मेडिकल में मरीजों से धोखाधड़ी पर प्रशासन व सुरक्षा एजेंसी मौन

मेडिकल में मरीजों से धोखाधड़ी पर प्रशासन व सुरक्षा एजेंसी मौन

Anita Peddulwar
Update: 2019-10-31 06:13 GMT
मेडिकल में मरीजों से धोखाधड़ी पर प्रशासन व सुरक्षा एजेंसी मौन

डिजिटल डेस्क,नागपुर। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेडिकल) में उपचार के लिए पहुंचने वाले मरीजों से बेहतर उपचार के नाम पर धोखाधड़ी होना आम बात हो गई है। अवकाश के दिन, शाम से लेकर रात और सुबह तक जब तक अस्पताल में सुनसान रहता है। इस दौरान धोखाधड़ी करने वाले लोगों का गिरोह सक्रिय रहता है। एम्बुलेंस चालक-मालक और दलाल जब भी कोई भी मरीज या बाहर से एम्बुलेंस पहुंचती है।

मौके पर पहुंचकर मरीजों के परिजनों को बरगलाने लगते है। मुंह पर मॉस्क और गले में स्टेथेस्कोप होने से व्यक्ति बाहरी होने का पता लगा पाना मुश्किल होता है। मरीज और दस्तावेज देखकर अस्पताल में डॉक्टर छुट्टी पर है, ऑपरेशन थियेटर बंद होने का झांसा देकर यह दलाल मरीज को डराकर निजी अस्पताल में लेकर जाने पर जोर देते है। मंगलवार को मेडिकल में मरीज के परिजनों की शिकायत पर महाराष्ट्र सुरक्षा बल (एमएसएफ) के जवानों ने एक दलाल पकड़कर अजनी पुलिस के हवाले किया, लेकिन प्रशासन और सुरक्षा एजेंसी की चुप्पी के कारण उस पर कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।

मामला दर्ज करने कोई तैयार नहीं
मेडिकल में सालों से निजी एम्बुलेंस संचालक और दलाल सक्रिय है। पुलिस और प्रशासन के चुस्त होने पर कुछ दिन चुप बैठने के बाद फिर से सक्रिय हो जाते है। मरीजों के साथ सालों से चल रही धोखाधड़ी के मामले में अब तक पुलिस ने कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की। मरीजों को निजी अस्पताल में ले जाकर लूटने के मामले प्रशासन और सुरक्षा एजेंसी ने चुप्पी साध रखी है। वहीं मामले में फरियादी नहीं होने की वजह से पुलिस ने भी हाथ खड़े कर दिए है।

कौन लेगा जिम्मेदारी
मामला मेडिकल परिसर का है। ऐसे में जिम्मेदारी मेडिकल प्रशासन की है। सुरक्षा संभालने वाली एजेंसी एमएसएफ आरोपी को पकड़ने के बाद पुलिस के हवाले कर देती है और पुलिस एनसी दाखिल कर आरोपियों को छोड़ देती है। मंगलवार को नया बाबुलखेड़ा निवासी दलाल अब्दुल शरीफ नासिर (40) मेडिकल में मरीजों को निजी अस्पताल ले जाने के मामले में दूसरी बार पकड़ा गया था।

सोचेंगे क्या कर सकते है
अजनी थाने के पीआई एच. उरलागोंडावार का कहना है कि फरियादी नहीं होने कोई ठोस कार्रवाई नहीं  कर सकते। मामले में लिप्त आरोपियों पर क्या कार्रवाई की जाएगी यह मैं अभी नहीं बता सकता हूं। वहीं मेडिकल अधिष्ठाता डॉ.सजल मित्रा व अधीक्षक डॉ.राजेश गोसावी को फोन लगाया लेकिन उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया।
 


 

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