते हैं कि क्रिकेटर्स द्वारा इसे प्रोमोट किए जाने से एक बेहतर खेल इकोसिस्टम बनाने में मदद मिली है।
पंड्या ने कहा, बीसीसीआई ने मार्च 2019 में आधिकारिक आइपीएल पार्टनर के तौर पर एक फैंटेसी स्पोर्ट्स ऑपरेटर को शामिल किया, जिससे इस सेक्टर को काफी बल मिला। तब से एमएस धोनी, विराट कोहली, सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर, विरेन्द्र सहवाग, इरफान पठान, के.एल. राहुल, और रोहित शर्मा जैसे कई क्रिकटर्स ने फैंटेसी स्पोर्ट्स ब्रांड्स का विज्ञापन किया और क्रिकेट फैंस से जुड़ाव बनाया। इससे जुआ उद्यम की जगह एक स्वस्थ खेल मनोरंजन परितंत्र का निर्माण हो रहा है।
हालांकि अमेरिका में फैंटेसी स्पोर्ट्स को बेसबॉल के खेल की रिपोटिर्ंग करने वाले पत्रकारों द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था, लेकिन 2019 तक 5 करोड़ खेल प्रेमी पहले से ही फैंटेसी ऐप्स पर खेल रहे थे। वर्ष 2006 में, जब अमेरिका की सरकार ने अनलॉफुल इंटरनेट गैम्बलिंग एनफोर्समेंट एक्ट (यूआइजीईए) यानी अवैध इन्टरनेट जुआ प्रवर्तन अधिनियम पारित किया, तब इसने देश में खेल प्रेमियों की जिंदगी में फैंटेसी स्पोर्ट्स की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचाना था।
इसलिए, जब इसने इंटरनेट पर जुएबाजी के सभी रूपों को प्रतिबंधित करने का ऐलान किया, तब फैंटेसी स्पोर्ट्स को एक अपवाद माना गया और इसे शतरंज के खेल की बराबरी में एक कुशलता आधारित खेल का दर्जा दिया गया। कनाडा में भी फैंटेसी स्पोर्ट्स को कानून द्वारा हरी झंडी मिली है और इन्हें कौशलपूर्ण खेल की पहचान दी गई है। ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने कौशलपूर्ण खेल को नियमित किया है और फैंटेसी स्पोर्ट्स वहां एक विनियमित व्यापार है।
मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के शोधकर्ताओं ने कई सत्रों में हजारों फैंटेसी खिलाड़ियों के जीत व हार के रिकॉर्ड का विश्लेषण किया और 2018 में प्रकाशित किया कि फैंटेसी स्पोर्ट्स एक प्रतियोगिता है जिससे कौशल में वृद्धि होती है।
एमआइटी स्टडी में कहा गया है कि, कुछ (फैंटेसी) खिलाड़ियों को गेम के तथ्?यों, नियमों, कौन सा खिलाड़ी चोटिल है, मौसम के प्रभाव और कुछ अन्य घटकों के बारे में शायद थोड़ा ज्यादा पता हो, जिससे वे खिलाड़ियों को बेहतर ढंग से चुन सकते हैं- और फैंटेसी स्पोर्ट्स में यही कौशल है।
आज फैंटेसी स्पोर्ट्स फैंटेसी क्रिकेट के समानार्थी हैं। भविष्य में, भारत में फुटबॉल, रग्बी, कबड्डी, बास्केटबॉल आदि जैसे कई अन्य स्पोर्ट्स भी फैंटेसी स्पोर्ट्स में शामिल होंगे, जो पश्चिम के देशों में बेहद लोकप्रिय हैं। भारतीयों को फैंटेसी स्पोर्ट्स के माध्यम से पश्चिमी दुनिया के लोकप्रिय खेलों से रू-ब-रू होने का मौका मिलेगा ।
जेएनएस
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