अजब गजब: बिना दुर्गा पंडाल और कन्या पूजन के मनाया जाता है केरल में दुर्गा पूजन का पावन त्योहार, जानें फिर केरल में कैसे मनाई जाती है दुर्गा पूजा

बिना दुर्गा पंडाल और कन्या पूजन के मनाया जाता है केरल में दुर्गा पूजन का पावन त्योहार, जानें फिर केरल में कैसे मनाई जाती है दुर्गा पूजा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में जहां नवरात्रि के समय देशभर में दुर्गा पंडाल सजते हैं, विशाल मेला और शोभायात्राएं होती हैं वहां पर केरल में इस पर्व को बहुत ही खास और अलग तरह से मनाया जाता है। यहां पर श्रद्धालु मां दुर्गा की पूजा-पाठ करने की जगह वे पूजा एक गुड़िया (बोम्मई गोलू) के रूप में करते हैं। इस परंपरा को देखकर हर कोई चकित रह जाता है, क्योंकि इसमें न तो कोई पंडाल सजता है, न ही मेले का आयोजन होता है और ना ही कन्या पूजन होता है। इसके बावजूद भक्ति और श्रद्धा चारों तरफ देखने को मिलती

कैसे होती है बोम्मई गोलू गुड़िया की पूजा?

बता दें, गुड़िया पूजा में घरों में एक साफ-सुथरी जगह पर छोटे-छोटे पुतलों या गुड़ियों को देवी-देवताओं के प्रतीक के तौर पर सजाया जाता है। इन गुड़ियों को लकड़ी, मिट्टी या कपड़े से तैयार किया जाता है और कई बार देवी-देवताओं की कथाओं या लोककथाओं को भी दर्शाया जाता है। लोग इन पुतलों को सीढ़ी जैसे मंच पर रखते हैं, फूलों और दीपकों से सजाते हैं और फिर भक्ति गीतों, मंत्रों और प्रार्थनाओं के साथ देवी की पूजा करते हैं।

क्या है इस पूजा की खासियत?

इस पूजा की खासियत के बारे में जानें तो, ये पूरी तरह परिवार और समाज के मेल-जोल पर आधारित होती है। लोग एक-दूसरे के घर जाकर गुड़ियों की सजावट देखते हैं, बच्चों को देवी के किस्से सुनाए जाते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। यहां तक कि बच्चों को इसी दौरान पढ़ाई की शुरुआत कराई जाती है, जिसे ‘विद्यारंभम’ कहते हैं, और मां सरस्वती का आशीर्वाद लिया जाता है।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   1 Oct 2025 7:33 PM IST

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