लापरवाही: जिले को दो साल से एक भी नई सड़क नहीं, रोड बनाने वाले दो विभागों के हाथ खाली
- छिंदवाड़ा जिले में दो साल से एक भी नई सड़क नहीं
- विभागों ने उंचे किए हाथ
- साल 2022 से न नई सड़के आईं न बजट
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। जिले में पिछले दो साल से एक भी नई सडक़ों के निर्माण की मंजूरी नहीं मिली है। एमपीआरआरडीए (मप्र रूरल रोड डेवलपमेंट अथारिटी) और लोक निर्माण विभाग में वर्ष 2022 से नई सडक़ें नहीं आई हैं। सडक़ बनाने वाले दोनों विभागों के हाथ करीब दो साल से खाली हैं। पुराने काम और मेंटेनेंस वर्क के भरोसे ही विभागों की गतिविधियां चल रही हैं। ऐसा भी नहीं है कि जिले में सडक़ों के निर्माण की आवश्यकता नहीं हैं। एमपीआरआरडीए को डबल कनेक्टिविटी की सडक़ों की मंजूरी की दरकार हैं। ऐसी 2 सौ से ज्यादा मार्गों के लिए डिमांड लगातार की जा रही है। वहीं पीडब्ल्यूडी में वर्ष 2019 के बाद से कंजूसी के हालात हैं। वर्ष 2022 में जिले को करीब 50 सडक़ें मिली थीं। वही काम चल रहे थे। पूरे होने के बाद अब नेताओं व जनप्रतिनिधियों के जरिए डिमांड की स्वीकृति की आस है।
दूसरे जिलों में लग रहे करोड़ों के टेंडर
खासबात यह कि दूसरे जिलों में नई सडक़ों की स्वीकृति, बजट सहित टेंडर भी लग रहे हैं। कुछ दिन पहले ही जबलपुर में करोड़ों की सडक़ों के टेंडर लगे हैं। आसपास अन्य जिलों में भी नई सडक़ें बन रही हैं। जबकि छिंदवाड़ा-पांढुर्ना जिला दो साल से नई सडक़ों की स्वीकृति के इंतजार में है। यहां सडक़ें नहीं आने से भेदभाव के भाव पनप रहे हैं।
सिर्फ सडक़ों के मेंटेनेंस का काम हाथ में
एमपीआरआरडीए: जिले में स्थापित एमपीआरआरडीए की दो इकाइयां मेंटेनेंस इकाइयां बनकर रह गई हैं। इकाइयों का अमला सिर्फ मेंटेनेंस का काम देख रहा है। 11 ब्लॉकों में करीब 700 सडक़ें हैं, जो कि मेंटेनेंस पर हैं। पूर्व के ठेका अनुबंध के अनुसार अधिकांश सडक़ों में 5 साल तक ठेकेदारों को ही मेंटेनेंस करना है।
पीडब्ल्यूडी: दो साल में एक भी नई सडक़ की स्वीकृति के साथ बजट नहीं मिला है। ऐसे में पुराने स्वीकृत कार्यों को पूरा करने के साथ रिन्युअल वर्क और मेंटेनेंस के भरोसे विभाग हो गया है। 35 से ज्यादा सडक़ों की मंजूरी की जिले को दरकार है। अधिकांश सडक़ें ग्रामीण क्षेत्रों की हैं।
Created On :   28 Jun 2024 12:53 AM IST