- भारत में पिछले 24 घंटे में #COVID19 के 13,823 नए मामले सामने आए। 162 नई मौतों के बाद कुल मौतों की संख्या 1,52,718 हो गई है।
- J-K: अख्नूर सेक्टर पर पाकिस्तान ने तोड़ा सीजफायर, फायरिंग में 4 भारतीय जवान जख्मी
- तांडव विवाद: मुंबई पहुंची UP पुलिस, आज वेब सीरीज के डायरेक्टर-प्रोड्यूसर से होगी पूछताछ
- गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व आज, PM मोदी ने उनके साहस और बलिदान को किया याद
- मुस्लिम संगठनों की ओर से 22 जनवरी को बुलाया गया बेंगलुरु बंद कैंसिल
सलाइवा बैन: सचिन ने 50 ओवरों के बाद दूसरी नई गेंद इस्तेमाल करने का सुझाव दिया

हाईलाइट
- सचिन ने 50 ओवरों के बाद दूसरी नई गेंद इस्तेमाल करने का सुझाव दिया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) कोरोनावायरस खतरे के कारण गेंद को चमकाने के लिए लार के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने जा रही है और इस बीच दिग्गज भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और आस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज ब्रेट ली ने इस बात पर चर्चा की कि कोविड-19 के बीच लार के प्रतिबंध का क्रिकेट पर क्या असर पड़ेगा, खासकर टेस्ट में।
100 एमबी साइट पर एक वीडियो पोस्ट की गई है, जिसमें ब्रेट ली ने सचिन के साथ बातचीत के दौरान कहा, यह एक मुश्किल फैसला है क्योंकि यह कुछ ऐसा है, जिसे हमने अपने पूरे जीवन के दौरान किया है। आठ-नौ साल की उम्र से ही हमें गेंद को चमकाने के लिए लार का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया था। इसलिए, अगर अचानक आपको कुछ अलग बताया जाएगा है तो आप वैसा नहीं कर सकते। इस पर पॉलिश करना बहुत मुश्किल होगा।
उन्होंने कहा कि आगे आने वाले समय में गेंदबाजों के लिए यह काफी कठिन होगा। ली ने कहा कि ऐसे में अधिक स्पोर्टिग विकेट बनाने की जरूरत होगी जो गेंजबाज और बल्लेबाज को समान रूप से मदद करे। ब्रेट ली ने कहा, मैं हरी पिच की बात नहीं कर रहा हूं, जहां पर टीम 130 या उससे ज्यादा पर आल अाउट हो जाती है। लेकिन, आपको तेज गेंदबाजों के लिए कुछ तो करने की जरूरत है।
भारत के महान बल्लेबाज सचिन ने कहा कि आईसीसी एक टेस्ट पारी में 50 ओवरों के बाद दूसरी नई गेंद का इस्तेमाल करने के बारे में सोच सकती है। अभी 80 ओवर के बाद गेंद बदली जाती है। सचिन का मानना है कि ठंडे मौसम में जब खिलाड़ी ज्यादा पसीना नहीं बहाते हैं, तो गेंद को चमकाना ज्यादा मुश्किल हो जाएगा और गेंदबाजों के लिए ज्यादा नुकसानदेह होगा। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा, गेंद को चमकाने के लिए लार की गैर मौजूदगी में प्रत्येक पारी में कुछ निश्चित मात्रा में मोम का इस्तेमाल करने की इजाजत दी जानी चाहिए।
कमेंट करें
ये भी पढ़े
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।