MP News: मुख्यमंत्री निवास में हुआ वैदिक घड़ी का अनावरण, सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा - 'सूर्योदय से सूर्योदय तक हो समय की गणना..रात 12 बजे दिन बदलने का कोई औचित्य नहीं '

मुख्यमंत्री निवास में हुआ वैदिक घड़ी का अनावरण, सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा - सूर्योदय से सूर्योदय तक हो समय की गणना..रात 12 बजे दिन बदलने का कोई औचित्य नहीं
  • मुख्यमंत्री मोहन यादव ने किया विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का अनावरण
  • भाजपा अध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल और मंत्री विश्वास सारंग भी रहे मौजूद
  • वैदिक घड़ी से जुड़े मोबाइल ऐप का भी हुआ लोकार्पण

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मुख्यमंत्री निवास के मुख्य द्वार पर सोमवार को विक्रमादित्य वैदिक घड़ी लगाई गई। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इसका अनावरण किया। अनावरण के समय मंत्रोच्चार किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा है कि भारत ने अपने ज्ञान से ब्रह्मांड को अलौकिक किया है। कालगणना की पद्धति 300 साल पहले तक भारत से दुनिया तक जाती थी। भारतीय संस्कृति का प्रत्येक पहलु प्रकृति और विज्ञान का ऐसा विलक्षण उदाहरण है, जो विश्व कल्याण का पोषक है। इन्हीं के आधार पर विक्रमादित्य वैदिक घड़ी बनाई गई है। यह भारतीय परम्परा का गौरवपूर्ण प्रतीक है। इसके माध्यम से भारत के समय को पुनर्स्थापित किया जा रहा है। विरासत-विकास-प्रकृति और तकनीक के संतुलन का प्रकटीकरण विक्रमादित्य वैदिक घड़ी से होगा। इस अवसर पर भारत का समय-पृथ्वी का समय थीम आधारित रैली भी निकाली गई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्यक्रम में शामिल हुए युवाओं के फोन में विक्रमादित्य वैदिक घड़ी ऐप डाउनलोड करवाई।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सनातन संस्कृति के व्रत, त्यौहार अंग्रेजी कैलेंडर के आधार पर नहीं आते, उनकी गणना में ऋतुओं का प्रभाव शामिल है। सावन-भादो-कार्तिक माह का प्रभाव हम सब अपने जीवन में अनुभव कर रहे हैं। पूर्णिमा और अमावस्या का समुद्र पर प्रभाव ज्वार-भाटा से आंका जा सकता है, इससे हमारी तिथियां प्रमाणित होती है। मानसिक रोगियों पर अमावस्या और पूर्णिमा का प्रभाव चिकित्सा शास्त्र भी स्वीकार करता है। मानव शरीर संरचना में 70 प्रतिशत जल का अंश है, जो अमावस्या और पूर्णिमा पर प्रभावित होता है। इसी का परिणाम है कि मानसिक चिकित्सालयों को अमावस्या और पूर्णिमा पर विशेष सतर्कता बरतने के स्थाई निर्देश हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारतीय शास्त्रों में समय की गणना सूक्ष्मतम स्तर तक की गई है। सनातन संस्कृति में सूर्योदय से सूर्योदय तक की गणना का विधान है। इस प्राचीन गणना में 30 मुहूर्त हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सनातन संस्कृति में विभिन्न सिद्धांतों पर विचार-विमर्श के लिए कोई बंधन या दंड नहीं है, जबकि कालगणना पर वैचारिक मतभेद के कारण मृत्युदंड देने का उद्धरण पश्चिम के इतिहास में मिलता है।

पंचांग में मिलती है सटीकता

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि खगोलीय अध्ययन के लिए सूर्य से बनने वाली छाया के आधार पर सूर्य की गति की गणना की गई। उन्होंने बताया कि भारत का केन्द्र उज्जैन है और उज्जैन का केन्द्र वर्तमान में डोंगला में स्थित है। डोंगला का प्रसंग भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा से जुड़ता है। संभवत: डोंगला के इस महत्व से ही भगवान श्रीकृष्ण का आगमन हुआ था। पंचांग भारतीय कालगणना की शुद्धता और सटीकता का जीवंत उदाहरण हैं। पंचांग के विद्वान चंद्रग्रहण, सूर्यग्रहण, तिथि, नक्षत्र, वार, व्रत, त्यौहार और मुहूर्तों की जानकारी वर्तमान में भी त्वरित रूप से उपलब्ध कराते हैं।

Created On :   2 Sept 2025 1:19 AM IST

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