अश्लील पोस्टर को नियंत्रित करेगा सेंसर बोर्ड, दायर याचिका पर सुनवाई

अश्लील पोस्टर को नियंत्रित करेगा सेंसर बोर्ड, दायर याचिका पर सुनवाई

Tejinder Singh
Update: 2017-11-22 06:28 GMT
अश्लील पोस्टर को नियंत्रित करेगा सेंसर बोर्ड, दायर याचिका पर सुनवाई

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्र सरकार प्रस्तावित सिनेमैटोग्राफी एक्ट में सेंसर बोर्ड को अश्लील पोस्टरों को नियंत्रित करने के अधिकार देने की तैयारी कर रही है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिकाकर्ता तेजेंदर सिंह रेणु ने अश्लील पोस्टरों के खिलाफ याचिका दायर की थी। इसके जवाब में मंगलवार को केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय की अधिवक्ता मुग्धा चांदूरकर ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी। दरअसल, पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने मंत्रालय से अश्लील पोस्टरों को सेंसर बोर्ड के नियंत्रण में लाने पर भूमिका स्पष्ट करने के आदेश दिए थे। ऐसे में मंगलवार को अधिवक्ता चांदूरकर ने कोर्ट को बताया कि, उन्होंने सेंसर बोर्ड को नियंत्रण के अधिकार देने की सूचना एक्ट के संशोधन के लिए कार्य कर रही सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल और निर्देशक श्याम बेनेगल की समिति को दी है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. हर्निश गढ़िया ने पक्ष रखा। 

.....अश्लील पोस्टरों-बैनरों पर लगे बैन

याचिकाकर्ता ने सार्वजनिक स्थानों पर फिल्मों या अन्य किसी भी तरह के अश्लील पोस्टर-बैनरों पर बैन लगाने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की है। याचिकाकर्ता के अनुसार सार्वजनिक स्थलों पर अश्लील पोस्टर लगाना किसी भी तरह से समाज के हित में नहीं है। विशेषकर कम उम्र के बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। शहर में सिनेमाघरों के बाहर फिल्मों के बड़े-बड़े पोस्टर लगाए जाते हैं। कई बार वे पोस्टर इतने अश्लील हाेते हैं कि, देखने वालों को शर्म आ जाए। कम उम्र के बच्चे भी इन पोस्टरों को देखते हैं, जिससे उनकी मानसिकता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। फिल्म पोस्टरों को सिनेमैटोग्राफी एक्ट 1952, सिनेमैटोग्राफी नियम 1983 और भारत सरकार के नियमों के तहत नहीं आने से अश्लील पोस्टरों पर सेंसर बाेर्ड का नियंत्रण नहीं होता। याचिकाकर्ता ने पोस्टरों को भी उपरोक्त नियम के अधीन लाना जरूरी बताया है, ताकि इन पर लगाम कसी जा सके। हर्निश गढ़िया ने पक्ष रखा। 
 

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