इस दीवार की लंबाई कितनी है, इसको लेकर थोड़ा विवाद है। दरअसल, साल 2009 में किए गए एक सर्वेक्षण में दीवार की लंबाई 8,850 किलोमीटर बताई गई थी, लेकिन साल 2012 में चीन में ही किए गए एक राजकीय सर्वेक्षण में यह बात गलत साबित हो गई। उस सर्वेक्षण में बताया गया कि चीन की दीवार की कुल लंबाई 21,196 किलोमीटर है। सर्वेक्षण की यह रिपोर्ट चीन के प्रमुख समाचार पत्र शिन्हुआ में भी प्रकाशित हुई थी।
- Dainik Bhaskar Hindi
- Ajab Gajab
- Great Wall of China is called the world's largest cemetery, the story is full of secrets
दैनिक भास्कर हिंदी: अजब-गजब: 'ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' को कहा जाता है 'दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान', रहस्यों से भरी है कहानी
डिजिटल डेस्क। दुनिया में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जो 'ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' से परिचित नहीं होगा। पूरे विश्व से लोग इस दीवार को देखने के लिए आते हैं। कहा तो यह भी जाता है कि यह दीवार अंतरिक्ष से भी दिखाई देती है। 'ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' के नाम से जाने जानी वाली यह दीवार दुनिया के सात अजूबों में शामिल है। इसकी वजह ये है कि यह दुनिया की सबसे लंबी दीवार है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस दीवार को 'दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान' भी कहा जाता है, लेकिन क्यों? आइए जानते हैं इसके पीछे की हैरान कर देने वाली कहानी...


इस दीवार के बनने की कहानी कोई दो चार सौ साल नहीं बल्कि हजारों साल पुरानी है। वैसे तो ऐसी दीवार बनाने की कल्पना चीन के पहले सम्राट किन शी हुआंग ने की थी, लेकिन वो ऐसा कर नहीं सके थे। उनके मरने के सैकड़ों साल बाद दीवार का निर्माण कार्य आरंभ किया गया। माना जाता है कि इसे बनाने की शुरुआत ईसा पूर्व पांचवीं शताब्दी में हुई थी, जो 16वीं शताब्दी तक चली। इसका निर्माण एक नहीं बल्कि चीन के कई राजाओं ने अलग-अलग समय में करवाया है। कहा जाता है कि इस दीवार का निर्माण दुश्मनों से चीन की रक्षा करने के लिए किया गया था, लेकिन ऐसा हो नहीं सका था। 1211 ईस्वी में मंगोल शासक चंगेज खान ने एक जगह से दीवार को तोड़ दिया था और उसे पार कर चीन पर हमला कर दिया था।

चीन में इस दीवार को 'वान ली चैंग चेंग' के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि इस दीवार की चौड़ाई इतनी है कि इसपर एक साथ पांच घोड़े या 10 पैदल सैनिक चल सकते हैं। इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया है। माना जाता है कि इस विशाल दीवार के निर्माण कार्य में करीब 20 लाख मजदूर लगे थे, जिसमें से करीब 10 लाख लोगों ने इसे बनाने में ही अपनी जान गंवा दी थी। कहते हैं कि उन लोगों को फिर दीवार के नीचे ही दफना दिया गया था। यही वजह है कि चीन की इस महान और विशाल दीवार को दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान भी कहा जाता है। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है, यह तो कोई नहीं जानता। इसलिए यह एक रहस्य ही बनकर रह गया है।
भोपाल: स्कोप कॉलेज में विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने अपने छात्र -छात्राओं के भविष्य को संवारने के लिये भारत के आटोमोबाइल क्षेत्र में अग्रणी कम्पनी हीरो मोटोकार्प के साथ एक करार किया जिसमें ऑटोमोबाइल क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट के लिये एक विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना संस्था के प्रांगण में की गई है। ये अपने आप में एक अद्वतीय पहल है तथा सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इसमें सभी नवीनतम कम्प्यूटराइज्ड मशीन के द्वारा टू-व्हीलर ऑटोमोबाइल कार्यशाला प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस वर्कशाप में उद्घाटन के अवसर पर कम्पनी के जनरल मैनेजर सर्विसेज श्री राकेश नागपाल, श्री मनीष मिश्रा जोनल सर्विस हेड - सेंट्रल जोन, श्री देवकुमार दास गुप्ता - डी जी एम सर्विस, एरिया मैनेजर श्री राम सभी उपस्थिति थे। साथ ही संस्था के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अजय भूषण, डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ. मोनिका सिंह, अभिषेक गुप्ता आदि उपस्थित थे। संस्था के सभी शिक्षकगण तथा छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की गई , डॉ. मोनिका सिंह ने अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ. अजय भूषण ने सभी का स्वागत किया और बताया कि आने वाला समय कौशल विकास आधारित शिक्षा का है। कर्यक्रम में आईसेक्ट ग्रुप के कौशल विकास के नेशनल हेड अभिषेक गुप्ता ने ग्रुप के बारे मे विस्तार से बताया कि किस तरह हमेशा से आईसेक्ट ग्रुप ने कौशल विकास को हमेशा प्राथमिकता से लिया है। कार्यक्रम में एएसडीसी के सीईओ श्री अरिंदम लहिरी ऑनलाइन आकर सभी को बधाई दी तथा छात्र - छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य के लिये शुभाषीस भी दी।
कार्यक्रम में डॉ. देवेंद्र सिंह ने बताया कि कौशल विकास आधारित शिक्षा सनातन काल से भारतवर्ष में चली आ रही है मध्यकालीन समय में कौशल विकास पर ध्यान नही दिया गया परंतु आज के तेजी से बदलते हुए परिवेश में विश्व भर में इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी आवश्यकता को देखते हुये स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कुछ ही समय में विभिन्न क्षेत्रों के सात सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है जो की विभिन्न क्षेत्रों मे छात्र- छात्राओं के कौशाल विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।
भोपाल: सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों की बुलेट यात्रा का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ आगमन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। इंडिया गेट से जगदलपुर के लिए 1848 किमी की लंबी बुलेट यात्रा पर निकलीं सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्वविद्यालय परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत किया। लगभग 300 स्वयंसेवकों तथा स्टाफ सदस्यों ने गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। वहीं उनके स्वागत में एन एस एस की करतल ध्वनि से पूरा विश्वविद्यालय परिसर गुंजायमान हो उठा। इस ऐतिहासिक बाइक रैली में शामिल सभी सैन्यकर्मियों का स्वागत विश्वविद्यालय के डीन ऑफ एकेडमिक डॉ संजीव गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री ऋत्विक चौबे, कार्यक्रम अधिकारी श्री गब्बर सिंह व डॉ रेखा गुप्ता तथा एएनओ श्री मनोज ने विश्वविद्यालय की तरफ से उपहार व स्मृतिचिन्ह भेंट कर किया। कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डिप्टी कमांडेंट श्री रवीन्द्र धारीवाल व यात्रा प्रभारी श्री उमाकांत ने विश्वविद्यालय परिवार का आभार किया। इस अवसर पर लगभग 200 छात्र छात्राएं, स्वयंसेवक व एनसीसी कैडेट्स समस्त स्टाफ के साथ स्वागत में रहे मौजूद।
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