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अजब-गजब: भारत की इस महंगी सब्जी की विदेशों में है अच्छी डिमांड, जिसकी कीमत है 30 हजार रुपये किलो

डिजिटल डेस्क। आमतौर पर जहां 100-200 रुपये किलो मिलने वाली सब्जी महंगी लगने लगती है, वहीं जरा सोचिए कि अगर कोई सब्जी हजारों रुपये किलो मिले तो आप क्या करेंगे? जी हां, भारत में ही एक ऐसी सब्जी है, जिसकी कीमत सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। आज हम आपको एक ऐसी महंगी सब्जी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे खरीदने के बारे में आम आदमी सपने में भी नहीं सोच सकता है।
दरअसल, इस सब्जी का नाम है गुच्छी, जो हिमालय पर मिलने वाली जंगली मशरूम की प्रजाति है। बाजार में इसकी कीमत 25 से 30 हजार रुपये किलो है। गुच्छी भारत में मिलने वाली दुर्लभ सब्जी है, जिसकी विदेशों में अच्छी डिमांड है। इस सब्जी के दाम को देखकर लोग मजाक के तौर पर कहते हैं कि अगर गुच्छी की सब्जी खानी है, तो बैंक से लोन लेना पड़ेगा।
गुच्छी में पाए जाने वाले औषधीय गुण दिल की बीमारियों को दूर करते हैं। इसके अलावा ये सब्जी शरीर को कई अन्य प्रकार का पोषण देती है। गुच्छी एक तरह से मल्टी-विटामिन की प्राकृतिक गोली है। यह सब्जी फरवरी से लेकर अप्रैल के बीच मिलती है, जिसे बड़ी-बड़ी कंपनियां और होटल इसे हाथों-हाथ खरीद लेते हैं।
अमेरिका, फ्रांस, यूरोप, स्विट्जरलैंड और इटली में गुच्छी की सब्जी खाना लोग काफी पसंद करते हैं। हालांकि, इस जंगली सब्जी को इकट्ठा करने के लिए जान जोखिम में डालकर पहाड़ पर बहुत ऊपर जाना पड़ता है। इस सब्जी को बारिश के दौरान जमा कर सुखाया जाता है, जिसके बाद इसे उपयोग में लाया जाता है।
पाकिस्तान के हिंदुकुश पहाड़ों पर भी गुच्छी की सब्जी उग जाती है। पाकिस्तान के लोग भी इसे सुखाकर विदेशों में बेचते हैं। इस सब्जी को लेकर कई कहानियां भी सुनाई जाती है। कहा जाता है कि जब पहाड़ों पर तूफान आता है और उसी समय बिजली गिरती है तो गुच्छी की फसल पैदा होती है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।