आरएसएस शताब्दी समारोह: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संघ की समानता की अवधारणा का किया समर्थन

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संघ की समानता की अवधारणा का किया समर्थन
महाराष्ट्र के नागपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विजयदशमी 2025 के अवसर पर शस्त्र पूजा की। आरएसएस अपने संगठन के 100 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है। इस दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद रहे।

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र के नागपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विजयदशमी 2025 के अवसर पर शस्त्र पूजा की। आरएसएस अपने संगठन के 100 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है। इस दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद रहे।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आरएसएस के संस्थापक स्वर्गीय केशव बलिराम हेडगेवार को श्रद्धांजलि दी।

आरएसएस के शताब्दी समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा, "संघ में व्याप्त समरसता और समानता तथा जाति भेद से पूरी तरह मुक्त व्यवहार को देखकर महात्मा गांधी भी बहुत प्रभावित हुए थे। जिसका विस्तृत विवरण संपूर्ण गांधी वांग्मय में मिलता है। गांधी जी ने 16 सितंबर 1947 को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रैली को संबोधित किया था और कहा था कि वह परसों पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार के जीवनकाल में संघ के शिविर में गए थे गांधी जी शिविर के अनुशासन, सादगी और छुआछूत की पूर्ण समाप्ति को देखकर अत्यंत प्रभावित हुए

पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने कहा संघ में जाति आधार पर कोई भेदभाव नहीं है। कोविंद ने अपने संबोधन की शुरुआत विजयादशमी की बधाई देते हुए की और कहा कि उनके जीवन में नागपुर के दो महापुरुषों — डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार और बाबा साहब भीमराव आंबेडकर — का विशेष प्रभाव रहा है। उन्होंने बताया कि जब वे राजनीति में आए थे और संघ से जुड़े, तब देखा कि “जातिगत भेदभाव से रहित लोग संयोग से संघ के स्वयंसेवक और पदाधिकारी ही थे।

पूर्व राष्ट्रपति ने यह भी याद किया कि एक समय वे बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, और उस दौर में अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि “हमारी सरकार मनुस्मृति से नहीं, आंबेडकर स्मृति से चलती है। उन्होंने यह कहते हुए संघ की समानता की अवधारणा का समर्थन किया कि महिलाओं को परिवार व्यवस्था में बराबर की हिस्सेदारी है, और कि संघ ने राष्ट्रीय सेविका वाहिनी शुरू की थी।

Created On :   2 Oct 2025 1:51 PM IST

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