अपने ही कर्मचारी काे क्लेम नहीं दो पाई बीमा कंपनी

अपने ही कर्मचारी काे क्लेम नहीं दो पाई बीमा कंपनी
  • यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी का कारनामा
  • कर्मचारी को ही नहीं दिया गया क्लेम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बीमा कंपनियों के हाल यह है कि अपने ही कर्मचारियों का बीमा करती हैं और जब उन्हें इलाज की जरूरत होती है, तो कैशलेस की सुविधा देने से जिम्मेदार लोग पीछे हट जाते हैं। ऐसे ही पीड़ित मनमोहन गुप्ता ने शिकायत देते हुए बताया कि वे यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी में कार्यरत थे। बीमा कंपनी द्वारा स्टाफ मेडिक्लेम सेटलमेंट पॉलिसी कराई गई थी। उसका प्रीमियम भी कंपनी के द्वारा वेतन से काटा जाता था। उनकी पत्नी सुषमा गुप्ता शुगर अधिक बढ़ जाने से बेहोश हो गई थीं। उन्हें इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।

पूरी फाइल भेज दी गई : इलाज के दौरान कैशलेस के लिए बीमा कंपनी में मेल किया गया, तो बीमा अधिकारियों ने बिल सबमिट करने पर पूरा भुगतान करने का वादा किया था। ठीक होने के बाद उन्होंने बीमा कंपनी में सारे बिल व रिपोर्ट सबमिट की थी। वहां से टीपीए के पास पूरी फाइल भेज दी गई थी। टीपीए के अधिकारियों ने जल्द परीक्षण कर पूरा भुगतान करने का वादा किया था। जब उन्हें इलाज की राशि नहीं मिली, तो उनके द्वारा कई पत्र लिखे गए और व्यक्तिगत फोन पर बात भी की गई, पर सालों बाद भी उन्हें इलाज का क्लेम बीमा कंपनी द्वारा नहीं दिया गया। बीमित का कहना है कि जब कर्मचारियों के साथ ही बीमा अधिकारी इस तरह कर रहे, तो आम लोगों के साथ किस तरह का व्यवहार करते होंगे, इससे साफ जाहिर होता है।

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Created On :   20 May 2023 10:44 AM GMT

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