मुंबई से इंदौर के बीच नई रेल लाइन बनने से दूरी होगी कम, बढ़ेगा व्यापार

मुंबई से इंदौर के बीच नई रेल लाइन बनने से दूरी होगी कम, बढ़ेगा व्यापार

Tejinder Singh
Update: 2018-08-28 16:26 GMT
मुंबई से इंदौर के बीच नई रेल लाइन बनने से दूरी होगी कम, बढ़ेगा व्यापार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंदौर-मनमाड नई रेल परियोजना के लिए मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार, मध्यप्रदेश सरकार, रेल मंत्रालय और जहाजरानी मंत्रालय के बीच करारनामे पर हस्ताक्षर हुए। इस नई रेल परियोजना के पूरा होने पर मुंबई से इंदौर की दूरी लगभग 171 किलोमीटर कम होगी। साथ ही दिल्ली-चेन्नई और दिल्ली-बंगलुरु के बीच की दूरी 325 किलोमीटर कम हो जाएगी। इस मौके पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं जहाजरानी मंत्री नितीन गडकरी, रेलमंत्री पीयूष गोयल और केन्द्रीय रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे मौजूद थे।

इस रेल लाइन का निर्माण रेल मंत्रालय ही करेगा, लेकिन इस पर आने वाली लागत दोनों राज्य सरकारें और जहाजरानी मंत्रालय वहन करेगा। लगभग 362 किलोमीटर की इस नई रेल लाइन के निर्माण पर 8575 करोड़ रुपये रकम खर्च होगी। एमओयू के बाद केन्द्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि अभी मनमाड से इंदौर तक जाने के लिए लगभग 815 किमी का सफर तय करना पड़ता है। इस रेल लाइन के बनने पर सफर कम होकर 644 किलोमीटर का रह जाएगा। उन्होंने कहा कि यह रेल लाइन महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के जिन क्षेत्रों से गुजरेगी, वह पिछड़े और ट्राइबल हैं। सामान ले जाने वाले कन्टेनर इंदौर से मनमाड होते हुए सीधे जवाहरलाल नेहरु पोर्ट भी जा सकेंगे। इससे व्यापार को बढावा मिलेगा। साथ ही बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

महाराष्ट्र से बिछेगी 186 किमी रेल लाइन

गौरतलब है कि इस रेल लाइन का वर्ष 2007 में ही सर्वेक्षण पूरा हो चुका था, लेकिन दोनों राज्य सरकारों के बीच लागत की हिस्सेदारी को लेकर सहमति नहीं बन पाने की वजह से इसका निर्माण कार्य लंबित पड़ा था। अब इस रेल लाइन के निर्माण के लिए सभी पक्षों द्वारा समझौता हो जाने से जल्द ही इस पर लाइन बिछाने का काम शुरू हो जाएगा। 362 किमी लंबी इस रेल लाइन में से 186 किमी रेल लाइन महाराष्ट्र से गुजरेगी।  इस ब्रॉडगेज मार्ग पर 13 बड़े और 249 छोटे ब्रिज बनाए जाएंगे। महाराष्ट्र की 964 हेक्टेयर और मध्यप्रदेश की 1044 हेक्टेयर जमीन अधिगृहीत की जाएगी। कुल लागत में से दोनों राज्य सरकारें 15-15 फीसदी राशि इक्विटी के माध्यम से जुटाएगी करेगी, जबकि 70 प्रतिशत निधि जेएनपीटी ऋण  के माध्यम से जुटाएगी।
 

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