दीपावली पर्व पर रात्रि 8:00 बजे से 10:00 बजे तक कर सकते हैं पटाखों का उपयोग!

Firecrackers can be used from 8:00 pm to 10:00 pm on Diwali festival!
दीपावली पर्व पर रात्रि 8:00 बजे से 10:00 बजे तक कर सकते हैं पटाखों का उपयोग!
दीपावली पर्व दीपावली पर्व पर रात्रि 8:00 बजे से 10:00 बजे तक कर सकते हैं पटाखों का उपयोग!

डिजिटल डेस्क | शहडोल क्षेत्रीय अधिकारी मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहडोल श्री संजीव मेहरा ने जानकारी दी है कि दीपावली प्रकाश का पर्व है, परंतु दीपावली के समय विभिन्न प्रकार के पटाखों का उपयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। ज्वलनशील एवं हानिकारक पटाखों के कारण परिवेश से वायु में प्रदूषक तत्व एवं ध्वनि स्तर में वृद्धि हो कर पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुछ पटाखों से उत्पन्न ध्वनि की तीव्रता 100 डेसिबल से अधिक होता है। अतः इस प्रकार की वायु प्रदूषण पर नियंत्रण किया जाना अति आवश्यक है, जिससे मानव अंगों पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।

उन्होंने बताया कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा अधिसूचना के आधार पर पटाखों के प्रस्फोटन से होने वाले शोर हेतु मानक के अनुसार प्रेस्फोटन के बिंदु से 4 मीटर की दूरी 125 डीबी (ए.आई.) या 145 डीबी (सी) पीक से अधिक ध्वनि स्तर जनक पटाखों का विनिर्माण विक्रय व उपयोग वर्जित है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रिट-पिटिशन सिविल के आधार पर ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के परिप्रेक्ष्य में 23 अक्टूबर 2018 को दिए गए निर्देश अनुसार रात्रि 8:00 बजे से 10:00 बजे तक (2 घंटे) ही दीपावली पर्व पर पटाखों का उपयोग किया जाएगा।

बाकी समय पटाखों का उपयोग प्रतिबंधित है। उन्होंने बताया कि दीपावली पर्व पर लड़ी (जुड़ें हुए पटाखे) गठित करने वाले अलग-अलग पटाखों के निर्माण विक्रय एवं उपयोग पूर्णत: प्रतिबंधित हैं। दीपावली पर्व पर उन्नत पटाखे एवं ग्रीन पटाखे ही विक्रय किए जा सकेंगे। दीपावली पर्व पर पटाखों का उपयोग नियत समय रात्रि 8:00 बजे से 10:00 बजे तक निर्धारित स्थल पर ही किया जाना है, साथ ही प्रतिबंधित पटाखों का विक्रय ना हो इसके परिपालन हेतु संबंधित क्षेत्र के पुलिस अधिकारी, स्टेशन हाउस ऑफिसर को व्यक्तिगत रुप से दायित्व पर गए हैं।

क्षेत्रीय अधिकारी मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहडोल ने बताया कि पटाखों की जलने से उत्पन्न कागज के टुकड़े एवं अधजलि बारूद बच जाती है तथा इस कचरे के संपर्क में आने वाले पशुओं एवं बच्चों के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना रहती है। पटाखों को जलाने के उपरांत उनसे उत्पन्न कचड़े को ऐसे स्थान पर रहेगा जाए, जहां पर प्राकृतिक जल स्त्रोत एवं पेयजल स्त्रोत्र प्रदूषित होने की संभावना न हो, क्योंकि विस्फोटक सामग्री खतरनाक रसायनों से निर्मित होती है। उन्होंने जिले के नागरिकों से अपील किया है कि पटाखों का उपयोग सीमित मात्रा में करें एवं पटाखों को जलाने के पश्चात उत्पन्न कचरे को घरेलू कचरे के साथ ना रखें, उन्हें पृथक स्थान पर रखकर नगर पालिका के कर्मचारियों को सौंप दें। नगर पालिका के अधिकारियों एवं कर्मचारियों से कहा है कि पटाखों का कचरा पृथक संग्रहित करके उसका निष्पादन सुनिश्चित करें।

Created On :   4 Oct 2021 11:33 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story